तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि समुद्र मंथन से निकला विष पीने वाले भगवान शिव तरह-तरह के प्राणियों के साथ शान्त वातावरण में रहना पसन्द करते हैं। भोलेनाथ का अगर कैलाश या काशी या काठमांडु में आने वाले भक्तों और पर्यटकों से जी उकता जाये, तो मुदियाली उनके रहने योग्य जगह है।
यह पशुपतिनाथ का सजीव मन्दिर है, भले उनकी मूर्ति यहाँ हो या न हो। - ये हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘जल-थल-मल’ में लेखक सोपान जोशी के शब्द हैं। विशाल कलेवर की पुस्तक में मुदियाली सहकारी समिति से सम्बन्धित उद्धरण को मामूली जोड़-घटाव के साथ यहाँ दिया जा रहा है। मकसद इसे रेखांकित करना है कि देश भर के लिये समस्या बनी शहरी मलजल और औद्योगिक कचरे को निपटाने में यह कुछ मछुआरों द्वारा प्रस्तुत उदाहरण अनुकरणीय हो सकता है।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि समुद्र मंथन से निकला विष पीने वाले भगवान शिव तरह-तरह के प्राणियों के साथ शान्त वातावरण में रहना पसन्द करते हैं। भोलेनाथ का अगर कैलाश या काशी या काठमांडु में आने वाले भक्तों और पर्यटकों से जी उकता जाये, तो मुदियाली उनके रहने योग्य जगह है।
यह पशुपतिनाथ का सजीव मन्दिर है, भले उनकी मूर्ति यहाँ हो या न हो। - ये हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘जल-थल-मल’ में लेखक सोपान जोशी के शब्द हैं। विशाल कलेवर की पुस्तक में मुदियाली सहकारी समिति से सम्बन्धित उद्धरण को मामूली जोड़-घटाव के साथ यहाँ दिया जा रहा है। मकसद इसे रेखांकित करना है कि देश भर के लिये समस्या बनी शहरी मलजल और औद्योगिक कचरे को निपटाने में यह कुछ मछुआरों द्वारा प्रस्तुत उदाहरण अनुकरणीय हो सकता है।
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