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चेन्नई पिछले दिनों आई भीषण बाढ़ की विभीषिका से धीरे-धीरे उबर रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि चेन्नई ने इस बार जैसी बाढ़ का सामना किया, वैसी बाढ़ पिछले 100 सालों में चेन्नई में नहीं आई। इस बाढ़ ने पिछले 100 सालों का रिकार्ड तोड़ दिया। इस बाढ़ से चेन्नई में तबाही का जो मंजर देखने को मिला, वह अभूतपूर्व था
भारत में विभिन्न क्षेत्रों की बढ़ती हुई और प्रतिस्पर्धात्मक माँग के कारण दिन-प्रतिदिन जल प्रबन्धन कठिन होता जा रहा है। हालांकि आज़ादी के बाद से ही भारत ने जल संसाधनों के विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं, लेकिन- ‘हमारा प्रयास ज्यादातर परियोजनाओं पर केन्द्रित रहा है जिससे पारिस्थितिकीय और प्रदूषण सम्बन्धी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जा सका।
इसके फलस्वरूप जल का अत्यधिक प्रयोग हुआ, जल प्रदूषण फैला और विभिन्न क्षेत्रों के बीच अमर्यादित प्रतिस्पर्धा बढ़ी। इसलिये जल के समुचित आवंटन, माँग के प्रबन्धन और उसके उपयोग के लिये प्रभावकारी उपाय किया जाना बहुत जरूरी है।’
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने नई दिल्ली में भारतीय यूरोपीय जल मंच की पहली बैठक का उद्घाटन करते हुए इसे स्वीकार किया।
सुबह 27 पेजी नया मसौदा आया और शाम को नया क्षण। समय- रात के सात बजकर, 16 मिनट; सजी हुई नाम पट्टिकाएँ, उनके पीछे बैठे 196 देशों के प्रतिनिधि, फ्रांसीसी विदेश मंत्री लारेंट फेबियस की मंच पर वापसी, साथ में संयुक्त राष्ट्र उच्चाधिकारी और माइक पर एक उद्घोषणा - “पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।’’
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चेन्नई की तबाही के पीछे का सच
चेन्नई पिछले दिनों आई भीषण बाढ़ की विभीषिका से धीरे-धीरे उबर रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि चेन्नई ने इस बार जैसी बाढ़ का सामना किया, वैसी बाढ़ पिछले 100 सालों में चेन्नई में नहीं आई। इस बाढ़ ने पिछले 100 सालों का रिकार्ड तोड़ दिया। इस बाढ़ से चेन्नई में तबाही का जो मंजर देखने को मिला, वह अभूतपूर्व था
भारत की जल प्रबन्धन आवश्यकताओं से निपटने के लिये भारत यूरोपीय जल मंच
भारत में विभिन्न क्षेत्रों की बढ़ती हुई और प्रतिस्पर्धात्मक माँग के कारण दिन-प्रतिदिन जल प्रबन्धन कठिन होता जा रहा है। हालांकि आज़ादी के बाद से ही भारत ने जल संसाधनों के विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं, लेकिन- ‘हमारा प्रयास ज्यादातर परियोजनाओं पर केन्द्रित रहा है जिससे पारिस्थितिकीय और प्रदूषण सम्बन्धी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जा सका।
इसके फलस्वरूप जल का अत्यधिक प्रयोग हुआ, जल प्रदूषण फैला और विभिन्न क्षेत्रों के बीच अमर्यादित प्रतिस्पर्धा बढ़ी। इसलिये जल के समुचित आवंटन, माँग के प्रबन्धन और उसके उपयोग के लिये प्रभावकारी उपाय किया जाना बहुत जरूरी है।’
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवर लाल जाट ने नई दिल्ली में भारतीय यूरोपीय जल मंच की पहली बैठक का उद्घाटन करते हुए इसे स्वीकार किया।
पेरिस जलवायु समझौते के किन्तु-परन्तु
सुबह 27 पेजी नया मसौदा आया और शाम को नया क्षण। समय- रात के सात बजकर, 16 मिनट; सजी हुई नाम पट्टिकाएँ, उनके पीछे बैठे 196 देशों के प्रतिनिधि, फ्रांसीसी विदेश मंत्री लारेंट फेबियस की मंच पर वापसी, साथ में संयुक्त राष्ट्र उच्चाधिकारी और माइक पर एक उद्घोषणा - “पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं।’’
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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