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नए साल में सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम को शुरू कर दिया। कई सारे घोषित–अघोषित लक्ष्यों लेकर शुरू किये गए इस कार्यक्रम में रोडमैप और समय सीमा का कोई जिक्र नहीं है। कोई नहीं जानता कि नमामि गंगे कब अपने लक्ष्य तक पहुँचेगा। उमा भारती ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा वाहिनी सेना तैनात कर इसकी शुरुआत की।
गंगा वाहिनी में पूर्व सैनिकों को जोड़ा गया है जो गंगा में डाले जा रहे प्रदूषण पर नजर रखेंगे। मंत्रालय जल्दी ही कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद में भी गंगा वाहिनी की नियुक्ति करेगा। गंगा किनारे के 200 गाँवों की सीवेज व्यवस्था को सीचेवाल मॉडल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
सन्त सीचेवाल ने सामुदायिक सहयोग से पंजाब की कालीबेई नदी को गन्दे नाले से पवित्र नदी में तब्दील कर दिया था। डेढ़ साल बाद भी हम काम करने के बजाय प्रतीकों का सहारा ले रहे हैं। जब एक्शन प्लान चरम पर होना चाहिए था तब सरकार पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रही है।
अपनी वनौषधियों और सुरम्य प्राकृतिक नजारों के लिये विश्व प्रसिद्ध पातालकोट के मूल निवासी जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकता 'पानी' के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
जिन लोगों को लगता है कि मोबाइल पर इंटरनेट का धीमा चलना या फेसबुक की फ्रीबेसिक्स जैसी पहल ही हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या हैं, उनको एक बार मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले स्थित पातालकोट क्षेत्र में अवश्य जाना चाहिए।
समुद्र तल से औसतन 3,000 फीट की ऊँचाई पर बसा पातालकोट अपनी खूबसूरत घाटियों और मेहराबदार पहाड़ियों के चलते पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भले ही है लेकिन स्थानीय लोगों के लिये वहाँ जिन्दगी काटना लगातार मुश्किल बना हुआ है।
सरकार ने वहाँ स्कूल, चिकित्सालय आदि सब बनवा दिये लेकिन जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक पानी की कमी सही मायनों में इन सब पर 'पानी फेर' रही है।
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नोटिस बोर्ड
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नाकाफी गंगे
नए साल में सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम को शुरू कर दिया। कई सारे घोषित–अघोषित लक्ष्यों लेकर शुरू किये गए इस कार्यक्रम में रोडमैप और समय सीमा का कोई जिक्र नहीं है। कोई नहीं जानता कि नमामि गंगे कब अपने लक्ष्य तक पहुँचेगा। उमा भारती ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा वाहिनी सेना तैनात कर इसकी शुरुआत की।
गंगा वाहिनी में पूर्व सैनिकों को जोड़ा गया है जो गंगा में डाले जा रहे प्रदूषण पर नजर रखेंगे। मंत्रालय जल्दी ही कानपुर, वाराणसी और इलाहाबाद में भी गंगा वाहिनी की नियुक्ति करेगा। गंगा किनारे के 200 गाँवों की सीवेज व्यवस्था को सीचेवाल मॉडल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
सन्त सीचेवाल ने सामुदायिक सहयोग से पंजाब की कालीबेई नदी को गन्दे नाले से पवित्र नदी में तब्दील कर दिया था। डेढ़ साल बाद भी हम काम करने के बजाय प्रतीकों का सहारा ले रहे हैं। जब एक्शन प्लान चरम पर होना चाहिए था तब सरकार पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रही है।
उनके लिये चाँद छूने जैसा ही है पीने का पानी लाना
अपनी वनौषधियों और सुरम्य प्राकृतिक नजारों के लिये विश्व प्रसिद्ध पातालकोट के मूल निवासी जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकता 'पानी' के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
जिन लोगों को लगता है कि मोबाइल पर इंटरनेट का धीमा चलना या फेसबुक की फ्रीबेसिक्स जैसी पहल ही हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या हैं, उनको एक बार मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले स्थित पातालकोट क्षेत्र में अवश्य जाना चाहिए।
समुद्र तल से औसतन 3,000 फीट की ऊँचाई पर बसा पातालकोट अपनी खूबसूरत घाटियों और मेहराबदार पहाड़ियों के चलते पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भले ही है लेकिन स्थानीय लोगों के लिये वहाँ जिन्दगी काटना लगातार मुश्किल बना हुआ है।
सरकार ने वहाँ स्कूल, चिकित्सालय आदि सब बनवा दिये लेकिन जीवन की सबसे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक पानी की कमी सही मायनों में इन सब पर 'पानी फेर' रही है।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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