नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 1. कम्पोस्ट - (पुं.) (वि.) - (अं.) कृषि वि. खेती में प्रयोग की जाने वाली वह खाद जिसमें प्रमुख रूप से कार्बन और खनिज पदार्थ रहते हैं तथा जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से तैयार की जाती है। टि. प्राय: सड़े-गले पौधों, पशुओं के मल इत्यादि को मिटटी में कुछ समय तक दबाकर यह खाद प्राप्त की जाती है। compost
खाद बनने के लिए गोबर आदि को सड़ाना पड़ता है, ऐसी भाषा हम बोलते हैं और ‘सड़ाना’ शब्द के साथ कुछ कमी का, बिगाड़ का भाव है। असल में उसे हम ‘सड़ाना’ नहीं, ‘पकाना’ कहेंगे, ‘गलाना’ कहेंगे जैसे कि अनाज पकाकर खाया जाता है।
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 2. मैले से माने गये अनर्थ का मूल कारण यह है कि उसे चीन में कच्चा या अधपका ही उपयोग में लाया जाता होगा। यह हमने ऊपर देखा। किसी चीज का खाद के तौर पर उपयोग करने के पहले वह पूरी गली हुई याने पकी होनी चाहिए, यह बात आदमी प्राचीन काल से जानता आया है। गोबर के गलने के बाद ही खाद के तौर पर किसान उसका उपयोग करता है। गोबर आदि को ताजा देने के बजाय सड़ा-गलाकर देना अधिक उपयोगी है। यह बात जरा विचित्र तो लगती है क्योंकि और चीजें तो ताजी अच्छी होती हैं, जैसा कि हम अनुभव करते हैं, फिर खाद के संबंध में यह उल्टी बात क्यों? इसकी एक वजह तो यह है कि खाद बनने के लिए गोबर
चकाचौंध से अभी भी कोसों दूर उड़ीसा के बाकी देहाती कस्बों जैसा ही है बोलंगीर। एक लाख से थोड़ी ज्यादा आबादी का छोटा शहर और दिल्ली और गुडगांव जैसे शहरों से लगभग दोगुनी औसत वर्षा के बावजूद भी बोलंगीर प्यासा क्यों? बोलंगीर कोई रेगिस्तान का हिस्सा नहीं है। पूरे शहर में 100 छोटे-बड़े तालाबों का जाल बिछा हुआ है।
उड़ीसा के पश्चिम अंचल का एक जिला है बोलंगीर। हालांकि किसी परिचय का मोहताज नहीं है यह इलाका। भूख से मौतों के लिए चर्चा में रहने वाले ‘केबीके’ को आप जानते ही होंगे। केबीके का अर्थ है कालाहांडी, बोलंगीर और कोरापूट। इन तीन जिलों से बने इलाके को भारत का सबसे गरीब क्षेत्र माना जाता है। यह तीनों ही उड़ीसा के जिले हैं। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न इस इलाके के कोरापूट को तो उड़ीसा का कश्मीर भी कहा जाता है। इनके बीच का ही बोलंगीर जिले का मुख्यालय बोलंगीर कस्बा इन दिनों गम्भीर जलसंकट से जूझ रहा है।उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्धों में पछुवा तथा व्यापारिक पवनों की पेटियों के मध्य पायी जाने वाली उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी जो सामान्यतः 300 से 350 अक्षांशों के मध्य स्थित होती है। मौसमी परिवर्तन के कारण यह पेटी सूर्य के साथ उत्तर या दक्षिण की ओर कुछ खिसकती रहती है। इस पेटी में प्रतिचक्रवातीय दशाएं पायी जाती हैं जिससे वायुमंडल में स्थिरता आ जाती है और पवन संचार अत्यंत मंद हो जाता है। प्राचीनकाल में जब घोड़े से लदे हुए पाल से चलने वाले जलयान इस पेटी में प्रवेश करते थे, शांत तथा अनिश्चित दिशा वाली पवनों के कारण उनके संचालन में कठिनाइयाँ उपस्थित होती थीं और जलयान को हल्का करने के लिए कुछ घ
Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi)
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 1. कम्पोस्ट - (पुं.) (वि.) - (अं.) कृषि वि. खेती में प्रयोग की जाने वाली वह खाद जिसमें प्रमुख रूप से कार्बन और खनिज पदार्थ रहते हैं तथा जो कार्बनिक पदार्थों के विघटन से तैयार की जाती है। टि. प्राय: सड़े-गले पौधों, पशुओं के मल इत्यादि को मिटटी में कुछ समय तक दबाकर यह खाद प्राप्त की जाती है। compost
खाद बनने के लिए गोबर आदि को सड़ाना पड़ता है, ऐसी भाषा हम बोलते हैं और ‘सड़ाना’ शब्द के साथ कुछ कमी का, बिगाड़ का भाव है। असल में उसे हम ‘सड़ाना’ नहीं, ‘पकाना’ कहेंगे, ‘गलाना’ कहेंगे जैसे कि अनाज पकाकर खाया जाता है।
कम्पोस्ट परिभाषा (Compost Definition in Hindi) 2. मैले से माने गये अनर्थ का मूल कारण यह है कि उसे चीन में कच्चा या अधपका ही उपयोग में लाया जाता होगा। यह हमने ऊपर देखा। किसी चीज का खाद के तौर पर उपयोग करने के पहले वह पूरी गली हुई याने पकी होनी चाहिए, यह बात आदमी प्राचीन काल से जानता आया है। गोबर के गलने के बाद ही खाद के तौर पर किसान उसका उपयोग करता है। गोबर आदि को ताजा देने के बजाय सड़ा-गलाकर देना अधिक उपयोगी है। यह बात जरा विचित्र तो लगती है क्योंकि और चीजें तो ताजी अच्छी होती हैं, जैसा कि हम अनुभव करते हैं, फिर खाद के संबंध में यह उल्टी बात क्यों? इसकी एक वजह तो यह है कि खाद बनने के लिए गोबर
बोलंगीर प्यासा क्यों
चकाचौंध से अभी भी कोसों दूर उड़ीसा के बाकी देहाती कस्बों जैसा ही है बोलंगीर। एक लाख से थोड़ी ज्यादा आबादी का छोटा शहर और दिल्ली और गुडगांव जैसे शहरों से लगभग दोगुनी औसत वर्षा के बावजूद भी बोलंगीर प्यासा क्यों? बोलंगीर कोई रेगिस्तान का हिस्सा नहीं है। पूरे शहर में 100 छोटे-बड़े तालाबों का जाल बिछा हुआ है।
उड़ीसा के पश्चिम अंचल का एक जिला है बोलंगीर। हालांकि किसी परिचय का मोहताज नहीं है यह इलाका। भूख से मौतों के लिए चर्चा में रहने वाले ‘केबीके’ को आप जानते ही होंगे। केबीके का अर्थ है कालाहांडी, बोलंगीर और कोरापूट। इन तीन जिलों से बने इलाके को भारत का सबसे गरीब क्षेत्र माना जाता है। यह तीनों ही उड़ीसा के जिले हैं। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न इस इलाके के कोरापूट को तो उड़ीसा का कश्मीर भी कहा जाता है। इनके बीच का ही बोलंगीर जिले का मुख्यालय बोलंगीर कस्बा इन दिनों गम्भीर जलसंकट से जूझ रहा है।अश्व अक्षांश (horse latitude)
उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलार्धों में पछुवा तथा व्यापारिक पवनों की पेटियों के मध्य पायी जाने वाली उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी जो सामान्यतः 300 से 350 अक्षांशों के मध्य स्थित होती है। मौसमी परिवर्तन के कारण यह पेटी सूर्य के साथ उत्तर या दक्षिण की ओर कुछ खिसकती रहती है। इस पेटी में प्रतिचक्रवातीय दशाएं पायी जाती हैं जिससे वायुमंडल में स्थिरता आ जाती है और पवन संचार अत्यंत मंद हो जाता है। प्राचीनकाल में जब घोड़े से लदे हुए पाल से चलने वाले जलयान इस पेटी में प्रवेश करते थे, शांत तथा अनिश्चित दिशा वाली पवनों के कारण उनके संचालन में कठिनाइयाँ उपस्थित होती थीं और जलयान को हल्का करने के लिए कुछ घ
Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख