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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Editorial Team on Wed, 04/06/2022 - 11:16
Source:
सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड
भूमिगत जल क्या है? (What is Groundwater in Hindi)
कठोर चट्टानों के क्षेत्र में उथले गहराई में अपक्षयित (Weathered) हिस्सों सें एवं गहरी गहराई में विभंगों (Fractures) एवं संधियों (Joints) में पाया जाता है। जलभृत पारगम्य होते हैं क्योंकि इनमें एक दूसरे से जुड़े हुए रिक्त स्थान होते हैं जिनमें पानी का बहाव होता है। इन मृदा एवं चट्टानों में जल बहाव इस बात पर निर्भर करता है कि इनमें पाये जाने वाले रिक्त स्थान किस आकार - प्रकार के हैं और कितनी अच्छी तरह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
Submitted by Editorial Team on Tue, 04/05/2022 - 16:00
Source:
हस्तक्षेप, 28 Aug 2021, सहारा समय
बाढ़ शहरों में भी चुनौती बनती जा रही
पहाड़ पर बरसात ज्यादा होने से नदियों का जलस्तर ज्यादा बढ़ता था और आसपास के खेत और गांव प्रभावित होते थे। इस समस्या का स्थायी हल निकालने की बजाय सालाना बाढ़ बचाओ योजना ही बनाई जाती रही हैं। अब तो मुंबई ही नहीं
Submitted by Shivendra on Tue, 04/05/2022 - 12:44
Source:
दिग्गजों की कर्मस्थली में पड़ गया सूखा
पानी के मामले में जमुना पार  क्षेत्र की स्थिति गंगा पार वाले क्षेत्र के मुकाबले बेहद  खराब है  जमुना पार के अंतर्गत आने वाले   पहाड़ी पथरीली वाला क्षेत्र शंकरगढ़ ब्लॉक में गर्मियों के समय ग्राउंड वाटर का लेवल काफी नीचे चले जाता है । जिसके कारण कई गांव में पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है  ऐसे में गींज और लोहघरा के ग्रामीणों   को पानी की पूर्ति के लिए पानी के टैंकरों और तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता है।  वही पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के  गांव मांडा में भी ग्राउंड वाटर का लेवल नीचे गिरने से अप्रैल-मई  के महीने में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है 

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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भूमिगत जल क्या है? (What is Groundwater in Hindi)

Submitted by Editorial Team on Wed, 04/06/2022 - 11:16
bhumigat-jal-kya-hai?-(What-is-Groundwater-in-Hindi)
Source
सेन्ट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड
भूमिगत जल क्या है? (What is Groundwater in Hindi)
कठोर चट्टानों के क्षेत्र में उथले गहराई में अपक्षयित (Weathered) हिस्सों सें एवं गहरी गहराई में विभंगों (Fractures) एवं संधियों (Joints) में पाया जाता है। जलभृत पारगम्य होते हैं क्योंकि इनमें एक दूसरे से जुड़े हुए रिक्त स्थान होते हैं जिनमें पानी का बहाव होता है। इन मृदा एवं चट्टानों में जल बहाव इस बात पर निर्भर करता है कि इनमें पाये जाने वाले रिक्त स्थान किस आकार - प्रकार के हैं और कितनी अच्छी तरह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

बाढ़ शहरों में भी चुनौती बनती जा रही

Submitted by Editorial Team on Tue, 04/05/2022 - 16:00
Source
हस्तक्षेप, 28 Aug 2021, सहारा समय
बाढ़ शहरों में भी चुनौती बनती जा रही
पहाड़ पर बरसात ज्यादा होने से नदियों का जलस्तर ज्यादा बढ़ता था और आसपास के खेत और गांव प्रभावित होते थे। इस समस्या का स्थायी हल निकालने की बजाय सालाना बाढ़ बचाओ योजना ही बनाई जाती रही हैं। अब तो मुंबई ही नहीं

दिग्गजों की कर्मस्थली में पड़ गया सूखा

Submitted by Shivendra on Tue, 04/05/2022 - 12:44
दिग्गजों की कर्मस्थली में पड़ गया सूखा
पानी के मामले में जमुना पार  क्षेत्र की स्थिति गंगा पार वाले क्षेत्र के मुकाबले बेहद  खराब है  जमुना पार के अंतर्गत आने वाले   पहाड़ी पथरीली वाला क्षेत्र शंकरगढ़ ब्लॉक में गर्मियों के समय ग्राउंड वाटर का लेवल काफी नीचे चले जाता है । जिसके कारण कई गांव में पेयजल की किल्लत शुरू हो जाती है  ऐसे में गींज और लोहघरा के ग्रामीणों   को पानी की पूर्ति के लिए पानी के टैंकरों और तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता है।  वही पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के  गांव मांडा में भी ग्राउंड वाटर का लेवल नीचे गिरने से अप्रैल-मई  के महीने में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है 

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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