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कालीचाट फिल्म ने एक बार फिर पानी के नाम पर चल रहे खतरनाक किस्म के गोरखधन्धों की ओर नए सिरे से ध्यान खींचा है। पानी के लिये आज का समाज किस विभ्रम की स्थिति में है, यह किसी से छुपा नहीं है।
बेहतर कल गढ़ने का दारोमदार बच्चों के कन्धों पर होता है लेकिन बचपन ही अगर विकलांगता की जद में आ जाये तो आने वाले कल की तस्वीर निश्चित तौर पर बेहद बदरंग और धुँधली होगी।
आगरा जिले के बरौली अहिर ब्लॉक के कई गाँवों में नौनिहाल फ्लोरोसिस जैसी बीमारी के चंगुल में आहिस्ता-आहिस्ता फँसे जा रहे हैं।
बरौली अहिर ब्लॉक के पचगाँय खेड़ा ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले सभी तीन गाँवों में रहने वाले अधिकांश बच्चों में फ्लोरोसिस के संकेत देखने को मिल रहे हैं।
बच्चों में फ्लोरोसिस का प्राथमिक लक्षण दाँतों में दिखता है। दाँतों में पीले और सफेद दाग पड़ जाते हैं। इन गाँवों के बच्चों में ये दाग साफ देखे जा सकते हैं। इक्का-दुक्का बच्चों पर तो फ्लोरोसिस ने इतना असर डाल दिया है कि उनके पैरों की हडि्डयों में टेढ़ापन आ गया है।
संसद के मानसून सत्र में ‘कम्पन्सैटरी एफॉरेस्टेशन मैनेजमेंट एंड प्लानिंग ऑथरिटी’ बिल, जिसे संक्षेप में कैम्पा और हिन्दी में प्रतिपूरक वनीकरण बिल कहा जाता है, बिना किसी विशेष चर्चा के पारित हो गया। इस महत्त्वपूर्ण बिल पर मीडिया में लगभग कोई चर्चा नहीं हुई। इस बिल के क्रियान्वयन की बागडोर पहले की तरह वन विभाग को दे दी गई है।
इस कारण वनों के जनपक्षीय सरोकारों से जुड़े व्यक्ति व संस्थाएँ, जिस रूप में यह पारित हुआ है, उससे विचलित हैं। यह बिल देश के करोड़ों वनों पर आश्रित रहने वाले वनवासी ग्रामीणों को उनके वन अधिकारों से वंचित करने का एक गम्भीर प्रयास हो सकता है, जिसके दीर्घकालीन गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
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पानी के छलावे की फिल्म है कालीचाट
फ्लोरोसिस के शिकंजे में बचपन
बेहतर कल गढ़ने का दारोमदार बच्चों के कन्धों पर होता है लेकिन बचपन ही अगर विकलांगता की जद में आ जाये तो आने वाले कल की तस्वीर निश्चित तौर पर बेहद बदरंग और धुँधली होगी।
आगरा जिले के बरौली अहिर ब्लॉक के कई गाँवों में नौनिहाल फ्लोरोसिस जैसी बीमारी के चंगुल में आहिस्ता-आहिस्ता फँसे जा रहे हैं।
बरौली अहिर ब्लॉक के पचगाँय खेड़ा ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाले सभी तीन गाँवों में रहने वाले अधिकांश बच्चों में फ्लोरोसिस के संकेत देखने को मिल रहे हैं।
बच्चों में फ्लोरोसिस का प्राथमिक लक्षण दाँतों में दिखता है। दाँतों में पीले और सफेद दाग पड़ जाते हैं। इन गाँवों के बच्चों में ये दाग साफ देखे जा सकते हैं। इक्का-दुक्का बच्चों पर तो फ्लोरोसिस ने इतना असर डाल दिया है कि उनके पैरों की हडि्डयों में टेढ़ापन आ गया है।
वन अधिकार कानून 2006 को निष्क्रिय करने का प्रयास
संसद के मानसून सत्र में ‘कम्पन्सैटरी एफॉरेस्टेशन मैनेजमेंट एंड प्लानिंग ऑथरिटी’ बिल, जिसे संक्षेप में कैम्पा और हिन्दी में प्रतिपूरक वनीकरण बिल कहा जाता है, बिना किसी विशेष चर्चा के पारित हो गया। इस महत्त्वपूर्ण बिल पर मीडिया में लगभग कोई चर्चा नहीं हुई। इस बिल के क्रियान्वयन की बागडोर पहले की तरह वन विभाग को दे दी गई है।
इस कारण वनों के जनपक्षीय सरोकारों से जुड़े व्यक्ति व संस्थाएँ, जिस रूप में यह पारित हुआ है, उससे विचलित हैं। यह बिल देश के करोड़ों वनों पर आश्रित रहने वाले वनवासी ग्रामीणों को उनके वन अधिकारों से वंचित करने का एक गम्भीर प्रयास हो सकता है, जिसके दीर्घकालीन गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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