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‘जलमेव जीवनम्’ जल की महत्ता अर्थात जल ही जीवन है। वेद, पुराणों में लिखी गई, यह उक्ति भारतीय संस्कृति में जल की महत्ता को प्रदर्शित करती है। पृथ्वी की उत्पत्ति व मानवीय सभ्यता के विकास में जल की अहम भूमिका रही है। जल को हमारे प्राचीन ग्रंथों में विदित पांच तत्वों (जल, वायु; अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश) में स्थान दिया गया है, जिनसे मानव शरीर की रचना हुई है। इस प्रकार जल एवं वायु जीवन के अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। प्राचीन काल से ही प्रत्येक मांगलिक अवसर पर जल देवता, जल स्रोत का पूजन-अर्चन किया जाता रहा है। रहीम जी की निम्न कविता भी यही इंगित करती है कि - जल बिना जग अधूरा है, जीवन में प्रतिष्ठा का पर्याय जल ही है।
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सांभर झील प्रबंधन एजेंसी के गठन को मिली मंजूरी
गंगा को बचाने के लिए पूर्व सैनिकों की सबसे लंबी पदयात्रा
जल संरक्षण ही जीवन संरक्षण
‘जलमेव जीवनम्’ जल की महत्ता अर्थात जल ही जीवन है। वेद, पुराणों में लिखी गई, यह उक्ति भारतीय संस्कृति में जल की महत्ता को प्रदर्शित करती है। पृथ्वी की उत्पत्ति व मानवीय सभ्यता के विकास में जल की अहम भूमिका रही है। जल को हमारे प्राचीन ग्रंथों में विदित पांच तत्वों (जल, वायु; अग्नि, पृथ्वी एवं आकाश) में स्थान दिया गया है, जिनसे मानव शरीर की रचना हुई है। इस प्रकार जल एवं वायु जीवन के अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। प्राचीन काल से ही प्रत्येक मांगलिक अवसर पर जल देवता, जल स्रोत का पूजन-अर्चन किया जाता रहा है। रहीम जी की निम्न कविता भी यही इंगित करती है कि - जल बिना जग अधूरा है, जीवन में प्रतिष्ठा का पर्याय जल ही है।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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