नया ताजा

पसंदीदा आलेख

आगामी कार्यक्रम

खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Editorial Team on Sat, 07/06/2019 - 16:20
Source:
water and environment
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट से पहले सरकार ने पानी की सारी समस्याओं के लिए ‘जल शक्ति मंत्रालय’ बनाया है। जिसने लक्ष्य रखा है कि 2024 तक हर घर तक जल पहुंचाएगा। जल के लिए इस बजट में वही जगह दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पर्यावरण मंत्रालय के बजट, जल शक्ति मंत्रालय का लक्ष्य और स्वच्छ भारत मिशन के बारे में अपनी स्पीच में जानकारी दी। जब देश जल संकट के भयावह दौर से गुजर रहा है, नीति आयोग की रिपोर्ट साफ-साफ कह रही है कि 2021 तक देश के 21 बड़े शहर जल संकट की चपेट में होंगे। इसके बावजूद इस बजट में जल संकट और जल संरक्षण को बहुत कम जगह दी गई।
Submitted by Editorial Team on Sat, 07/06/2019 - 13:58
Source:
कृषि चौपाल, जून 2019 
olive farming
जैतून के तेल उत्पादन के सूखे को दूर करेगी। भारत इस महत्वाकांक्षी परियोजना के माध्यम से जैतून तेल उत्पादन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी देश बनना चाहता है। राजस्थान इसके उत्पादन से स्पेन, इटली और ग्रीस को चुनौती देने के लिए तैयार हो रहा है। राजस्थान सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड के योगेश वर्मा कहते हैं कि ‘एजेंसी इस प्रोजेक्ट को विस्तार देने के लिए काम कर रही है। 2008 से अब तक 1 लाख 44 हजार जैतून के पेड़ लगाए जा चुके हैं’। इसके पेड़ लगभग 260 हेक्टेयर में सरकारी और निजी भूमि पर लगाए गए हैं। राजस्थान की लंबी गर्मी और सर्दियों का छोटा मौसम जैतून के उत्पादन के अनुकूल माने जाते हैं। ऐसे मौसम में जैतून के पेड़ तेजी से विकसित होते हैं।
Submitted by Shivendra on Fri, 07/05/2019 - 12:04
Source:
विज्ञान प्रगति
air pollution caused by wars
युद्ध और आतंक से गहराता वायु प्रदूषण। अपनी ताकत दिखाते देशों का परिणाम युद्ध विभीषिका हो या फिर आतंकी गतिविधियों का आधार, ‘विस्फोट’ दोनों ही जहरीली गैसों की सौगात देकर हवा में प्रदूषणकारी तत्व घोल देते हैं, जो मानव सहित सभी जीव और वनस्पतियों के लिए घातक हैं। कई देशों के बीच बढ़ते संघर्ष को देखते हुए 21वीं सदी में परमाणु युद्ध की आशंका और बढ़ गई है। यदि मानवता के दुर्भाग्य से ऐसा हुआ तो धरती को तबाह होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। परमाणु बमों की विध्वंशक क्षमता टीएनटी (ट्राइनाइट्रोटालूईन) में आंकी जा रही है। टीएनटी एक साधारण विस्फोटक हैं, जिसे सैनिक और निर्माण कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने जो सबसे बड़ा सामान्य बम (गैर परमाणु) गिराया था, उसकी विध्वंशक क्षमता लगभग 20 टीएनटी थी। हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम इससे कोई 600 गुना ज्यादा शक्तिशाली था।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

सरकार के 2019-20 के बजट में पानी और पर्यावरण को जगह

Submitted by Editorial Team on Sat, 07/06/2019 - 16:20
water and environment
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना पहला बजट पेश किया।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना पहला बजट पेश किया। इस बजट से पहले सरकार ने पानी की सारी समस्याओं के लिए ‘जल शक्ति मंत्रालय’ बनाया है। जिसने लक्ष्य रखा है कि 2024 तक हर घर तक जल पहुंचाएगा। जल के लिए इस बजट में वही जगह दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पर्यावरण मंत्रालय के बजट, जल शक्ति मंत्रालय का लक्ष्य और स्वच्छ भारत मिशन के बारे में अपनी स्पीच में जानकारी दी। जब देश जल संकट के भयावह दौर से गुजर रहा है, नीति आयोग की रिपोर्ट साफ-साफ कह रही है कि 2021 तक देश के 21 बड़े शहर जल संकट की चपेट में होंगे। इसके बावजूद इस बजट में जल संकट और जल संरक्षण को बहुत कम जगह दी गई।

जैतून की खेती करके पानी की बचत कर रहे हैं राजस्थान के किसान

Submitted by Editorial Team on Sat, 07/06/2019 - 13:58
Source
कृषि चौपाल, जून 2019 
olive farming
जैतून के तेल उत्पादन के सूखे को दूर करेगी।जैतून के तेल उत्पादन के सूखे को दूर करेगी। भारत इस महत्वाकांक्षी परियोजना के माध्यम से जैतून तेल उत्पादन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी देश बनना चाहता है। राजस्थान इसके उत्पादन से स्पेन, इटली और ग्रीस को चुनौती देने के लिए तैयार हो रहा है। राजस्थान सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड के योगेश वर्मा कहते हैं कि ‘एजेंसी इस प्रोजेक्ट को विस्तार देने के लिए काम कर रही है। 2008 से अब तक 1 लाख 44 हजार जैतून के पेड़ लगाए जा चुके हैं’। इसके पेड़ लगभग 260 हेक्टेयर में सरकारी और निजी भूमि पर लगाए गए हैं। राजस्थान की लंबी गर्मी और सर्दियों का छोटा मौसम जैतून के उत्पादन के अनुकूल माने जाते हैं। ऐसे मौसम में जैतून के पेड़ तेजी से विकसित होते हैं।

युद्ध और आतंक से गहराता वायु प्रदूषण

Submitted by Shivendra on Fri, 07/05/2019 - 12:04
Source
विज्ञान प्रगति
air pollution caused by wars
युद्ध और आतंक से गहराता वायु प्रदूषण।युद्ध और आतंक से गहराता वायु प्रदूषण। अपनी ताकत दिखाते देशों का परिणाम युद्ध विभीषिका हो या फिर आतंकी गतिविधियों का आधार, ‘विस्फोट’ दोनों ही जहरीली गैसों की सौगात देकर हवा में प्रदूषणकारी तत्व घोल देते हैं, जो मानव सहित सभी जीव और वनस्पतियों के लिए घातक हैं। कई देशों के बीच बढ़ते संघर्ष को देखते हुए 21वीं सदी में परमाणु युद्ध की आशंका और बढ़ गई है। यदि मानवता के दुर्भाग्य से ऐसा हुआ तो धरती को तबाह होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। परमाणु बमों की विध्वंशक क्षमता टीएनटी (ट्राइनाइट्रोटालूईन) में आंकी जा रही है। टीएनटी एक साधारण विस्फोटक हैं, जिसे सैनिक और निर्माण कार्यो में इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने जो सबसे बड़ा सामान्य बम (गैर परमाणु) गिराया था, उसकी विध्वंशक क्षमता लगभग 20 टीएनटी थी। हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम इससे कोई 600 गुना ज्यादा शक्तिशाली था।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Upcoming Event

Popular Articles