तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

हमारे देश में जिस तरह आबादी की गणना होती है उसी तरह जल संसाधनों की क्षमता की भी गणना होती है? जब भी मध्यम व बड़ी सिंचाई परियोजनाएं तैयार होती हैं तब उनकी क्षमता को उपलब्ध सिंचाई क्षमता में जोड़कर रिकार्ड को अद्यतन कर लिया जाता है। इस तरह ये आंकड़े केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सालाना रिपोर्ट में जारी होते रहते हैं। लेकिन लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाओं की सिंचाई क्षमता का नियमित रिकार्ड रख पाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि कुएं, नलकूप तलाब आदि स्रोत संस्थागत या निजी तौर पर नियमित बनते रहते हैं। ऐसे में एक नियमित अंतराल के बाद लघु सिंचाई योजनाओं (Minor Irrigation Schemes)
हमारे देश में जिस तरह आबादी की गणना होती है उसी तरह जल संसाधनों की क्षमता की भी गणना होती है? जब भी मध्यम व बड़ी सिंचाई परियोजनाएं तैयार होती हैं तब उनकी क्षमता को उपलब्ध सिंचाई क्षमता में जोड़कर रिकार्ड को अद्यतन कर लिया जाता है। इस तरह ये आंकड़े केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सालाना रिपोर्ट में जारी होते रहते हैं। लेकिन लघु एवं सूक्ष्म परियोजनाओं की सिंचाई क्षमता का नियमित रिकार्ड रख पाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि कुएं, नलकूप तलाब आदि स्रोत संस्थागत या निजी तौर पर नियमित बनते रहते हैं। ऐसे में एक नियमित अंतराल के बाद लघु सिंचाई योजनाओं (Minor Irrigation Schemes)
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