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'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।
धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है। इन्सानी फितरत और प्राकृतिक संसाधनों
भारतीय किसानों ने एक बार पुनः सिद्ध कर दिया है कि खेती के प्रयोग वातानुकूलित बंद कमरों में नहीं किए जा सकते। खेतों में खरपतवार नष्ट करने के लिए बजाए रासायनिक पदार्थों के गाजर का इस्तेमाल भारतीय किसानों की विशेषज्ञता को सिद्ध करता है। विश्वविद्यालय का कहना है कि वह 15 वर्ष पूर्व ऐसा सफल परीक्षण कर चुका है। उनका यह कथन आंशिक रूप से सही पर यह सिद्ध करता है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक बड़ी कंपनियों से संचालित हैं। वरना वे अपने सफल प्रयोग पर जमी धूल को डेढ़ दशक तक झाड़ क्यों नहीं पाए?
खरपतवार की वजह से भारत के किसानों को प्रतिवर्ष 52,000 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ता है। इन्हें हाथ से उखाड़ने और रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से लागत भी बढ़ती है। वहीं कीटनाशक तो इसका कोई हल ही नहीं क्योंकि कुछ ही समय में खरपतवार इसकी आदी हो जाती है। इस दौरान महाराष्ट्र के किसानों ने प्रयोगों के माध्यम से यह पाया कि खेत में गाजर लगाने से खरपतवार समाप्त हो जाती हैमध्य प्रदेश के झाबुआ जिलें में स्थित जोबट बांध (चन्द्रशेखर परियोजना) नर्मदा घाटी मे बनने वाले 30 प्रमुख बांधों में से एक है। नर्मदा की सहायक नदी ‘हथनी’ पर स्थित इस विवादास्पद बांध की अधिकतम ऊंचाई 34.6 मीटर है। इस बांध के बांयी छोर से निकलने वाले 29.73 किमी लम्बे नहर से 9848 हेक्टेअर क्षेत्र की सिंचाई प्रस्तावित है। परियोजना के डीपीआर के अनुसार परियोजना से सालाना 12,507 हेक्टेअर सकल क्षेत्र सिंचाई किये जाने का प्रस्ताव है। डीपीआर में, बांध से बनने वाले जलाशय से 13 गांवों के 595 परिवारों सहित 1216 हेक्टेअर क्षेत्र प्रभावित होने की बात कही गई है। जबकि 104 हेक्टेअर वन भूमि भी प्रभावित होने क
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प्यासी होती सभ्यता
'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।
धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है। इन्सानी फितरत और प्राकृतिक संसाधनों
मीठे गाजर लगाओ खरपतवार भगाओ
भारतीय किसानों ने एक बार पुनः सिद्ध कर दिया है कि खेती के प्रयोग वातानुकूलित बंद कमरों में नहीं किए जा सकते। खेतों में खरपतवार नष्ट करने के लिए बजाए रासायनिक पदार्थों के गाजर का इस्तेमाल भारतीय किसानों की विशेषज्ञता को सिद्ध करता है। विश्वविद्यालय का कहना है कि वह 15 वर्ष पूर्व ऐसा सफल परीक्षण कर चुका है। उनका यह कथन आंशिक रूप से सही पर यह सिद्ध करता है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक बड़ी कंपनियों से संचालित हैं। वरना वे अपने सफल प्रयोग पर जमी धूल को डेढ़ दशक तक झाड़ क्यों नहीं पाए?
खरपतवार की वजह से भारत के किसानों को प्रतिवर्ष 52,000 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ता है। इन्हें हाथ से उखाड़ने और रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से लागत भी बढ़ती है। वहीं कीटनाशक तो इसका कोई हल ही नहीं क्योंकि कुछ ही समय में खरपतवार इसकी आदी हो जाती है। इस दौरान महाराष्ट्र के किसानों ने प्रयोगों के माध्यम से यह पाया कि खेत में गाजर लगाने से खरपतवार समाप्त हो जाती हैजोबट बांध परियोजना का सच
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिलें में स्थित जोबट बांध (चन्द्रशेखर परियोजना) नर्मदा घाटी मे बनने वाले 30 प्रमुख बांधों में से एक है। नर्मदा की सहायक नदी ‘हथनी’ पर स्थित इस विवादास्पद बांध की अधिकतम ऊंचाई 34.6 मीटर है। इस बांध के बांयी छोर से निकलने वाले 29.73 किमी लम्बे नहर से 9848 हेक्टेअर क्षेत्र की सिंचाई प्रस्तावित है। परियोजना के डीपीआर के अनुसार परियोजना से सालाना 12,507 हेक्टेअर सकल क्षेत्र सिंचाई किये जाने का प्रस्ताव है। डीपीआर में, बांध से बनने वाले जलाशय से 13 गांवों के 595 परिवारों सहित 1216 हेक्टेअर क्षेत्र प्रभावित होने की बात कही गई है। जबकि 104 हेक्टेअर वन भूमि भी प्रभावित होने क
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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