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आमतौर पर नदी वैज्ञानिक ही नदियों के जन्म या प्राकृतिक जिम्मेदारियों की हकीक़त को जानने का प्रयास करते हैं। आम नागरिक के लिये यह विषय बहुत आकर्षक नहीं है इसलिये वे उसे, सामान्यतः जानने का प्रयास नहीं करते। वास्तव में नदी की कहानी बेहद सरल और सहज है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि प्रत्येक नदी प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग है। उसके जन्म के लिये बरसात या बर्फ के पिघलने से मिला पानी जिम्मेदार होता है। उसका मार्ग ढ़ालू जमीन पर बहता पानी, भूमि कटाव की मदद से तय करता है। ग्लेशियरों से निकली नदियों को छोड़कर बाकी नदियों में बरसात बाद बहने वाला पानी ज़मीन के नीचे से मिलता है।
5 जून को हर साल पूरी दुनिया में अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस एक रस्म अदायगी के तौर पर मनाया जाता है। रस्म अदायगी इसलिये क्योंकि पिछले 20 साल से दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी बातें, सम्मेलन, सेमिनार आदि हुए और लगातार हो भी रहे हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर हालत नहीं बदले या ये कहें की हालात बहुत ख़राब हो गए हैं।
कार्बन उत्सर्जन कम होने के बजाय बढ़ा है इसके साथ ही दुनिया भर में कई तरह का प्रदूषण भी बढ़ा है। भयंकर वायु प्रदूषण के कारण हालात तो यहाँ तक हो गए हैं कि दुनिया भर के कई शहर रहने लायक ही नहीं बचे हैं। अधिकांश नदियाँ, तालाब, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों की प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। कथित विकास पर्यावरण को हर दिन, हर समय, हर जगह लील रहा है। प्रकृति को नुकसान पहुँचाने के परिणाम भी अब दिखने लगे हैं जब पिछले दिनों नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प में 8000 से अधिक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और इसके साथ ही भारी जान-माल का नुकसान भी हुआ।
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नदी पुराण
आमतौर पर नदी वैज्ञानिक ही नदियों के जन्म या प्राकृतिक जिम्मेदारियों की हकीक़त को जानने का प्रयास करते हैं। आम नागरिक के लिये यह विषय बहुत आकर्षक नहीं है इसलिये वे उसे, सामान्यतः जानने का प्रयास नहीं करते। वास्तव में नदी की कहानी बेहद सरल और सहज है।
वैज्ञानिक बताते हैं कि प्रत्येक नदी प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग है। उसके जन्म के लिये बरसात या बर्फ के पिघलने से मिला पानी जिम्मेदार होता है। उसका मार्ग ढ़ालू जमीन पर बहता पानी, भूमि कटाव की मदद से तय करता है। ग्लेशियरों से निकली नदियों को छोड़कर बाकी नदियों में बरसात बाद बहने वाला पानी ज़मीन के नीचे से मिलता है।
खतरनाक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
5 जून को हर साल पूरी दुनिया में अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस एक रस्म अदायगी के तौर पर मनाया जाता है। रस्म अदायगी इसलिये क्योंकि पिछले 20 साल से दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी बातें, सम्मेलन, सेमिनार आदि हुए और लगातार हो भी रहे हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर हालत नहीं बदले या ये कहें की हालात बहुत ख़राब हो गए हैं।
कार्बन उत्सर्जन कम होने के बजाय बढ़ा है इसके साथ ही दुनिया भर में कई तरह का प्रदूषण भी बढ़ा है। भयंकर वायु प्रदूषण के कारण हालात तो यहाँ तक हो गए हैं कि दुनिया भर के कई शहर रहने लायक ही नहीं बचे हैं। अधिकांश नदियाँ, तालाब, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों की प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। कथित विकास पर्यावरण को हर दिन, हर समय, हर जगह लील रहा है। प्रकृति को नुकसान पहुँचाने के परिणाम भी अब दिखने लगे हैं जब पिछले दिनों नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प में 8000 से अधिक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और इसके साथ ही भारी जान-माल का नुकसान भी हुआ।
मैगी नूडल्स के बहाने पर्यावरण के प्रश्न
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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