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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Hindi on Sat, 12/29/2012 - 11:38
Source:
प्रवक्ता, 04 जुलाई 2012
राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद ने अंततः ‘राष्ट्रीय जल नीति-2012’ को स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद की छठी बैठक में राष्ट्रीय जल नीति का रास्ता साफ हो गया। हालांकि भारत सरकार का तर्क यह है कि यह जल नीति पानी की समस्याओं से निपटने के लिए सरकार के निचले स्तरों पर जरूरी अधिकार देने की पक्षधर है। पर दरअसल सरकारों की मंशा पानी जैसे बहुमूल्य संसाधन को कंपनियों के हाथ में सौंपने की है। आम आदमी पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए भी तरस जाएगा, बता रहे हैं डॉ. राजेश कपूर।

प्रस्ताव की धारा 7.4 में जल वितरण के लिए शुल्क एकत्रित करने, उसका एक भाग शुल्क के रूप में रखने आदि के अलावा उन्हें वैधानिक अधिकार प्रदान करने की भी सिफारिश की गयी है। ऐसा होने पर तो पानी के प्रयोग को लेकर एक भी गलती होने पर कानूनी कार्यवाही भुगतनी पड़ेगी। ये सारे कानून आज लागू नहीं हैं तो भी पानी के लिए कितना मारा-मारी होती है। ऐसे कठोर नियंत्रण होने पर क्या होगा? जो निर्धन पानी नहीं ख़रीद सकेंगे उनका क्या होगा? किसान खेती कैसे करेंगे? नदियों के जल पर भी ठेका लेने वाली कंपनी के पूर्ण अधिकार का प्रावधान है।

भारत सरकार के विचार की दिशा, कार्य और चरित्र को समझने के लिए “राष्ट्रीय जल नीति-2012” एक प्रामाणिक दस्तावेज़ है। इस दस्तावेज़ से स्पष्ट रूप से समझ आ जाता है कि सरकार देश के नहीं, केवल मेगा कंपनियों और विदेशी निगमों के हित में कार्य कर रही है। देश की संपदा की असीमित लूट बड़ी क्रूरता से चल रही है। इस नीति के लागू होने के बाद आम आदमी पानी जैसी मूलभूत ज़रूरत के लिए तरस जाएगा। खेती तो क्या पीने को पानी दुर्लभ हो जाएगा।

29 फरवरी तक इस नीति पर सुझाव मांगे गए थे। शायद ही किसी को इसके बारे में पता चला हो। उद्देश्य भी यही रहा होगा कि पता न चले और औपचारिकता पूरी हो जाए। अब जल आयोग इसे लागू करने को स्वतंत्र है और शायद लागू कर भी चुका है। इस नीति के लागू होने से पैदा भयावह स्थिति का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। विश्व में जिन देशों में जल के निजीकरण की यह नीति लागू हुई है, उसके कई उदहारण उपलब्ध हैं।
Submitted by Hindi on Thu, 12/27/2012 - 15:29
Source:
नेशनल दुनिया, 16 नवंबर 2012
fluorosis
पारंपरिक जल स्रोतों, नदी-नालों व तालाब-बावड़ियों से पटे मध्य प्रदेश में पिछला दशक जल समस्या का चरम काल रहा है। हालांकि इस समस्या को उपजाने में समाज के उन्हीं लोगों का योगदान अधिक रहा है जो इन दिनों इसके निदान का एकमात्र जरिया भूगर्भ जल दोहन बता रहे हैं। जिससे मध्य प
Submitted by Hindi on Mon, 12/24/2012 - 12:22
Source:
चौथी दुनिया, 17 मार्च 2012
महाराष्ट्र में किसानों से पानी छिनकर कंपनियों को देना एक आम बात होता जा रहा है। पानी पर पहला हक किसानों और नागरिकों का ना होकर के कंपनियों का हो रहा है। अमरावती के किसानों के हक का पानी मारकर इंडिया बुल्स अब नासिक के खेतों के पानी पर डाका डालने जा रही है। पानी पर डाका डालने का खेल अमरावती के बाद अब नासिक और अहमदनगर में सिंचाई विभाग के मदद से खेला जाना है। इससे आने वाले दिनों में नासिक के किसानों और नागरिकों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। इंडिया बुल्स द्वारा किसानों के पानी पर डाका डालने के बारे में बता रहे हैं, प्रवीण महाजन।

सिंचाई विभाग से करार होने के पहले तक यह संभावना थी कि इंडिया बुल्स का मनपा प्रशासन के साथ पानी आपूर्ति का करार हो जाएगा। इस प्लांट को मंजूरी दिए जाने के दौरान यह तय हुआ था कि सिंचाई विभाग द्वारा जो पानी दैनंदिन जरूरतों के लिए मनपा प्रशासन को उपलब्ध कराया जाता है, उससे निकलने वाले मलजल (दूषित पानी) को फिल्टर कर पुनः बिजली उत्पादन के लिए इंडिया बुल्स के पॉवर प्लांट को दिया जाएगा। महाराष्ट्र में जहां एक ओर इंडिया बुल्स का जलवा बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर किसानों पर आफत आ रही है। इंडिया बुल्स अमरावती के किसानों के हक के पानी पर डाका डालने के बाद अब नासिक के खेतों के पानी पर भी डाका डालने जा रही है। यह सब सरकारी स्तर पर हो रहा है। सरकार कहती जरूर है कि पानी पर पहला हक किसानों और नागरिकों का है, लेकिन उसकी कथनी-करनी में जमीन और आसमान का अंतर है। इंडिया बुल्स के नासिक के निकट स्थापित हो रहे पॉवर प्लांट को पानी मुहैया कराने के लिए सिंचाई विभाग के साथ करार भी कर लिया है।सिंचाई विभाग को यह करार करने पर जहां 72 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इससे नासिक महानगर पालिका को करारा झटका लगा है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

जलनीति का मकड़जाल

Submitted by Hindi on Sat, 12/29/2012 - 11:38
Author
डॉ. राजेश कपूर
Source
प्रवक्ता, 04 जुलाई 2012
राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद ने अंततः ‘राष्ट्रीय जल नीति-2012’ को स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद की छठी बैठक में राष्ट्रीय जल नीति का रास्ता साफ हो गया। हालांकि भारत सरकार का तर्क यह है कि यह जल नीति पानी की समस्याओं से निपटने के लिए सरकार के निचले स्तरों पर जरूरी अधिकार देने की पक्षधर है। पर दरअसल सरकारों की मंशा पानी जैसे बहुमूल्य संसाधन को कंपनियों के हाथ में सौंपने की है। आम आदमी पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए भी तरस जाएगा, बता रहे हैं डॉ. राजेश कपूर।

प्रस्ताव की धारा 7.4 में जल वितरण के लिए शुल्क एकत्रित करने, उसका एक भाग शुल्क के रूप में रखने आदि के अलावा उन्हें वैधानिक अधिकार प्रदान करने की भी सिफारिश की गयी है। ऐसा होने पर तो पानी के प्रयोग को लेकर एक भी गलती होने पर कानूनी कार्यवाही भुगतनी पड़ेगी। ये सारे कानून आज लागू नहीं हैं तो भी पानी के लिए कितना मारा-मारी होती है। ऐसे कठोर नियंत्रण होने पर क्या होगा? जो निर्धन पानी नहीं ख़रीद सकेंगे उनका क्या होगा? किसान खेती कैसे करेंगे? नदियों के जल पर भी ठेका लेने वाली कंपनी के पूर्ण अधिकार का प्रावधान है।

भारत सरकार के विचार की दिशा, कार्य और चरित्र को समझने के लिए “राष्ट्रीय जल नीति-2012” एक प्रामाणिक दस्तावेज़ है। इस दस्तावेज़ से स्पष्ट रूप से समझ आ जाता है कि सरकार देश के नहीं, केवल मेगा कंपनियों और विदेशी निगमों के हित में कार्य कर रही है। देश की संपदा की असीमित लूट बड़ी क्रूरता से चल रही है। इस नीति के लागू होने के बाद आम आदमी पानी जैसी मूलभूत ज़रूरत के लिए तरस जाएगा। खेती तो क्या पीने को पानी दुर्लभ हो जाएगा।

29 फरवरी तक इस नीति पर सुझाव मांगे गए थे। शायद ही किसी को इसके बारे में पता चला हो। उद्देश्य भी यही रहा होगा कि पता न चले और औपचारिकता पूरी हो जाए। अब जल आयोग इसे लागू करने को स्वतंत्र है और शायद लागू कर भी चुका है। इस नीति के लागू होने से पैदा भयावह स्थिति का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। विश्व में जिन देशों में जल के निजीकरण की यह नीति लागू हुई है, उसके कई उदहारण उपलब्ध हैं।

लोगों को विकलांग बनाता पानी

Submitted by Hindi on Thu, 12/27/2012 - 15:29
Author
पंकज चतुर्वेदी
Source
नेशनल दुनिया, 16 नवंबर 2012
fluorosis
पारंपरिक जल स्रोतों, नदी-नालों व तालाब-बावड़ियों से पटे मध्य प्रदेश में पिछला दशक जल समस्या का चरम काल रहा है। हालांकि इस समस्या को उपजाने में समाज के उन्हीं लोगों का योगदान अधिक रहा है जो इन दिनों इसके निदान का एकमात्र जरिया भूगर्भ जल दोहन बता रहे हैं। जिससे मध्य प

अब इंडिया बुल्स छिनेगी नासिक के किसानों का पानी

Submitted by Hindi on Mon, 12/24/2012 - 12:22
Author
प्रवीण महाजन
Source
चौथी दुनिया, 17 मार्च 2012
महाराष्ट्र में किसानों से पानी छिनकर कंपनियों को देना एक आम बात होता जा रहा है। पानी पर पहला हक किसानों और नागरिकों का ना होकर के कंपनियों का हो रहा है। अमरावती के किसानों के हक का पानी मारकर इंडिया बुल्स अब नासिक के खेतों के पानी पर डाका डालने जा रही है। पानी पर डाका डालने का खेल अमरावती के बाद अब नासिक और अहमदनगर में सिंचाई विभाग के मदद से खेला जाना है। इससे आने वाले दिनों में नासिक के किसानों और नागरिकों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। इंडिया बुल्स द्वारा किसानों के पानी पर डाका डालने के बारे में बता रहे हैं, प्रवीण महाजन।

सिंचाई विभाग से करार होने के पहले तक यह संभावना थी कि इंडिया बुल्स का मनपा प्रशासन के साथ पानी आपूर्ति का करार हो जाएगा। इस प्लांट को मंजूरी दिए जाने के दौरान यह तय हुआ था कि सिंचाई विभाग द्वारा जो पानी दैनंदिन जरूरतों के लिए मनपा प्रशासन को उपलब्ध कराया जाता है, उससे निकलने वाले मलजल (दूषित पानी) को फिल्टर कर पुनः बिजली उत्पादन के लिए इंडिया बुल्स के पॉवर प्लांट को दिया जाएगा। महाराष्ट्र में जहां एक ओर इंडिया बुल्स का जलवा बढ़ता जा रहा है, तो दूसरी ओर किसानों पर आफत आ रही है। इंडिया बुल्स अमरावती के किसानों के हक के पानी पर डाका डालने के बाद अब नासिक के खेतों के पानी पर भी डाका डालने जा रही है। यह सब सरकारी स्तर पर हो रहा है। सरकार कहती जरूर है कि पानी पर पहला हक किसानों और नागरिकों का है, लेकिन उसकी कथनी-करनी में जमीन और आसमान का अंतर है। इंडिया बुल्स के नासिक के निकट स्थापित हो रहे पॉवर प्लांट को पानी मुहैया कराने के लिए सिंचाई विभाग के साथ करार भी कर लिया है।सिंचाई विभाग को यह करार करने पर जहां 72 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इससे नासिक महानगर पालिका को करारा झटका लगा है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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