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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by RuralWater on Thu, 02/11/2016 - 10:36
Source:
Kanwar lake


काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।

Submitted by RuralWater on Tue, 02/09/2016 - 15:05
Source:
Rainbow drive


इलेक्ट्रानिक सिटी और व्हाइट फील्ड के बीच ​का इलाका बंगलुरु का आईटी कॉरीडोर कहलाता है, सरजापुर इसी कॉरीडोर के बीच में तेजी से विकसित हुआ इलाका है। दस-पन्द्रह साल पहले तक यहाँ धान के खेत और नारियल के बाग हुआ करते थे लेकिन आज ऊँची इमारतें, मॉल, ढेरों अपार्टमेंट क्लस्टर, विला और गेटेड कम्यूनिटी वाले रिहायशी टाउनशिप हैं।

सरजापुर रोड पर स्थित 'रेनबो ड्राइव' कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है लेकिन इन सबसे बहुत अलग है, 360 प्लाट वाले इस रिहायशी कॉलोनी के 250 घरों में जो लोग रहते हैं वो बगैर बंगलुरु नगर निगम से पानी लिये हुए या बगैर पानी का टैंकर मंगवाए ना सिर्फ पानी की अपनी-अपनी जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर हैं बल्कि अति​रिक्त पानी दूसरों को भी देते हैं। और ये सम्भव हुआ है उनके पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः इस्तेमाल लायक साफ करने से।

Submitted by RuralWater on Sun, 02/07/2016 - 15:43
Source:
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का चौथा कथन, आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :


18 जून को ऊर्जा सचिव, मेरे लिये उत्तराखण्ड सरकार का पत्र लेकर आये। मैंने उन्हें धन्यवाद किया; लिखा कि यदि उत्तराखण्ड ने यह बलिदान किया है, तो इसकी एवज में उत्तराखण्ड को कम्पनसेट करना चाहिए। मैं भी उसमें कन्ट्रीब्यूट करने को तैयार हूँ। इसी क्रम में 20 जून की दोपहर डैम समर्थकों का एक समूह आया। ठेकेदार लोग थे। उन्होंने मारपीट करने की कोशिश की। मेरा सारा परिवार वहाँ था; सो मारपीट तो नहीं कर पाये, लेकिन गाली-गलौच तो उन्होंने की ही।

 

दिल्ली शिफ्ट करने का निर्णय और साथी


जैसा कि मैंने पहले तय किया था, पत्र मिलने के बाद मैंने आगे का अनशन दिल्ली में जारी रखने की निश्चय दोहराया। यह निर्णय मेरा था, लेकिन मेरे इस निर्णय पर आदरणीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी, राजेन्द्र सिंह जी इससे खुश नहीं थे।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

काँवर झील : प्राकृतिक विरासत को गँवा रहा है बिहार

Submitted by RuralWater on Thu, 02/11/2016 - 10:36
Author
अमरनाथ
Kanwar lake


.काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।

पानी सहेजने का पाठ पढ़ाता रेनबो ड्राइव

Submitted by RuralWater on Tue, 02/09/2016 - 15:05
Author
मनोरमा
Rainbow drive


. इलेक्ट्रानिक सिटी और व्हाइट फील्ड के बीच ​का इलाका बंगलुरु का आईटी कॉरीडोर कहलाता है, सरजापुर इसी कॉरीडोर के बीच में तेजी से विकसित हुआ इलाका है। दस-पन्द्रह साल पहले तक यहाँ धान के खेत और नारियल के बाग हुआ करते थे लेकिन आज ऊँची इमारतें, मॉल, ढेरों अपार्टमेंट क्लस्टर, विला और गेटेड कम्यूनिटी वाले रिहायशी टाउनशिप हैं।

सरजापुर रोड पर स्थित 'रेनबो ड्राइव' कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है लेकिन इन सबसे बहुत अलग है, 360 प्लाट वाले इस रिहायशी कॉलोनी के 250 घरों में जो लोग रहते हैं वो बगैर बंगलुरु नगर निगम से पानी लिये हुए या बगैर पानी का टैंकर मंगवाए ना सिर्फ पानी की अपनी-अपनी जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर हैं बल्कि अति​रिक्त पानी दूसरों को भी देते हैं। और ये सम्भव हुआ है उनके पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः इस्तेमाल लायक साफ करने से।

यह मेरे लिये दूसरा झटका था : स्वामी सानंद

Submitted by RuralWater on Sun, 02/07/2016 - 15:43
Author
अरुण तिवारी
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का चौथा कथन, आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :


. 18 जून को ऊर्जा सचिव, मेरे लिये उत्तराखण्ड सरकार का पत्र लेकर आये। मैंने उन्हें धन्यवाद किया; लिखा कि यदि उत्तराखण्ड ने यह बलिदान किया है, तो इसकी एवज में उत्तराखण्ड को कम्पनसेट करना चाहिए। मैं भी उसमें कन्ट्रीब्यूट करने को तैयार हूँ। इसी क्रम में 20 जून की दोपहर डैम समर्थकों का एक समूह आया। ठेकेदार लोग थे। उन्होंने मारपीट करने की कोशिश की। मेरा सारा परिवार वहाँ था; सो मारपीट तो नहीं कर पाये, लेकिन गाली-गलौच तो उन्होंने की ही।

 

दिल्ली शिफ्ट करने का निर्णय और साथी


जैसा कि मैंने पहले तय किया था, पत्र मिलने के बाद मैंने आगे का अनशन दिल्ली में जारी रखने की निश्चय दोहराया। यह निर्णय मेरा था, लेकिन मेरे इस निर्णय पर आदरणीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी, राजेन्द्र सिंह जी इससे खुश नहीं थे।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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