नया ताजा

पसंदीदा आलेख

आगामी कार्यक्रम

खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Thu, 09/24/2015 - 13:54
Source:
विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
रायपुर/खारून नदी के किनारे सात मीटर के एक टीले के प्रारम्भिक सर्वेक्षण में ही पुरातत्व शास्त्रियों को चौंकाने वाले सबूत मिले हैं।

दो हजार साल पुराने कुषाण राजाओं के तांबे से बने दो गोल सिक्के और सातवाहन राजा के शासनकाल का चौकोन सिक्का मिला है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को पहचान देने वाली इस नदी के किनारे ग्राम जमराव में दो से ढाई हजार साल पुरानी एक और बसाहट मिली है। यह गाँव पाटन तहसील में आता है।

जिस तरह के मिट्टी के बर्तन, पासे और दूसरी चीजें यहाँ मिलीं हैं, उसे देखते हुए जमराव के तरीघाट की तरह बड़ी बसाहट मिलने की उम्मीद है। नतीजों से उत्साहित राज्य पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के डायरेक्टर राकेश चतुर्वेदी अगले सीजन में यहाँ खुदाई या उत्खनन की अनुमति लेने की तैयारी में हैं।
Submitted by RuralWater on Mon, 09/21/2015 - 11:49
Source:
dry river
विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
Submitted by RuralWater on Sun, 09/20/2015 - 12:23
Source:
R. Swami Ayyar
विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
27 सितम्बर को हर वर्ष आना है अन्तरराष्ट्रीय नदी दिवस बनकर। किन्तु अब श्री रामास्वामी आर. अय्यर नहीं आएँगे। मुद्दा नदी का हो या जलनीति का, कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा; बाल सुलभ सरलता.. मुस्कान लिये दुबले-पतले-लम्बे-गौरवर्ण श्री अय्यर सहजता से आते थे और सबसे पीछे की खाली कुर्सियों में ऐसे बैठ जाते थे, मानों वह हों ही नहीं। वह अब सचमुच नहीं हैं। 9 सितम्बर, 2015 को वह नहीं रहे। कई आयोजनों, रचनाओं और आन्दोलनों की ‘बैकफोर्स’ चली गई।

श्री अय्यर यदि कोई फिल्म स्टार, खिलाड़ी, नेता, बड़े अपराधी या आतंकवादी होते, तो शायद यह हमारे टी वी चैनलों के लिये ‘प्राइम न्यूज’ और अखबारों के लिये ‘हेडलाइन’ होती।

नई दिल्ली के लोदी रोड स्थित श्मशान गृह में हुए उनके अन्त्येष्टि संस्कार में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर शोक जताने वालों की सूची अच्छी-खासी लम्बी होती; कैमरों की कतार होती; फ्लैश चमके होते, किन्तु यह सब नहीं हुआ; क्योंकि वह, वे सभी नहीं थे।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

अपनी मौत पर रो रही है नदी

Submitted by RuralWater on Thu, 09/24/2015 - 13:54
Author
शिरीष खरे

विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष


. रायपुर/खारून नदी के किनारे सात मीटर के एक टीले के प्रारम्भिक सर्वेक्षण में ही पुरातत्व शास्त्रियों को चौंकाने वाले सबूत मिले हैं।

दो हजार साल पुराने कुषाण राजाओं के तांबे से बने दो गोल सिक्के और सातवाहन राजा के शासनकाल का चौकोन सिक्का मिला है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को पहचान देने वाली इस नदी के किनारे ग्राम जमराव में दो से ढाई हजार साल पुरानी एक और बसाहट मिली है। यह गाँव पाटन तहसील में आता है।

जिस तरह के मिट्टी के बर्तन, पासे और दूसरी चीजें यहाँ मिलीं हैं, उसे देखते हुए जमराव के तरीघाट की तरह बड़ी बसाहट मिलने की उम्मीद है। नतीजों से उत्साहित राज्य पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के डायरेक्टर राकेश चतुर्वेदी अगले सीजन में यहाँ खुदाई या उत्खनन की अनुमति लेने की तैयारी में हैं।

श्री अय्यर के बिना यह नदी दिवस

Submitted by RuralWater on Sun, 09/20/2015 - 12:23
Author
अरुण तिवारी
R. Swami Ayyar

विश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष


. 27 सितम्बर को हर वर्ष आना है अन्तरराष्ट्रीय नदी दिवस बनकर। किन्तु अब श्री रामास्वामी आर. अय्यर नहीं आएँगे। मुद्दा नदी का हो या जलनीति का, कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा; बाल सुलभ सरलता.. मुस्कान लिये दुबले-पतले-लम्बे-गौरवर्ण श्री अय्यर सहजता से आते थे और सबसे पीछे की खाली कुर्सियों में ऐसे बैठ जाते थे, मानों वह हों ही नहीं। वह अब सचमुच नहीं हैं। 9 सितम्बर, 2015 को वह नहीं रहे। कई आयोजनों, रचनाओं और आन्दोलनों की ‘बैकफोर्स’ चली गई।

श्री अय्यर यदि कोई फिल्म स्टार, खिलाड़ी, नेता, बड़े अपराधी या आतंकवादी होते, तो शायद यह हमारे टी वी चैनलों के लिये ‘प्राइम न्यूज’ और अखबारों के लिये ‘हेडलाइन’ होती।

नई दिल्ली के लोदी रोड स्थित श्मशान गृह में हुए उनके अन्त्येष्टि संस्कार में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर शोक जताने वालों की सूची अच्छी-खासी लम्बी होती; कैमरों की कतार होती; फ्लैश चमके होते, किन्तु यह सब नहीं हुआ; क्योंकि वह, वे सभी नहीं थे।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Upcoming Event

Popular Articles