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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by admin on Thu, 07/16/2009 - 14:05
Source:
मिहिर शाह
गरीबीउन्मूलन के कार्यक्रम उसी समय सफ़ल सिद्ध हो सकते हैं, जब ऐसे कार्यक्रम उन्हें सतत आजीविका चलाने लायक बनासकें, ताकि गरीब सरकारी मदद पर आश्रित ही न रहें। इस कार्यके लिये मजबूत जन-संस्थान, सटीक तकनीक, मानव संसाधन का हुनर विकास, बाज़ार की सहायता तथा एक पर्याप्त निवेश सभी साथ में होना चाहिये।डायरेक्ट कैश ट्रांसफ़र (DCT) नामक शब्द आजकल विकास समूहों के भीतर काफ़ी चर्चा में है। इकोनोमिस्ट अरविन्द सुब्रह्मणियन ने भारत में गरीबी दूर करने के तौर तरीकों के बारे में अपनी पुस्तक “फ़र्स्ट बेस्ट ऑप्शन” मे DCT के बारे में लिखा है (द हिन्दू, अगस्त 24, 2008)। हाल ही में प्रकाशित “इकॉनॉमिक एण्ड पोलिटिकल वीकली (अप्रैल 12, 2008)” के अंक में सुब्रह्मणियन के विचारों से देवेश कपूर और पार्थ मुखोपाध्याय (KMS) ने भी अन्य कई मुद्दों पर विस्तार से सहमति जताई है। KMS कहते हैं, खाद्य, उर्वरक और ईंधन इन तीन प्रमुख वस्तुओं पर भारत के केन्द्रीय बजट में केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में ही लगभग 2,00,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है। वे पूछते हैं कि – क्या भारत के गरीबों के विकास और उसके उन्मूलन के लक्ष्यों को केन्द्रीय तन्त्र के माध्यम से इतनी विशाल धनराशि खर्च करके भी पाया जा सका है? क्या यह एक अच्छा तरीका कहा जा सकता है? मैं कहूँगा, निश्चित ही है, बजाय इसके कि मुँह में पानी लाने लायक एक करोड़ की राशि प्रत्येक ग्राम पंचायत के खाते में सीधे डाल दी जाये।

Submitted by admin on Tue, 07/14/2009 - 13:41
Source:
द हंगर प्रोजेक्ट पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका पर सर्व श्रेष्ठ लेखन के लिए 2009 सरोजिनी नायडू पुरस्कार की घोषणा करता है। आपसे निवेदन है कि आपके क्षेत्र के पत्रकार बन्धुओं एवं अन्य मीडिया साथियों को उपरोक्त दी हुई जानकारी के बारे में अवगत करायें।

आज पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही पानी, शराब के व्यसन, शिक्षा, स्वास्थ्य, घेरलू हिंसा, जेण्डर असमानता व अन्याय जैसे उन मुद्दों के प्रति राज्य को संवेदनशील बना रही है। `खामोश क्रांति` को एक आवाज़ की जरूरत है( इन महिलाओं के संघर्षों तथा सफलताओं को घरों, नागरिक समाज समूहों, शहरी अभिजात्य वर्ग, पेशेवरों, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं के दिलो-दिमाग तक पहुंचाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास जरूरी है।

Submitted by admin on Wed, 07/08/2009 - 10:39
Source:
विमल श्रीवास्तव

आकाश में छाए काले बादलों को देखकर किसका दिल झूमने नहीं लगता, चाहे वह जंगलों में रहने वाले मयूर हों, कवि हों, किसान हों या गर्मी से तपते हुए नगरवासी ।

फिर ये बादल भी कैसे-कैसे हैं; कोई तो काजल जैसे काले, कोई धुएं जैसे भूरे, कोई रूई के ढेर जैसे सफेद, तो कोई झीने दुपट्टे जैसे सफेद । इन्हीं बादलों पर अनगिनत कविताएं लिखी जा चुकी हैं, सैकड़ों फिल्मी गीत बनाए गए हैं, महाकवि कालीदास ने तो मेघदूतम् जैसा अमर महाकाव्य भी लिख डाला है । लेकिन बादलों की सुन्दरता अपनी चरम सीमा पर तब पहुंचती है जब शाम को ढलते सूरज या भोर के उगते सूरज की किरणें आकाश के साथ-साथ बादलों को भी नारंगी, लाल, पीला जामा पहना देती हैं ।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण कोई रामबाण इलाज नहीं है…

Submitted by admin on Thu, 07/16/2009 - 14:05
Source
मिहिर शाह
गरीबीउन्मूलन के कार्यक्रम उसी समय सफ़ल सिद्ध हो सकते हैं, जब ऐसे कार्यक्रम उन्हें सतत आजीविका चलाने लायक बनासकें, ताकि गरीब सरकारी मदद पर आश्रित ही न रहें। इस कार्यके लिये मजबूत जन-संस्थान, सटीक तकनीक, मानव संसाधन का हुनर विकास, बाज़ार की सहायता तथा एक पर्याप्त निवेश सभी साथ में होना चाहिये।डायरेक्ट कैश ट्रांसफ़र (DCT) नामक शब्द आजकल विकास समूहों के भीतर काफ़ी चर्चा में है। इकोनोमिस्ट अरविन्द सुब्रह्मणियन ने भारत में गरीबी दूर करने के तौर तरीकों के बारे में अपनी पुस्तक “फ़र्स्ट बेस्ट ऑप्शन” मे DCT के बारे में लिखा है (द हिन्दू, अगस्त 24, 2008)। हाल ही में प्रकाशित “इकॉनॉमिक एण्ड पोलिटिकल वीकली (अप्रैल 12, 2008)” के अंक में सुब्रह्मणियन के विचारों से देवेश कपूर और पार्थ मुखोपाध्याय (KMS) ने भी अन्य कई मुद्दों पर विस्तार से सहमति जताई है। KMS कहते हैं, खाद्य, उर्वरक और ईंधन इन तीन प्रमुख वस्तुओं पर भारत के केन्द्रीय बजट में केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में ही लगभग 2,00,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है। वे पूछते हैं कि – क्या भारत के गरीबों के विकास और उसके उन्मूलन के लक्ष्यों को केन्द्रीय तन्त्र के माध्यम से इतनी विशाल धनराशि खर्च करके भी पाया जा सका है? क्या यह एक अच्छा तरीका कहा जा सकता है? मैं कहूँगा, निश्चित ही है, बजाय इसके कि मुँह में पानी लाने लायक एक करोड़ की राशि प्रत्येक ग्राम पंचायत के खाते में सीधे डाल दी जाये।

सरोजिनी नायडू पुरस्कार के लिए आवेदन आमंत्रित

Submitted by admin on Tue, 07/14/2009 - 13:41
द हंगर प्रोजेक्ट पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका पर सर्व श्रेष्ठ लेखन के लिए 2009 सरोजिनी नायडू पुरस्कार की घोषणा करता है। आपसे निवेदन है कि आपके क्षेत्र के पत्रकार बन्धुओं एवं अन्य मीडिया साथियों को उपरोक्त दी हुई जानकारी के बारे में अवगत करायें।

आज पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही पानी, शराब के व्यसन, शिक्षा, स्वास्थ्य, घेरलू हिंसा, जेण्डर असमानता व अन्याय जैसे उन मुद्दों के प्रति राज्य को संवेदनशील बना रही है। `खामोश क्रांति` को एक आवाज़ की जरूरत है( इन महिलाओं के संघर्षों तथा सफलताओं को घरों, नागरिक समाज समूहों, शहरी अभिजात्य वर्ग, पेशेवरों, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं के दिलो-दिमाग तक पहुंचाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयास जरूरी है।

'घनन-घनन घन घिर आए बदरा'

Submitted by admin on Wed, 07/08/2009 - 10:39
Source
विमल श्रीवास्तव

आकाश में छाए काले बादलों को देखकर किसका दिल झूमने नहीं लगता, चाहे वह जंगलों में रहने वाले मयूर हों, कवि हों, किसान हों या गर्मी से तपते हुए नगरवासी ।

फिर ये बादल भी कैसे-कैसे हैं; कोई तो काजल जैसे काले, कोई धुएं जैसे भूरे, कोई रूई के ढेर जैसे सफेद, तो कोई झीने दुपट्टे जैसे सफेद । इन्हीं बादलों पर अनगिनत कविताएं लिखी जा चुकी हैं, सैकड़ों फिल्मी गीत बनाए गए हैं, महाकवि कालीदास ने तो मेघदूतम् जैसा अमर महाकाव्य भी लिख डाला है । लेकिन बादलों की सुन्दरता अपनी चरम सीमा पर तब पहुंचती है जब शाम को ढलते सूरज या भोर के उगते सूरज की किरणें आकाश के साथ-साथ बादलों को भी नारंगी, लाल, पीला जामा पहना देती हैं ।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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