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मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ ने लिखा है-
जिन्दगी क्या किसी मुफलिस की कबा (कपड़ा) है जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबन्द लगे जाते हैं।
फैज़ ने ये पंक्तियाँ किन हालातों में लिखी होंगी पता नहीं लेकिन ऐतिहासिक शहर आगरा से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर स्थित गाँव पचगाँय के लोगों की जिन्दगी सचमुच उस गरीब के कपड़ों जैसी है जिनमें हर पल दर्द के पैबन्द लगते हैं।
गाँव की आबादी तकरीबन 900-1000 होगी। गाँव पक्की सड़क से जुड़ा हुआ भी है। आमतौर पर पक्की सड़क से जुड़ाव विकास का पैमाना होता है। इस गाँव के लोगों की रोजी-रोटी का जरिया खेती है पर कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं। कुल मिलाकर यहाँ समृद्ध और दरिद्र दोनों तरह के परिवार रहते हैं। इसी तथाकथित विकसित गाँव में दर्जनों लोगों को फ्लोराइड हर घड़ी दर्द दे रहा है। यह फ्लोराइड कहीं और से नहीं बल्कि जिन्दगी देने वाले पेयजल से उनके शरीर में जा रहा है।
दूषित भूजल वाले इलाके में लोगों को उनके दरवाजे पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मोबाइल योजना बिहार सरकार प्रस्तुत करने वाली है। इसके लिये वह बीस मोबाइल वैन खरीदने जा रही है जो गाँवों में जाकर नदी, कुआँ या तालाब का पानी को साफ करके पीने योग्य बनाएगी और मामूली मूल्य लेकर ग्रामीणों को उपलब्ध कराएगी।
परिशोधित जल कई दिनों तक पीने योग्य बना रहेगा। इसमें एक मालवाहक वैन पर वाटर प्यूरीफायर मशीन लगी होगी जिसके संचालन के लिये बिजली की जरूरत नहीं होगी। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग सचिव अंशुली आर्या ने मोबाइल प्यूरीफायरों को खरीदने के लिये टेंडर निकालने आदि प्रक्रियाएँ शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।
यह सच है कि गंगा की निर्मलता-अविरलता बरस-दो-बरस का काम नहीं है। यह सतत् साधना और संकल्प का दीर्घकालिक काम है, किन्तु यहाँ तो गंगा प्रदूषण मुक्ति अकेले की कामना करते 30 बरस बीत गए; गंगा कार्ययोजना से लेकर नमामि गंगे तक।
नमामि गंगे ने भी नित नए बयान, नई घोषणा, नए सन्देश और नई तारीखें तय करने में डेढ़ बरस गुजार दिया। इस डेढ़ बरस में जल मंत्रालय का नाम बदला गया। लोकसभा चुनाव से पूर्व गंगा किनारे घूम-घूमकर गंगा सन्देश देने में लगी साध्वी सुश्री उमा भारती जी का मंत्रालय का प्रभार दिया गया।
वर्ष 2020 तक गंगा संरक्षण के लिये 20 हजार करोड़ की मंजूरी से ‘नमामि गंगे’ का श्री गणेश किया गया। कार्यक्रम को अंजाम देने के लिये प्रधानमंत्री के अलावा दो श्री नितिन गडकरी और श्री प्रकाश जावड़ेकर को भी इसमें महती भूमिका दी गई।
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अपाहिज जिन्दगी
मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ ने लिखा है-
जिन्दगी क्या किसी मुफलिस की कबा (कपड़ा) है जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबन्द लगे जाते हैं।
फैज़ ने ये पंक्तियाँ किन हालातों में लिखी होंगी पता नहीं लेकिन ऐतिहासिक शहर आगरा से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर स्थित गाँव पचगाँय के लोगों की जिन्दगी सचमुच उस गरीब के कपड़ों जैसी है जिनमें हर पल दर्द के पैबन्द लगते हैं।
गाँव की आबादी तकरीबन 900-1000 होगी। गाँव पक्की सड़क से जुड़ा हुआ भी है। आमतौर पर पक्की सड़क से जुड़ाव विकास का पैमाना होता है। इस गाँव के लोगों की रोजी-रोटी का जरिया खेती है पर कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं। कुल मिलाकर यहाँ समृद्ध और दरिद्र दोनों तरह के परिवार रहते हैं। इसी तथाकथित विकसित गाँव में दर्जनों लोगों को फ्लोराइड हर घड़ी दर्द दे रहा है। यह फ्लोराइड कहीं और से नहीं बल्कि जिन्दगी देने वाले पेयजल से उनके शरीर में जा रहा है।
गाँवों में मोबाइल वैन से पेयजल मुहैया कराएगी सरकार
दूषित भूजल वाले इलाके में लोगों को उनके दरवाजे पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मोबाइल योजना बिहार सरकार प्रस्तुत करने वाली है। इसके लिये वह बीस मोबाइल वैन खरीदने जा रही है जो गाँवों में जाकर नदी, कुआँ या तालाब का पानी को साफ करके पीने योग्य बनाएगी और मामूली मूल्य लेकर ग्रामीणों को उपलब्ध कराएगी।
परिशोधित जल कई दिनों तक पीने योग्य बना रहेगा। इसमें एक मालवाहक वैन पर वाटर प्यूरीफायर मशीन लगी होगी जिसके संचालन के लिये बिजली की जरूरत नहीं होगी। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग सचिव अंशुली आर्या ने मोबाइल प्यूरीफायरों को खरीदने के लिये टेंडर निकालने आदि प्रक्रियाएँ शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।
घोषणाओं से आगे कब बढ़ेगी नमामि गंगे
यह सच है कि गंगा की निर्मलता-अविरलता बरस-दो-बरस का काम नहीं है। यह सतत् साधना और संकल्प का दीर्घकालिक काम है, किन्तु यहाँ तो गंगा प्रदूषण मुक्ति अकेले की कामना करते 30 बरस बीत गए; गंगा कार्ययोजना से लेकर नमामि गंगे तक।
नमामि गंगे ने भी नित नए बयान, नई घोषणा, नए सन्देश और नई तारीखें तय करने में डेढ़ बरस गुजार दिया। इस डेढ़ बरस में जल मंत्रालय का नाम बदला गया। लोकसभा चुनाव से पूर्व गंगा किनारे घूम-घूमकर गंगा सन्देश देने में लगी साध्वी सुश्री उमा भारती जी का मंत्रालय का प्रभार दिया गया।
वर्ष 2020 तक गंगा संरक्षण के लिये 20 हजार करोड़ की मंजूरी से ‘नमामि गंगे’ का श्री गणेश किया गया। कार्यक्रम को अंजाम देने के लिये प्रधानमंत्री के अलावा दो श्री नितिन गडकरी और श्री प्रकाश जावड़ेकर को भी इसमें महती भूमिका दी गई।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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