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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 12:08
Source:
सीएसई
काल और स्थान (टाइम और स्पेस)
फ्लोराइड नामक विष और उससे होने वाली बीमारी फ्लोरोसिस के बारे में हमें 1930 में ही पता चल गया था। फ्लोरोसिस रोग का फैलाव देश के बड़े भू-भाग में हो चुका है और 19 राज्यों के लोग इसके चपेट में आ गए हैं। इसके भौगोलिक फैलाव और इससे होने वाली समस्या की गम्भीरता का आकलन मुमकिन होने के बावजूद अब तक हमारे पास इसके बारे में समुचित जानकारी नहीं है। देश में अब भी फ्लोराइड प्रभावित इलाकों की खोज हो रही है; परन्तु इसके फैलाव की सीमा रेखा खींचने का काम अभी बाकी है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह कहीं और विद्यमान नहीं है।

बरसों से इसने पेयजल के जरिए मिलने वाले पोषण को नुकसान पहुँचाया है। फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में लोग बड़ी तेजी से अपंग हो रहे हैं। आज वास्तव में उस इलाकों में रहने वाले लोग एक अलग मुल्क के बाशिंदे लगने लगे हैं। उस देश के सभी नागरिक भावनात्मक रूप से एक हो गए हैं, सभी ज़मीन से निकाला गया ऐसा पानी पीते हैं, जिसमें प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलिग्राम (मि.ग्रा.) से भी ज्यादा फ्लोराइड है। यहाँ रहने वाले सभी लोग बीमार हैं।
Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 10:38
Source:
waste of groundwater
आज हमें भूजल के भयावह संकट के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इसका इलाज भी हमें ही खोजना होगा। यह सच है कि पंच तत्वों में शामिल पानी सबसे अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है। पानी के बिना जीवन असम्भव है। लेकिन दुख इस बात का है मानव के अस्तित्व के लिये जरूरी जल को वही मानव सुरक्षित
Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 09:38
Source:
sewage in Ganga

गंगा सफाई के सवाल पर एक अहम बात यह भी है कि जिस गंगा की सफाई की बात हम कर रहे हैं वह गंगा है भी कि नहीं। कानपुर और बनारस में तो गंगा है ही नहीं, गंगा के नाम पर चम्बल और बेतवा का पानी गन्दले नाले में तब्दील हो चला है।

गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में अपने भाषण में उमा भारती ने दो बातें कही थीं। उन्होंने दावा किया था कि सरकार बनते ही ये दोनों काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। पहला, कानपुर के गंगा जल को आचमन के योग्य बनाएँगे और दूसरा यह कि गौ हत्या पर ऐसा कानून बनाया जाएगा कि असली गाय तो दूर कोई कागज पर बनी गाय को काटने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा। लेकिन यहाँ हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।

तो कानपुर से ही बात शुरू करते हैं, इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा जल है ही नहीं। तो फिर आचमन योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर, गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहाँ नाव पतवार से नहीं बाँस से चलती है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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फ्लोराइड : विष का अविरल प्रवाह (Fluorosis in India: An Overview)

Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 12:08
Author
सीएसई
Source
सीएसई

काल और स्थान (टाइम और स्पेस)


.फ्लोराइड नामक विष और उससे होने वाली बीमारी फ्लोरोसिस के बारे में हमें 1930 में ही पता चल गया था। फ्लोरोसिस रोग का फैलाव देश के बड़े भू-भाग में हो चुका है और 19 राज्यों के लोग इसके चपेट में आ गए हैं। इसके भौगोलिक फैलाव और इससे होने वाली समस्या की गम्भीरता का आकलन मुमकिन होने के बावजूद अब तक हमारे पास इसके बारे में समुचित जानकारी नहीं है। देश में अब भी फ्लोराइड प्रभावित इलाकों की खोज हो रही है; परन्तु इसके फैलाव की सीमा रेखा खींचने का काम अभी बाकी है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि यह कहीं और विद्यमान नहीं है।

बरसों से इसने पेयजल के जरिए मिलने वाले पोषण को नुकसान पहुँचाया है। फ्लोराइड प्रभावित इलाकों में लोग बड़ी तेजी से अपंग हो रहे हैं। आज वास्तव में उस इलाकों में रहने वाले लोग एक अलग मुल्क के बाशिंदे लगने लगे हैं। उस देश के सभी नागरिक भावनात्मक रूप से एक हो गए हैं, सभी ज़मीन से निकाला गया ऐसा पानी पीते हैं, जिसमें प्रति लीटर पानी में 1.5 मिलिग्राम (मि.ग्रा.) से भी ज्यादा फ्लोराइड है। यहाँ रहने वाले सभी लोग बीमार हैं।

आखिर क्या है भूजल पर गहराते भीषण संकट का हल

Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 10:38
Author
ज्ञानेन्द्र रावत
waste of groundwater
आज हमें भूजल के भयावह संकट के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इसका इलाज भी हमें ही खोजना होगा। यह सच है कि पंच तत्वों में शामिल पानी सबसे अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है। पानी के बिना जीवन असम्भव है। लेकिन दुख इस बात का है मानव के अस्तित्व के लिये जरूरी जल को वही मानव सुरक्षित

क्या गंगा वाकई गंगा है

Submitted by RuralWater on Thu, 07/02/2015 - 09:38
Author
अभय मिश्र
sewage in Ganga

गंगा सफाई के सवाल पर एक अहम बात यह भी है कि जिस गंगा की सफाई की बात हम कर रहे हैं वह गंगा है भी कि नहीं। कानपुर और बनारस में तो गंगा है ही नहीं, गंगा के नाम पर चम्बल और बेतवा का पानी गन्दले नाले में तब्दील हो चला है।

. गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में अपने भाषण में उमा भारती ने दो बातें कही थीं। उन्होंने दावा किया था कि सरकार बनते ही ये दोनों काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। पहला, कानपुर के गंगा जल को आचमन के योग्य बनाएँगे और दूसरा यह कि गौ हत्या पर ऐसा कानून बनाया जाएगा कि असली गाय तो दूर कोई कागज पर बनी गाय को काटने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा। लेकिन यहाँ हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।

तो कानपुर से ही बात शुरू करते हैं, इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा जल है ही नहीं। तो फिर आचमन योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर, गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहाँ नाव पतवार से नहीं बाँस से चलती है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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