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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Mon, 02/01/2016 - 10:45
Source:
GD Agrawal


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का तीसरा कथन आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :


30 सितम्बर, 2013 : हित तीन तरह के होते हैं : एक-भौतिक पक्ष, दूसरा-दैविक पक्ष, जो मन, इच्छा...थिंकिंग से जुड़ा और तीसरा आध्यात्मिक पक्ष; यह सुप्रीम होता है। जैसे जब मैं जेल के हॉस्पिटल वार्ड में था, तो कुछ कैदी, स्वयं को रोगी बताकर भर्ती हो जाते थे। डॉक्टर जानते थे कि दर्द नापने का कोई थर्मामीटर नहीं है। यह दर्द, एक मानसिक पक्ष है।

आध्यात्मिक पक्ष..जैसे आत्मा के बारे में क्लियरिटी.. भारतीय दर्शन में जैसा है, वह आध्यात्मिक पक्ष है। गंगाजी का भौतिक पक्ष - इसमें जो गंगा जी का रोगनाशक पक्ष है, इसे कौन कोई समझता है; आजीविका को समझते हैं। इसीलिये गंगाजी का दोहन करना चाहते हैं।

Submitted by RuralWater on Sun, 01/31/2016 - 15:05
Source:
जल चेतना तकनीकी पत्रिका, जनवरी, 2014
विश्व आर्द्रभूमि दिवस, 2 फरवरी 2016 पर विशेष

आर्द्रभूमि का अर्थ है नमी या दलदली क्षेत्र। आर्द्रभूमि की मिट्टी झील, नदी, विशाल तालाब के किनारे का हिस्सा होता है जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है। इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र कहलाता है जिसका सारा या थोड़ा भाग वर्ष भर जल से भरा रहता है।

भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से होकर मध्य भारत के कटिबन्धी मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। हमारे देश में दक्षिण प्रायद्वीप में उपस्थित आर्द्रभूमि अधिकतर मानव निर्मित हैं जिन्हें ‘एरी’ यानी हौदी कहते हैं। यह एरी मानव आवश्यकताओं के लिये जल उपलब्ध कराती हैं।
Submitted by RuralWater on Sun, 01/31/2016 - 12:01
Source:

यूँ तो झीलों की नगरी भोपाल में 18 तालाब और एक नदी है। इसीलिये इसे ‘सिटी ऑफ लेक’ कहा जाता है। अगर पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहाँ लगभग 2400 छोटे-बड़े तालाब हैं।

इनमें भोपाल का बड़ा तालाब अन्तरराष्ट्रीय वेटलैण्ड के रूप में जाना जाता है। यह तालाब जलसंग्रहण की पुरानी तकनीक का बेहतरीन नमूना है और मनुष्यों द्वारा निर्मित यह तालाब एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इस तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 361 किलोमीटर और पानी से भरा क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

आज भी सारे शहर की प्यास यह तालाब बुझा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यहाँ पानी बी. कैटेगरी का है और यह पीने योग्य नहीं है। वर्तमान में इस तालाब के चारों ओर अवैध कब्ज़ा हो चुका है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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उन्हें मुझसे सहानुभूति है, लेकिन गंगाजी से नहीं - स्वामी सानंद

Submitted by RuralWater on Mon, 02/01/2016 - 10:45
Author
अरुण तिवारी
GD Agrawal


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का तीसरा कथन आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :


.30 सितम्बर, 2013 : हित तीन तरह के होते हैं : एक-भौतिक पक्ष, दूसरा-दैविक पक्ष, जो मन, इच्छा...थिंकिंग से जुड़ा और तीसरा आध्यात्मिक पक्ष; यह सुप्रीम होता है। जैसे जब मैं जेल के हॉस्पिटल वार्ड में था, तो कुछ कैदी, स्वयं को रोगी बताकर भर्ती हो जाते थे। डॉक्टर जानते थे कि दर्द नापने का कोई थर्मामीटर नहीं है। यह दर्द, एक मानसिक पक्ष है।

आध्यात्मिक पक्ष..जैसे आत्मा के बारे में क्लियरिटी.. भारतीय दर्शन में जैसा है, वह आध्यात्मिक पक्ष है। गंगाजी का भौतिक पक्ष - इसमें जो गंगा जी का रोगनाशक पक्ष है, इसे कौन कोई समझता है; आजीविका को समझते हैं। इसीलिये गंगाजी का दोहन करना चाहते हैं।

जैवविविधता का स्वर्ग - आर्द्रभूमियाँ

Submitted by RuralWater on Sun, 01/31/2016 - 15:05
Author
नवनीत कुमार गुप्ता
Source
जल चेतना तकनीकी पत्रिका, जनवरी, 2014

विश्व आर्द्रभूमि दिवस, 2 फरवरी 2016 पर विशेष



.आर्द्रभूमि का अर्थ है नमी या दलदली क्षेत्र। आर्द्रभूमि की मिट्टी झील, नदी, विशाल तालाब के किनारे का हिस्सा होता है जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है। इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र कहलाता है जिसका सारा या थोड़ा भाग वर्ष भर जल से भरा रहता है।

भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से होकर मध्य भारत के कटिबन्धी मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। हमारे देश में दक्षिण प्रायद्वीप में उपस्थित आर्द्रभूमि अधिकतर मानव निर्मित हैं जिन्हें ‘एरी’ यानी हौदी कहते हैं। यह एरी मानव आवश्यकताओं के लिये जल उपलब्ध कराती हैं।

भोपाल का बड़ा तालाब यानी अन्तरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि (वेटलैण्ड) खतरे में

Submitted by RuralWater on Sun, 01/31/2016 - 12:01
Author
रूबी सरकार

. यूँ तो झीलों की नगरी भोपाल में 18 तालाब और एक नदी है। इसीलिये इसे ‘सिटी ऑफ लेक’ कहा जाता है। अगर पूरे मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहाँ लगभग 2400 छोटे-बड़े तालाब हैं।

इनमें भोपाल का बड़ा तालाब अन्तरराष्ट्रीय वेटलैण्ड के रूप में जाना जाता है। यह तालाब जलसंग्रहण की पुरानी तकनीक का बेहतरीन नमूना है और मनुष्यों द्वारा निर्मित यह तालाब एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इस तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 361 किलोमीटर और पानी से भरा क्षेत्र 31 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

आज भी सारे शहर की प्यास यह तालाब बुझा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यहाँ पानी बी. कैटेगरी का है और यह पीने योग्य नहीं है। वर्तमान में इस तालाब के चारों ओर अवैध कब्ज़ा हो चुका है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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