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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Editorial Team on Thu, 06/25/2020 - 08:06
Source:
Bihar Flood
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी संबंधित जिलों के पदाधिकारियों को पत्र लिखकर अलर्ट रहने को कहा है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय ने संबंधित जिलों के डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि जिलों में प्रतिनियुक्त एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीमो को भारी बारिश से प्रभावित होनेवाले क्षेत्रों में ही तैनात रखा जाए। साथ ही जिला पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे प्रभावित इलाकों के पंचायत प्रतिनिधियों को भारी बारिश का अलर्ट दें। 
Submitted by Shivendra on Wed, 06/24/2020 - 13:47
Source:
बिहार के लिए न्यू नाॅर्मल है बाढ़
वर्ष 2007 की बाढ़ बिहार के लिए भयानक विनाश लेकर आई। इस दौरान बाढ़ का कहर 22 जिलों पर बरपा और 2.4 करोड़ से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। ऐसा मानना है कि 2400 से ज्यादा जानवरों की भी मौत हुई थी।
Submitted by Editorial Team on Tue, 06/23/2020 - 16:04
Source:
जल चेतना, खण्ड 7, अंक 2, जुलाई 2018, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की-247667
राजस्थान का परंपरागत तालाब; फोटो - विकिमीडिया, Rakesh.5suthar
राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत विचित्र हैं जिसको बनाने का बहुत बड़ा श्रेय अरावली पर्वत श्रेणियों को है। अरावली पर्वत श्रृंखला आबू पर्वत के गुरु-शिखर से आरंभ होकर अलवर के सिंघाना तक फैली हैं। यह पर्वत-माला राजस्थान को दो भागों में विभक्त करती है- दक्षिण-पूर्व व उत्तर-पश्चिम जिसे सामान्यतः पूर्वी क्षेत्र व पश्चिमी क्षेत्र कहा जाता है। पूर्वी-क्षेत्र में तापक्रम में प्रायः एकरूपता व सामयिक वर्षा देखने को मिलती है और साथ ही इस क्षेत्र में कई नदियां भी बहती है जिसके कारण भाग में आर्द्र जलवायु और हरियाली देखने को मिलती है। राजस्थान का पश्चिमी भाग अरावली की सूखी ढाल पर है जहां नगण्य वर्षा होती है और साथ ही बारह मास बहने वाली नदियों का भी अभाव है जिसके कारण पश्चिमी भाग अधिकांशतः ”मरुभूमि“ है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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गंडक पर मरम्मत कार्य की पुनर्बहाली

Submitted by Editorial Team on Thu, 06/25/2020 - 08:06
Author
उमेश कुमार राय
Bihar Flood
बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी संबंधित जिलों के पदाधिकारियों को पत्र लिखकर अलर्ट रहने को कहा है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय ने संबंधित जिलों के डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि जिलों में प्रतिनियुक्त एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीमो को भारी बारिश से प्रभावित होनेवाले क्षेत्रों में ही तैनात रखा जाए। साथ ही जिला पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे प्रभावित इलाकों के पंचायत प्रतिनिधियों को भारी बारिश का अलर्ट दें। 

बिहार के लिए न्यू नाॅर्मल है बाढ़

Submitted by Shivendra on Wed, 06/24/2020 - 13:47
बिहार के लिए न्यू नाॅर्मल है बाढ़
वर्ष 2007 की बाढ़ बिहार के लिए भयानक विनाश लेकर आई। इस दौरान बाढ़ का कहर 22 जिलों पर बरपा और 2.4 करोड़ से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। ऐसा मानना है कि 2400 से ज्यादा जानवरों की भी मौत हुई थी।

राजस्थान में जल संचय के परंपरागत स्रोत: वर्तमान में प्रासंगिकता 

Submitted by Editorial Team on Tue, 06/23/2020 - 16:04
Source
जल चेतना, खण्ड 7, अंक 2, जुलाई 2018, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की-247667
राजस्थान का परंपरागत तालाब;  फोटो - विकिमीडिया, Rakesh.5suthar
राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां अत्यंत विचित्र हैं जिसको बनाने का बहुत बड़ा श्रेय अरावली पर्वत श्रेणियों को है। अरावली पर्वत श्रृंखला आबू पर्वत के गुरु-शिखर से आरंभ होकर अलवर के सिंघाना तक फैली हैं। यह पर्वत-माला राजस्थान को दो भागों में विभक्त करती है- दक्षिण-पूर्व व उत्तर-पश्चिम जिसे सामान्यतः पूर्वी क्षेत्र व पश्चिमी क्षेत्र कहा जाता है। पूर्वी-क्षेत्र में तापक्रम में प्रायः एकरूपता व सामयिक वर्षा देखने को मिलती है और साथ ही इस क्षेत्र में कई नदियां भी बहती है जिसके कारण भाग में आर्द्र जलवायु और हरियाली देखने को मिलती है। राजस्थान का पश्चिमी भाग अरावली की सूखी ढाल पर है जहां नगण्य वर्षा होती है और साथ ही बारह मास बहने वाली नदियों का भी अभाव है जिसके कारण पश्चिमी भाग अधिकांशतः ”मरुभूमि“ है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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