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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by RuralWater on Tue, 10/20/2015 - 12:13
Source:
Hydro power project
नदी बाँध विरोधियों के लिये अच्छी खबर है कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली सरकार को चेताया है कि वह बाँधों के निर्माण के लिये तब तक दबाव न डाले, जब तक कि वह दिल्ली की जल-जरूरत को पूरा करने के लिये अपने सभी स्थानीय विकल्पों का उपयोग नहीं कर लेती। जाहिर है कि इन विकल्पों में दिल्ली के सिर पर बरसने वाला वर्षाजल संचयन, प्रमुख है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली अपने जल प्रबन्धन को सक्षम बनाए तथा जलापूर्ति तंत्र को बेहतर करे।

पनबिजली के विरोधाभास
नदी बाँध विरोधियों के लिये बुरी खबर है कि देश की इसी सबसे बड़ी अदालत ने अलकनंदा-भागीरथी नदी बेसिन की पूर्व चिन्हित 24 परियोजनाओं को छोड़कर, उत्तराखण्ड राज्य की शेष पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये, पर्यावरण मंत्रालय को छूट दे दी है।
Submitted by RuralWater on Sun, 10/18/2015 - 15:16
Source:
statue immersion
नवरात्र विशेष
धर्म जगत के सभी आचार्यों को प्रणाम।
मूर्ति विसर्जन पर एक विनम्र निवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उचित लगे, तो स्वीकारें और अनुचित लगे, तो मुझे सुधारें।
खुशी होगी।

आचार्यवर!
आम धारणा है कि मुख्य रूप से उद्योग, सीवेज और शहरी ठोस कचरा मिलकर हमारी नदियों को प्रदूषित करते हैं। इसीलिये प्रदूषण के दूसरे स्रोत, कभी किसी बड़े प्रदूषण विरोधी आन्दोलन का निशाना नहीं बने। समाज ने खेती में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को नदी के लिये कभी बड़ा खतरा नहीं माना।

संस्कार व दूसरे धार्मिक कर्मकाण्डों में प्रयोग होने वाली सामग्रियों के कारण नदियों का कुुछ नुकसान होने की बात का विरोध ही हुआ। देखने में यही लगता है कि धूप, दीप, कपूर, सिंदूर, रोली-मोली, माला, माचिस की छोटी सी तीली, और पूजा के शेष अवशेष मिलकर भी क्या नुकसान करेंगे इतनी बड़ी नदी का। इसी सोच के कारण हम अपनी आस्था को आगे पाते हैं और नदी की सेहत को पीछे।
Submitted by RuralWater on Sun, 10/18/2015 - 14:13
Source:
water
दरअसल पानी की समस्या अकेले हमारे देश की ही नहीं समूचे विश्व की है लेकिन हमारे यहाँ जिस तरह पानी की बर्बादी होती है, उसे देखते हुए यदि इस पर समय रहते शीघ्र अंकुश नहीं लगाया गया तो फिर बहुत देर हो जाएगी और तब हम कुछ भी नहीं कर पाएँगे।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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यूँ तो सुफल नहीं ला पाएगी ‘नमामि गंगे’

Submitted by RuralWater on Tue, 10/20/2015 - 12:13
Author
अरुण तिवारी
Hydro power project
.नदी बाँध विरोधियों के लिये अच्छी खबर है कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली सरकार को चेताया है कि वह बाँधों के निर्माण के लिये तब तक दबाव न डाले, जब तक कि वह दिल्ली की जल-जरूरत को पूरा करने के लिये अपने सभी स्थानीय विकल्पों का उपयोग नहीं कर लेती। जाहिर है कि इन विकल्पों में दिल्ली के सिर पर बरसने वाला वर्षाजल संचयन, प्रमुख है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली अपने जल प्रबन्धन को सक्षम बनाए तथा जलापूर्ति तंत्र को बेहतर करे।

पनबिजली के विरोधाभास


नदी बाँध विरोधियों के लिये बुरी खबर है कि देश की इसी सबसे बड़ी अदालत ने अलकनंदा-भागीरथी नदी बेसिन की पूर्व चिन्हित 24 परियोजनाओं को छोड़कर, उत्तराखण्ड राज्य की शेष पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये, पर्यावरण मंत्रालय को छूट दे दी है।

मूर्ति विसर्जन पर एक चिट्ठी, धर्माचार्यों के नाम

Submitted by RuralWater on Sun, 10/18/2015 - 15:16
Author
अरुण तिवारी
statue immersion

नवरात्र विशेष


धर्म जगत के सभी आचार्यों को प्रणाम।
मूर्ति विसर्जन पर एक विनम्र निवेदन प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उचित लगे, तो स्वीकारें और अनुचित लगे, तो मुझे सुधारें।
खुशी होगी।


आचार्यवर!
.आम धारणा है कि मुख्य रूप से उद्योग, सीवेज और शहरी ठोस कचरा मिलकर हमारी नदियों को प्रदूषित करते हैं। इसीलिये प्रदूषण के दूसरे स्रोत, कभी किसी बड़े प्रदूषण विरोधी आन्दोलन का निशाना नहीं बने। समाज ने खेती में प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों को नदी के लिये कभी बड़ा खतरा नहीं माना।

संस्कार व दूसरे धार्मिक कर्मकाण्डों में प्रयोग होने वाली सामग्रियों के कारण नदियों का कुुछ नुकसान होने की बात का विरोध ही हुआ। देखने में यही लगता है कि धूप, दीप, कपूर, सिंदूर, रोली-मोली, माला, माचिस की छोटी सी तीली, और पूजा के शेष अवशेष मिलकर भी क्या नुकसान करेंगे इतनी बड़ी नदी का। इसी सोच के कारण हम अपनी आस्था को आगे पाते हैं और नदी की सेहत को पीछे।

जल संसाधनों में सुधार बिना समस्या का निदान बेमानी

Submitted by RuralWater on Sun, 10/18/2015 - 14:13
Author
ज्ञानेन्द्र रावत
water
. दरअसल पानी की समस्या अकेले हमारे देश की ही नहीं समूचे विश्व की है लेकिन हमारे यहाँ जिस तरह पानी की बर्बादी होती है, उसे देखते हुए यदि इस पर समय रहते शीघ्र अंकुश नहीं लगाया गया तो फिर बहुत देर हो जाएगी और तब हम कुछ भी नहीं कर पाएँगे।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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