तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

ब्रह्मपुत्र सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक दर्शन है-समन्वय का। इसके तटों पर कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिलन हुआ है। आर्य-अनार्य, मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़, मुगल-आहोम संस्कृतियों की टकराहट और मिलन का गवाह यह ब्रह्मपुत्र रहा है। जिस तरह अनेक नदियां इसमें समाहित होकर आगे बढ़ी हैं, उसी तरह कई संस्कृतियों ने मिलकर एक अलग संस्कृति का गठन किया है। ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर की, असम की पहचान है, जीवन है और संस्कृति भी। असम का जीवन तो इसी पर निर्भर है। असमिया समाज, सभ्यता और संस्कृति पर इसका प्रभाव युगों-युगों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों में देखा जा सकता है।
चीन की कुदृष्टि की वजह से तिब्बत से बांग्लादेश तक फैले विस्तृत ब्रह्मपुत्र नदी का अस्तित्व खतरे में है। इस बात की खबर आ रही है कि अपने देश में चीन इस नदी की धारा मोड़ने या पनबिजली परियोजना के लिए बांध बनाकर उसके प्रवाह को रोकने की साजिश कर रहा है। इस महानदी के सूखने का मतलब कई संस्कृतियों और सभ्यताओं का सूखना है इसलिए अरुणाचल से असम तक ब्रह्मपुत्र के किनारे बसे लोगों में बेचैनी है। हालांकि चीन बार-बार ऐसे आरोपों से इनकार कर चुका है लेकिन जब 29 फरवरी को अरुणाचल के पासीघाट के निकट सियांग नदी (अरुणाचल में ब्रह्मपुत्र को इसी नाम से जाना जाता है) का जलस्तर गिरता हुआ बिल्कुल बरसाती नदी जैसा हो गया तो पूरे राज्य में सनसनी फैल गई। अरुणाचल प्रदेश के सरकारी प्रवक्ता ताको दाबी ने इस बात की जानकारी फौरन राज्य सरकार को दी और केंद्र सरकार से वास्तविकता का पता लगाने का आग्रह किया। लोगों को लग रहा है कि चीन ब्रह्मपुत्र की धारा के साथ छेड़छाड़ कर रहा है।ब्रह्मपुत्र सिर्फ एक नदी नहीं है। यह एक दर्शन है-समन्वय का। इसके तटों पर कई सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिलन हुआ है। आर्य-अनार्य, मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़, मुगल-आहोम संस्कृतियों की टकराहट और मिलन का गवाह यह ब्रह्मपुत्र रहा है। जिस तरह अनेक नदियां इसमें समाहित होकर आगे बढ़ी हैं, उसी तरह कई संस्कृतियों ने मिलकर एक अलग संस्कृति का गठन किया है। ब्रह्मपुत्र पूर्वोत्तर की, असम की पहचान है, जीवन है और संस्कृति भी। असम का जीवन तो इसी पर निर्भर है। असमिया समाज, सभ्यता और संस्कृति पर इसका प्रभाव युगों-युगों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों में देखा जा सकता है।
चीन की कुदृष्टि की वजह से तिब्बत से बांग्लादेश तक फैले विस्तृत ब्रह्मपुत्र नदी का अस्तित्व खतरे में है। इस बात की खबर आ रही है कि अपने देश में चीन इस नदी की धारा मोड़ने या पनबिजली परियोजना के लिए बांध बनाकर उसके प्रवाह को रोकने की साजिश कर रहा है। इस महानदी के सूखने का मतलब कई संस्कृतियों और सभ्यताओं का सूखना है इसलिए अरुणाचल से असम तक ब्रह्मपुत्र के किनारे बसे लोगों में बेचैनी है। हालांकि चीन बार-बार ऐसे आरोपों से इनकार कर चुका है लेकिन जब 29 फरवरी को अरुणाचल के पासीघाट के निकट सियांग नदी (अरुणाचल में ब्रह्मपुत्र को इसी नाम से जाना जाता है) का जलस्तर गिरता हुआ बिल्कुल बरसाती नदी जैसा हो गया तो पूरे राज्य में सनसनी फैल गई। अरुणाचल प्रदेश के सरकारी प्रवक्ता ताको दाबी ने इस बात की जानकारी फौरन राज्य सरकार को दी और केंद्र सरकार से वास्तविकता का पता लगाने का आग्रह किया। लोगों को लग रहा है कि चीन ब्रह्मपुत्र की धारा के साथ छेड़छाड़ कर रहा है।
पसंदीदा आलेख