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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Shivendra on Tue, 07/16/2019 - 15:49
Source:
अमर उजाला, 14 जुलाई 2019
hot weather in europe
फ्रांस में गर्मी में तपती धूम में प्यास बुझाने के लिए पानी भरते लोग। कल्पना कीजिए कि आप भारत की गर्मी से परेशान हो गए हैं। इससे बचने के लिए किसी पहाड़ी स्थान पर जाना चाहते हैं, लेकिन वहां भी बहुत गर्मी है। लगता है कि इससे अच्छा तो किसी ठंडे देश में ही चले जाते  और फिर आप स्वीटजरलैंड जैसे ही किसी देश की तरफ उड़ लेते है, लेकिन जब यहां आते हैं तो पाला पड़ता है, 38 और 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान से। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों की धूप भी बहुत तीखी होती है। पिछले कुछ दिनों से ऐसे नजारे मैंने हर जगह देखे हैं। फ्रांस में तो इतनी गर्मी थी कि सांस फूलती थी। खबरों के अनुसार वहां लोग गर्मी से बचने के ंलिए बीयर पीकर पानी में उतर जाते हैं और उनमें से बहुत से डूब जाते हैं। गर्मी से लड़ने के तरीके भी इन्हें मालूम नही हैं। इसलिए इन्हें लगता है कि अगर गर्मी से बचना है तो नंगे बदन रहा जाए। इस कारण डिहाइड्रेशन और तरह तरह के रोगों के शिकार भी होते हैं।
Submitted by Shivendra on Tue, 07/16/2019 - 12:32
Source:
झंकार, दैनिक जागरण, 14 जुलाई 2019
earth

पृथ्वी की प्यास बुझाने को पुरुषार्थ जरूरी है।

पृथ्वी प्रकृति के उत्पादों का ही दूसरा नाम है, मतलब पृथ्वी में उसका आवरण। पृथ्वी का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जीवन की उत्पत्ति हवा, पानी, मिट्टी के कारण ही संभव हुई है। इसकी अन्य आवश्यकताओं का बोझ भी इन्हीं पर पड़ा है। अपने जीवन को प्रभु की कृपा मान लें या प्रकृति की, बात एक ही है। पृथ्वी की पहली शिक्षा इसको समझने की ही है, जिसको समझने में हम पूरी तरह चूक चुके हैं। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी 84 लाख योनियों का स्थान भी है। मतलब इसमें पेड़, पौधों से लेकर वन्य जीव व हर तरह के जीव जुड़े हैं, इसलिए पृथ्वी को मां का दर्जा प्राप्त है। इसकी कृपा में इतने जीव पलते हैं,
Submitted by Editorial Team on Tue, 07/16/2019 - 11:51
Source:
water crisis in india
देश में पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है। देश में पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है। सभी जगह ‘पानी का संकट और उसे दूर करने के उपायों’ पर मंथन हो रहा है। पानी के संकट के लिये जनसंख्या में बढ़ोतरी, पानी का दुरुपयोग और सिंचाई के लिये पानी की बर्बादी के लिये सर्वसामान्य लोगों और किसानों को जिम्मेदार ठहराने का काम जारी है।प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण बारिश का मिजाज बदला है, अब पहले जैसी रिमझिम रिमझिम बारिश कम ही होती है। लेकिन देश में सौ साल की बारिश की गिनती बताती है कि बारिश की मात्रा लगभग समान है। देश के अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में औसत बारिश हर साल जितनी होनी चाहिये उतनी ही हो रही है। ऋतु चक्र में बदलाव के कारण चार साल में एक बार बारिश की कमी और अधिक होना भी प्रकृति चक्र के अनुरुप ही है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

गर्मी में भारत जैसा बन गया यूरोप

Submitted by Shivendra on Tue, 07/16/2019 - 15:49
Source
अमर उजाला, 14 जुलाई 2019
hot weather in europe
फ्रांस में गर्मी में तपती धूम में प्यास बुझाने के लिए पानी भरते लोग।फ्रांस में गर्मी में तपती धूम में प्यास बुझाने के लिए पानी भरते लोग। कल्पना कीजिए कि आप भारत की गर्मी से परेशान हो गए हैं। इससे बचने के लिए किसी पहाड़ी स्थान पर जाना चाहते हैं, लेकिन वहां भी बहुत गर्मी है। लगता है कि इससे अच्छा तो किसी ठंडे देश में ही चले जाते  और फिर आप स्वीटजरलैंड जैसे ही किसी देश की तरफ उड़ लेते है, लेकिन जब यहां आते हैं तो पाला पड़ता है, 38 और 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान से। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों की धूप भी बहुत तीखी होती है। पिछले कुछ दिनों से ऐसे नजारे मैंने हर जगह देखे हैं। फ्रांस में तो इतनी गर्मी थी कि सांस फूलती थी। खबरों के अनुसार वहां लोग गर्मी से बचने के ंलिए बीयर पीकर पानी में उतर जाते हैं और उनमें से बहुत से डूब जाते हैं। गर्मी से लड़ने के तरीके भी इन्हें मालूम नही हैं। इसलिए इन्हें लगता है कि अगर गर्मी से बचना है तो नंगे बदन रहा जाए। इस कारण डिहाइड्रेशन और तरह तरह के रोगों के शिकार भी होते हैं।

पृथ्वी की प्यास बुझाने को पुरुषार्थ जरूरी है

Submitted by Shivendra on Tue, 07/16/2019 - 12:32
Source
झंकार, दैनिक जागरण, 14 जुलाई 2019
earth

पृथ्वी की प्यास बुझाने को पुरुषार्थ जरूरी है।पृथ्वी की प्यास बुझाने को पुरुषार्थ जरूरी है।

पृथ्वी प्रकृति के उत्पादों का ही दूसरा नाम है, मतलब पृथ्वी में उसका आवरण। पृथ्वी का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जीवन की उत्पत्ति हवा, पानी, मिट्टी के कारण ही संभव हुई है। इसकी अन्य आवश्यकताओं का बोझ भी इन्हीं पर पड़ा है। अपने जीवन को प्रभु की कृपा मान लें या प्रकृति की, बात एक ही है। पृथ्वी की पहली शिक्षा इसको समझने की ही है, जिसको समझने में हम पूरी तरह चूक चुके हैं। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी 84 लाख योनियों का स्थान भी है। मतलब इसमें पेड़, पौधों से लेकर वन्य जीव व हर तरह के जीव जुड़े हैं, इसलिए पृथ्वी को मां का दर्जा प्राप्त है। इसकी कृपा में इतने जीव पलते हैं,

प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा है जल संकट

Submitted by Editorial Team on Tue, 07/16/2019 - 11:51
Author
विवेकानंद माथने
water crisis in india
देश में पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है।देश में पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है। देश में पानी का संकट लगातार बढ़ रहा है। सभी जगह ‘पानी का संकट और उसे दूर करने के उपायों’ पर मंथन हो रहा है। पानी के संकट के लिये जनसंख्या में बढ़ोतरी, पानी का दुरुपयोग और सिंचाई के लिये पानी की बर्बादी के लिये सर्वसामान्य लोगों और किसानों को जिम्मेदार ठहराने का काम जारी है।प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण बारिश का मिजाज बदला है, अब पहले जैसी रिमझिम रिमझिम बारिश कम ही होती है। लेकिन देश में सौ साल की बारिश की गिनती बताती है कि बारिश की मात्रा लगभग समान है। देश के अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में औसत बारिश हर साल जितनी होनी चाहिये उतनी ही हो रही है। ऋतु चक्र में बदलाव के कारण चार साल में एक बार बारिश की कमी और अधिक होना भी प्रकृति चक्र के अनुरुप ही है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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