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बकुची-अख्तियारपुर में बागमती और लखनदेई का संगम स्थलसत्तर के दशक में जब बागमती नदी पर तटबन्ध बनाया जा रहा था, तब ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। उस वक्त कुछ दूर तक तटबन्ध बने, लेकिन लोगों के विरोध के मद्देनजर काम बन्द कर दिया गया था। इस घटना के लगभग चार दशक गुजर जाने के बाद दोबारा बिहार सरकार बाकी हिस्से पर तटबन्ध बनाना चाहती है और इस बार भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तटबन्ध बनने से उन्हें फायदे की जगह नुकसान होगा लेकिन सरकार का तर्क है कि वह तटबन्ध बनाकर बाढ़ को बाँध देगी। तटबन्ध की खिलाफत करने वाले लोगों के साथ सरकार की बातचीत हुई, तो तटबन्ध से होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करने के लिये विशेषज्ञों की कमेटी बनाने पर सहमति बनी, लेकिन तटबन्ध के खिलाफ आन्दोलन करने वाले लोगों का आरोप है कि किसी भी तरह सरकार तटबन्ध बनाने पर आमादा है और वह आम लोगों के हित नहीं देख रही है।
दूषित पानी से पनप रही हैं बीमारियाँआज समूची दुनिया प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही है। हालात इतने विषम और भयावह हैं कि प्रदूषित पानी पीने से आज इंसान भयानक बीमारियों की चपेट में आकर अनचाहे मौत का शिकार हो रहा है। असलियत यह है कि पूरी दुनिया में जितनी मौतें सड़क दुर्घटना, एचआईवी या किसी और बीमारी से नहीं होतीं, उससे कई गुणा अधिक मौतें प्रदूषित पानी पीने से उपजी बीमारियों के कारण होती हैं।
यदि संयुक्त राष्ट्र की मानें तो समूची दुनिया में हर साल आठ लाख लोगों की मौत केवल प्रदूषित पानी पीने से होती है। संयुक्त राष्ट्र की बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एशिया, लैटिन अमरीका और अफ्रीका में हर साल तकरीब 35 लाख लोगों की मौतें दूषित पानी के सम्पर्क में आने से होने वाली बीमारियों के चलते होती हैं। गरीब देशों में यह समस्या और गम्भीर है।
तीस्ता नदीभारत एवं बांग्लादेश के बीच 22 समझौतों के जरिए सहयोग का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। दोनों देशों के बीच रक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग, रेल एवं बस यात्रा शुरू करने समेत साइबर सुरक्षा से जुड़े अहम समझौते हुए हैं। भारत बांग्लादेश को 29 हजार करोड़ रुपए रियायती ब्याज दर पर कर्ज भी देगा। इसके अलावा बांग्लादेश को सैन्य आपूर्ति के लिये 50 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज देने की भी घोषणा की है।
भारत द्वारा इतनी उदारता बरती जाने के बावजूद पिछले सात वर्ष से अनसुलझा पड़ा तीस्ता जल बँटवारे का मुद्दा लम्बित ही रह गया। हालांकि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भरोसा जताया है कि इस मुद्दे का हल जल्दी ही निकलेगा। तात्कालिक परिस्थितियों में भारत की इस उदारता को इसलिये औचित्यपूर्ण ठहराया जा सकता है, क्योंकि पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत में जहाँ निरन्तर आतंक का निर्यात करने में लगा है, वहीं चीन तिब्बती धर्म-गुरू दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर भारत से आँखें तरेरे हुए है।
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बागमती को बाँधने में किसी का हित नहीं
सत्तर के दशक में जब बागमती नदी पर तटबन्ध बनाया जा रहा था, तब ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध किया था। उस वक्त कुछ दूर तक तटबन्ध बने, लेकिन लोगों के विरोध के मद्देनजर काम बन्द कर दिया गया था। इस घटना के लगभग चार दशक गुजर जाने के बाद दोबारा बिहार सरकार बाकी हिस्से पर तटबन्ध बनाना चाहती है और इस बार भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तटबन्ध बनने से उन्हें फायदे की जगह नुकसान होगा लेकिन सरकार का तर्क है कि वह तटबन्ध बनाकर बाढ़ को बाँध देगी। तटबन्ध की खिलाफत करने वाले लोगों के साथ सरकार की बातचीत हुई, तो तटबन्ध से होने वाले नफा-नुकसान का आकलन करने के लिये विशेषज्ञों की कमेटी बनाने पर सहमति बनी, लेकिन तटबन्ध के खिलाफ आन्दोलन करने वाले लोगों का आरोप है कि किसी भी तरह सरकार तटबन्ध बनाने पर आमादा है और वह आम लोगों के हित नहीं देख रही है।
प्रदूषित पानी आज भी एक भीषण समस्या
आज समूची दुनिया प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही है। हालात इतने विषम और भयावह हैं कि प्रदूषित पानी पीने से आज इंसान भयानक बीमारियों की चपेट में आकर अनचाहे मौत का शिकार हो रहा है। असलियत यह है कि पूरी दुनिया में जितनी मौतें सड़क दुर्घटना, एचआईवी या किसी और बीमारी से नहीं होतीं, उससे कई गुणा अधिक मौतें प्रदूषित पानी पीने से उपजी बीमारियों के कारण होती हैं।
यदि संयुक्त राष्ट्र की मानें तो समूची दुनिया में हर साल आठ लाख लोगों की मौत केवल प्रदूषित पानी पीने से होती है। संयुक्त राष्ट्र की बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एशिया, लैटिन अमरीका और अफ्रीका में हर साल तकरीब 35 लाख लोगों की मौतें दूषित पानी के सम्पर्क में आने से होने वाली बीमारियों के चलते होती हैं। गरीब देशों में यह समस्या और गम्भीर है।
तीस्ता के जल बँटवारे का नहीं हुआ समाधान
भारत एवं बांग्लादेश के बीच 22 समझौतों के जरिए सहयोग का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। दोनों देशों के बीच रक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग, रेल एवं बस यात्रा शुरू करने समेत साइबर सुरक्षा से जुड़े अहम समझौते हुए हैं। भारत बांग्लादेश को 29 हजार करोड़ रुपए रियायती ब्याज दर पर कर्ज भी देगा। इसके अलावा बांग्लादेश को सैन्य आपूर्ति के लिये 50 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज देने की भी घोषणा की है।
भारत द्वारा इतनी उदारता बरती जाने के बावजूद पिछले सात वर्ष से अनसुलझा पड़ा तीस्ता जल बँटवारे का मुद्दा लम्बित ही रह गया। हालांकि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भरोसा जताया है कि इस मुद्दे का हल जल्दी ही निकलेगा। तात्कालिक परिस्थितियों में भारत की इस उदारता को इसलिये औचित्यपूर्ण ठहराया जा सकता है, क्योंकि पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत में जहाँ निरन्तर आतंक का निर्यात करने में लगा है, वहीं चीन तिब्बती धर्म-गुरू दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर भारत से आँखें तरेरे हुए है।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
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