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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by admin on Tue, 07/01/2014 - 11:22
Source:
दिल्ली के नजफगढ़, महिपालपुर या महरौली रोड से जैसे ही कोई दुनिया भर में विकास का मॉडल बने दूध इही के खाणे वाले हरियाणा में घुसता है तो सबसे पहले जो दो चीजें आपका स्वागत करती हैं वे हैं सस्ती शराब और बोतलबंद पानी। जिन जगहों पर अब शराब और पानी बिकता है, किसी जमाने इनके इर्द-गिर्द पानी की प्याऊ होती थी, जो अब नहीं हैं।
Submitted by admin on Sun, 06/29/2014 - 13:24
Source:
गांधी मार्ग, जुलाई-अगस्त 2014
environment
दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है। बड़ा आतंक फैल गया है वहां। अखबार तो प्रसिद्ध था ही, उसके भोपाल स्थित ये संवाददाता भी बड़े प्रसिद्ध थे। अपनी-अपनी सुंदर जगहों को लोग कुछ तो अपनेपन से, और कुछ घमंड से भी दुनिया का स्वर्ग बताते ही हैं। अक्सर इसके लिए कुछ पहाड़ की, कुछ ऊंचाई की भी जरूरत होती है पर अपनी किसी जगह को पाताल बताने के लिए एक खास तरह की गहराई चाहिए।

हमारा परिवार मध्य प्रदेश का है, पर कोई पच्चीस बरस का हो जाने तक भी मुझे पता नहीं था कि मध्य प्रदेश में एक जगह सचमुच पाताल जैसी गहरी है। इसका नाम ही है पातालकोट। छिंदवाड़ा जिले में। इसकी जानकारी और फिर इस पाताल में उतरने का संजोग भी एक विचित्र घटना से मिला था। वे दिन आपात्काल लगने के आसपास के थे। महीना वगैरह तो अब याद नहीं।

दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है।
Submitted by admin on Sat, 06/28/2014 - 16:23
Source:
गांधी मार्ग, जुलाई-अगस्त 2014
हम एक ऐसी पीढ़ी बन चुके हैं, जिसने अपनी नदियां खो दी हैं। और भी परेशान करने वाली बात यह है कि हम अपने तरीके नहीं बदल रहे। सोचे-समझे ढंग से हम और ज्यादा नदियों, झीलों और ताल-तलैयों को मारेंगे। फिर तो हम एक ऐसी पीढ़ी बन जाएंगे, जिसने सिर्फ अपनी नदियां नहीं खोईं, बल्कि बकायदा जल-संहार किया है। क्या पता, एक समय ऐसा भी आएगा जब हमारे बच्चे भूल जाएंगे कि यमुना, कावेरी और दामोदर नदियां थीं। वे उन्हें नालों के रूप में जानेंगे, सिर्फ नालों के रूप में। जल ही जीवन है। पर आज हमारा जीवन अपने पीछे जो गंदगी, सीवेज छोड़ता है, उससे जल का जीवन ही खत्म हो रहा है। हमें जीवन देने वाले जल की यह है दुखद कथा। बेतहाशा शहरीकरण आने वाले दिनों में और तेज ही होता जाएगा। यह तेजी रफ्तार और दायरा, दोनों ही मामलों में दिखाई पड़ रही है।

पानी की अपनी जरूरतों को हम किस तरह व्यवस्थित करें कि हम अपने ही मल-मूत्र में डूब न जाएं, यह आज के दौर का बहुत बड़ा सवाल है और इसका जवाब हमें हर हाल में खोजना पड़ेगा।

इस मामले में अपनी खोजबीन के दौरान सबसे बड़ी दिक्कत हमारे सामने यह आती है कि हमारे देश में न तो इससे संबंधित कोई आंकड़े मिलते हैं, न इसे लेकर कोई ठीक काम हुआ है। इस मुद्दे पर कहीं कोई समझ देखने में नहीं आती है। यह हाल तब है, जब इस गंदगी, सीवेज का ताल्लुक हम सब की जिंदगी से है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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के डले विकास है, पाणी नहीं तो विकास किसा

Submitted by admin on Tue, 07/01/2014 - 11:22
Author
राजकुमार भारद्वाज
दम तोड़ते गुड़गांव के परंपरागत तालाबदिल्ली के नजफगढ़, महिपालपुर या महरौली रोड से जैसे ही कोई दुनिया भर में विकास का मॉडल बने दूध इही के खाणे वाले हरियाणा में घुसता है तो सबसे पहले जो दो चीजें आपका स्वागत करती हैं वे हैं सस्ती शराब और बोतलबंद पानी। जिन जगहों पर अब शराब और पानी बिकता है, किसी जमाने इनके इर्द-गिर्द पानी की प्याऊ होती थी, जो अब नहीं हैं।

शेर-शेरनी या हम

Submitted by admin on Sun, 06/29/2014 - 13:24
Author
अनुपम मिश्र
Source
गांधी मार्ग, जुलाई-अगस्त 2014
environment
दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है। बड़ा आतंक फैल गया है वहां। अखबार तो प्रसिद्ध था ही, उसके भोपाल स्थित ये संवाददाता भी बड़े प्रसिद्ध थे। अपनी-अपनी सुंदर जगहों को लोग कुछ तो अपनेपन से, और कुछ घमंड से भी दुनिया का स्वर्ग बताते ही हैं। अक्सर इसके लिए कुछ पहाड़ की, कुछ ऊंचाई की भी जरूरत होती है पर अपनी किसी जगह को पाताल बताने के लिए एक खास तरह की गहराई चाहिए।

हमारा परिवार मध्य प्रदेश का है, पर कोई पच्चीस बरस का हो जाने तक भी मुझे पता नहीं था कि मध्य प्रदेश में एक जगह सचमुच पाताल जैसी गहरी है। इसका नाम ही है पातालकोट। छिंदवाड़ा जिले में। इसकी जानकारी और फिर इस पाताल में उतरने का संजोग भी एक विचित्र घटना से मिला था। वे दिन आपात्काल लगने के आसपास के थे। महीना वगैरह तो अब याद नहीं।

दिल्ली से निकलने वाले उस समय के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार में एक दिन पहले पन्ने पर खबर छपी थी- मध्य प्रदेश के एक बहुत ही दुर्गम इलाके पातालकोट में एक शेर नरभक्षी हो गया है और उसने अब तक छह लोगों को मार डाला है।

नालों के किनारे बसी सभ्यता

Submitted by admin on Sat, 06/28/2014 - 16:23
Author
सुनीता नारायण
Source
गांधी मार्ग, जुलाई-अगस्त 2014
हम एक ऐसी पीढ़ी बन चुके हैं, जिसने अपनी नदियां खो दी हैं। और भी परेशान करने वाली बात यह है कि हम अपने तरीके नहीं बदल रहे। सोचे-समझे ढंग से हम और ज्यादा नदियों, झीलों और ताल-तलैयों को मारेंगे। फिर तो हम एक ऐसी पीढ़ी बन जाएंगे, जिसने सिर्फ अपनी नदियां नहीं खोईं, बल्कि बकायदा जल-संहार किया है। क्या पता, एक समय ऐसा भी आएगा जब हमारे बच्चे भूल जाएंगे कि यमुना, कावेरी और दामोदर नदियां थीं। वे उन्हें नालों के रूप में जानेंगे, सिर्फ नालों के रूप में। जल ही जीवन है। पर आज हमारा जीवन अपने पीछे जो गंदगी, सीवेज छोड़ता है, उससे जल का जीवन ही खत्म हो रहा है। हमें जीवन देने वाले जल की यह है दुखद कथा। बेतहाशा शहरीकरण आने वाले दिनों में और तेज ही होता जाएगा। यह तेजी रफ्तार और दायरा, दोनों ही मामलों में दिखाई पड़ रही है।

पानी की अपनी जरूरतों को हम किस तरह व्यवस्थित करें कि हम अपने ही मल-मूत्र में डूब न जाएं, यह आज के दौर का बहुत बड़ा सवाल है और इसका जवाब हमें हर हाल में खोजना पड़ेगा।

इस मामले में अपनी खोजबीन के दौरान सबसे बड़ी दिक्कत हमारे सामने यह आती है कि हमारे देश में न तो इससे संबंधित कोई आंकड़े मिलते हैं, न इसे लेकर कोई ठीक काम हुआ है। इस मुद्दे पर कहीं कोई समझ देखने में नहीं आती है। यह हाल तब है, जब इस गंदगी, सीवेज का ताल्लुक हम सब की जिंदगी से है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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