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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Editorial Team on Wed, 04/24/2019 - 13:24
Source:
view of Vabsandra lake after rejuvenation in Bengaluru

वाबसंद्रा झील: पुनरोद्धार के बाद की तस्वीर

सिल्वर सिटी बेंगलुरु पानी की किल्लत से बेहाल हो चुका है। एक करोड़ से अधिक आबादी वाला शहर बेंगलुरु साफ़ पानी के भारी संकट से जूझ रहा है। शहर को पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत  कावेरी नदी और झीलें ही रही है। यहाँ भूजल का स्तर इस कदर नीचे हो गया है कि शहर में पानी का संकट विकराल हो चुका है। आनंद आंनद मल्लिग्वाद सूखती झीलों के लिये जैसे मसीहा बन गए। लगभग खत्म हो चुकी इस झील को आनंद और उनके साथियों ने अपनी मेहनत से 30 फीट गहरे पानी का भंडार बना दिया था । नीलगिरी पहाड़ियों के बीच और ऊँचे पेड़ों के बीच स्थित यह स्थान अब एक प्रकार के छोटे ऊटी में बदल गया है, तो इसका श्रेय आनंद आंनद मल्लिग्वाद को जाता है।
Submitted by RuralWater on Mon, 04/22/2019 - 13:19
Source:
Periyar River Kerala

 

(पश्चिमी घाट में शिवगिरी की पहाड़ियों से निकलने वाली पेरियार नदी केरल की सबसे लम्बी नदी है। 244 किमी लम्बी पेरियार केरल की जीवनदायिनी है। पर आज प्रदूषण का रोग इस नदी को भी बीमार बना रहा है। फिलहाल पेरियार के प्रदूषण के एक मामले में एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। पेरियार नदी में अवैध रूप से गिरने वाले अस्पतालों और उद्योगों के अपशिष्ट व दूषित जल के एक मामले में एनजीटी ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर भास्करन द्वारा लिखे गए एक पत्र को ही रिट-पेटीशन मान लिया है। और एक संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह समिति पर्यावरण को होने वाले नुकसान की तो जांच करेगी ही और उन व्यक्तियों की पहचान करेगी जो पेरियार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं ताकि नदी को अपनी पुरानी स्थिति में लाने के लिये लगने वाले खर्च की वसूली भी उनसे की जा सके। एक बार फिर ‘पॉल्यूटर पैज़’ (यानी प्रदूषक ही पैसा दे) प्रिंसिपल का सम्मान करते हुए न्यायपालिका ने कानूनी ढाँचे को मजबूत किया है। - संपादक)

पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कितने ही मामले रोजाना सामने आते हैं। कुछ मामले कोर्ट तक पहुँच जाते हैं तो कुछ अनदेखे कर दिये जाते हैं। कितनों की सुनवाई कोर्ट में विचाराधीन है। ज्यादातर मामले तो प्रशासन की लापरवाही और अकर्मण्यता की पोल खोलते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया पेरियार नदी का।
Submitted by editorial on Sun, 02/03/2019 - 09:58
Source:
गंगा
कानपुर में गंगा नदी में गिरता नाले का पानी (फोटो साभार - द वायर)गंगा केवल नदी नहीं है। यह भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसके बिना इस देश की कल्पना नहीं की जा सकती है। नदियों को धरती की धमनियाँ कहा जाता है। जैसे शरीर की धमनियों से बहता रक्त जीवन के लिये जरूरी है, उसी तरह नदियों का बहना भी दुनिया के वजूद के लिये अहम है। धमनी अगर सूख जाये, तो वो अंग काम नहीं करता है। उसी तरह अगर नदी सूख जाये, तो उसके आसपास के इलाकों की सुख-समृद्धि थम जाती है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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पानी की समस्या से जूझ रहे बेंगलुरु की झीलों को बचाने उतरे आंनद मल्लिगावद

Submitted by Editorial Team on Wed, 04/24/2019 - 13:24
view of Vabsandra lake after rejuvenation in Bengaluru

वाबसंद्रा झील: पुनरोद्धार के बाद की तस्वीरवाबसंद्रा झील: पुनरोद्धार के बाद की तस्वीर

सिल्वर सिटी बेंगलुरु पानी की किल्लत से बेहाल हो चुका है। एक करोड़ से अधिक आबादी वाला शहर बेंगलुरु साफ़ पानी के भारी संकट से जूझ रहा है। शहर को पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत  कावेरी नदी और झीलें ही रही है। यहाँ भूजल का स्तर इस कदर नीचे हो गया है कि शहर में पानी का संकट विकराल हो चुका है। आनंद आंनद मल्लिग्वाद सूखती झीलों के लिये जैसे मसीहा बन गए। लगभग खत्म हो चुकी इस झील को आनंद और उनके साथियों ने अपनी मेहनत से 30 फीट गहरे पानी का भंडार बना दिया था । नीलगिरी पहाड़ियों के बीच और ऊँचे पेड़ों के बीच स्थित यह स्थान अब एक प्रकार के छोटे ऊटी में बदल गया है, तो इसका श्रेय आनंद आंनद मल्लिग्वाद को जाता है।

पेरियार नदी में कचरा नहीं डलेगाः एनजीटी

Submitted by RuralWater on Mon, 04/22/2019 - 13:19
Author
मीनाक्षी अरोड़ा
Periyar River Kerala

 

(पश्चिमी घाट में शिवगिरी की पहाड़ियों से निकलने वाली पेरियार नदी केरल की सबसे लम्बी नदी है। 244 किमी लम्बी पेरियार केरल की जीवनदायिनी है। पर आज प्रदूषण का रोग इस नदी को भी बीमार बना रहा है। फिलहाल पेरियार के प्रदूषण के एक मामले में एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। पेरियार नदी में अवैध रूप से गिरने वाले अस्पतालों और उद्योगों के अपशिष्ट व दूषित जल के एक मामले में एनजीटी ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर भास्करन द्वारा लिखे गए एक पत्र को ही रिट-पेटीशन मान लिया है। और एक संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह समिति पर्यावरण को होने वाले नुकसान की तो जांच करेगी ही और उन व्यक्तियों की पहचान करेगी जो पेरियार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं ताकि नदी को अपनी पुरानी स्थिति में लाने के लिये लगने वाले खर्च की वसूली भी उनसे की जा सके। एक बार फिर ‘पॉल्यूटर पैज़’ (यानी प्रदूषक ही पैसा दे) प्रिंसिपल का सम्मान करते हुए न्यायपालिका ने कानूनी ढाँचे को मजबूत किया है। - संपादक)

पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कितने ही मामले रोजाना सामने आते हैं। कुछ मामले कोर्ट तक पहुँच जाते हैं तो कुछ अनदेखे कर दिये जाते हैं। कितनों की सुनवाई कोर्ट में विचाराधीन है। ज्यादातर मामले तो प्रशासन की लापरवाही और अकर्मण्यता की पोल खोलते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया पेरियार नदी का।

नमामि गंगे के शोर के बीच नाले में तब्दील हो रही गंगा

Submitted by editorial on Sun, 02/03/2019 - 09:58
Author
उमेश कुमार राय
गंगा
कानपुर में गंगा नदी में गिरता नाले का पानीकानपुर में गंगा नदी में गिरता नाले का पानी (फोटो साभार - द वायर)गंगा केवल नदी नहीं है। यह भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसके बिना इस देश की कल्पना नहीं की जा सकती है। नदियों को धरती की धमनियाँ कहा जाता है। जैसे शरीर की धमनियों से बहता रक्त जीवन के लिये जरूरी है, उसी तरह नदियों का बहना भी दुनिया के वजूद के लिये अहम है। धमनी अगर सूख जाये, तो वो अंग काम नहीं करता है। उसी तरह अगर नदी सूख जाये, तो उसके आसपास के इलाकों की सुख-समृद्धि थम जाती है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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