तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

हिंडन के इस मामले में भी ट्रिब्यूनल ने 16 अप्रैल, 2012 को फिलहाल मिट्टी भराव पर रोक लगा दी है। अभी डाली जा चुकी मिट्टी..बनाई जा चुकी भरवा सड़क को हटाकर खंभों पर निर्माण का निर्णय कराना बाकी है। कहना न होगा कि लंबी लड़ाई के बाद मिले इस स्थगनादेश ने हारी बाजी पलट दी है। इससे हिंडन की निर्मलता और
वैज्ञानिकों की नजर में भारत का घोड़ामारा द्वीप, समंदर बढ़ने के खतरे का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह द्वीप क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और जैव-विविधता के लिहाज से समृद्ध रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तो यह मशहूर पर्यटन स्थल भी बन चुका था। बंगाल की खाड़ी में स्थित यह द्वीप कभी नौ वर्ग किलोमीटीर के क्षेत्र में फैला हुआ था। पिछले 25 वर्षों में इसका क्षेत्रफल घटकर 4.7 वर्ग किलोमीटर रह गया है। इस द्वीप को लेकर बड़े पैमाने पर चिंता जताई जा रही है।
ये प्रलय के पदचिह्न नहीं तो और क्या हैं? समंदर का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और जीवन से सराबोर द्वीप शनैःशनैः जलसमाधि ले रहे हैं। भारत और बांग्लादेश जिस एक द्वीप पर अपना हक जताते हुए पिछले तीन दशकों से खुद को विवादों में उलझाए हुए थे उसका आदर्श न्याय प्रकृति ने खुद ही कर दिया है। ताजा शोध रपटों के अनुसार, भारत द्वारा पूर्वाशा और बांग्लादेश द्वारा दक्षिणी तालपट्टी नाम से अलंकृत साढ़े तीन वर्ग किलोमीटर का वह द्वीप अब समुद्र में समा चुका है। बंगाल की खाड़ी में 70 के दशक में खोज निकाले गए एक द्वीप पर दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे।वैज्ञानिकों की नजर में भारत का घोड़ामारा द्वीप, समंदर बढ़ने के खतरे का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह द्वीप क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और जैव-विविधता के लिहाज से समृद्ध रहा है। पिछले कुछ वर्षों में तो यह मशहूर पर्यटन स्थल भी बन चुका था। बंगाल की खाड़ी में स्थित यह द्वीप कभी नौ वर्ग किलोमीटीर के क्षेत्र में फैला हुआ था। पिछले 25 वर्षों में इसका क्षेत्रफल घटकर 4.7 वर्ग किलोमीटर रह गया है। इस द्वीप को लेकर बड़े पैमाने पर चिंता जताई जा रही है।
ये प्रलय के पदचिह्न नहीं तो और क्या हैं? समंदर का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और जीवन से सराबोर द्वीप शनैःशनैः जलसमाधि ले रहे हैं। भारत और बांग्लादेश जिस एक द्वीप पर अपना हक जताते हुए पिछले तीन दशकों से खुद को विवादों में उलझाए हुए थे उसका आदर्श न्याय प्रकृति ने खुद ही कर दिया है। ताजा शोध रपटों के अनुसार, भारत द्वारा पूर्वाशा और बांग्लादेश द्वारा दक्षिणी तालपट्टी नाम से अलंकृत साढ़े तीन वर्ग किलोमीटर का वह द्वीप अब समुद्र में समा चुका है। बंगाल की खाड़ी में 70 के दशक में खोज निकाले गए एक द्वीप पर दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे।
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