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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Hindi on Sun, 06/08/2014 - 12:20
Source:
नेशनल दुनिया, 08 जून 2014
गंगा दशहरा पर विशेष
नदी महज बहते पानी का लंबा प्रवाह भर नहीं बल्कि यह हमारे जीवन से गहरी जुड़ी हैं। केंद्र में आई नई सरकार ने गंगा सहित देश की कई प्रमुख नदियों की स्वच्छता के लिए सार्थक पहल की बात कही है। हालांकि पूर्व में भी इस तरह की कुछ कोशिशें हुई हैं पर उनका हासिल सिफर रहा है। इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण तिवारी और ओम प्रकाश की स्टोरी

कहना न होगा कि नदी की निर्मलता और अविरलता सिर्फ पानी, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और ऊर्जा मंत्रालय का विषय नहीं है; यह उद्योग, नगर विकास, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, रोजगार, पर्यटन, गैर परंपरागत ऊर्जा और संस्कृति मंत्रालय के बीच भी आपसी समन्वय की मांग करता है। नदी की निर्मल कथा टुकड़े-टुकड़े में लिखी तो जा सकती है, सोची नहीं जा सकती। कोई नदी एक अलग टुकड़ा नहीं होती। नदी सिर्फ पानी भी नहीं होती। नदी एक पूरी समग्र और जीवंत प्रणाली होती है। अतः इसकी निर्मलता लौटाने का संकल्प करने वालों की सोच में समग्रता और दिल में जीवंतता का होना जरूरी है। नदी हजारों वर्षों की भौगोलिक उथल-पुथल का परिणाम होती है। अतः नदियों को उनका मूल प्रवाह और गुणवत्ता लौटाना भी बरस-दो बरस का काम नहीं हो सकता। हां, संकल्प निर्मल हो, सोच समग्र हो, कार्ययोजना ईमानदार और सुस्पष्ट हो, शातत्य सुनिश्चित हो, तो कोई भी पीढ़ी अपने जीवनकाल में किसी एक नदी को मृत्युशय्या से उठाकर उसके पैरों पर चला सकती है। इसकी गारंटी है। दर असल ऐसे प्रयासों को धन से पहले धुन की जरूरत होती है। नदी को प्रोजेक्ट बाद में, वह कोशिश पहले चाहिए, जो पेट जाए को मां के बिना बेचैन कर दे।
Submitted by admin on Thu, 06/05/2014 - 11:59
Source:
डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 05 जून 2014
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
आज विश्व की आबादी का छठा हिस्सा शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है। प्रदूषित जल पीने से असाध्य बीमारियों का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, मोतीझरा, ब्लड कैंसर, त्वचा कैंसर, हड्डी रोग, हृदय एवं गुर्दे के रोग सैकड़ों नागरिकों को चपेट में लेते हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव अपने परिवेश से विस्थापित हो रहे हैं। विश्व में प्रतिवर्ष 1.1 करोड़ हे. वन काटा जाता है। जिसमें भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख हे. वनों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। जनसंख्या की विस्फोटक बाढ़ और मनुष्य की भौतिक जीवनशैली ने मिलकर प्राकृतिक संसाधनों का इतना अंधाधुंध दोहन किया व आर्थिक विकास का माध्यम बनाया कि विश्व में गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं।

शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, जंगलों का नष्ट होना, कल-कारखानों से धुआं उगलती चिमनियों से प्रवाहित कार्बन डाइऑक्साइड, कचरे से भरी नदियां, रासायनिक गैसों से भरा प्रदूषित वातावरण, सड़कों पर वाहनों की भरमार, लाउड स्पीकरों की कर्कश ध्वनि, रासायनिक हथियारों का परीक्षण एवं संचालन आदि ने पर्यावरणी समस्याओं को उत्पन्न करके मानव को आशंकित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण असंतुलन के कारण पृथ्वी पर जीवन अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।
Submitted by admin on Wed, 06/04/2014 - 16:03
Source:
डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 01 जून 2014
बुंदेलखंड में तो कृषि व उद्योग तालाबों पर निर्भर है, फिर भी तालाबों के रखरखाव और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तालाबों पर अतिक्रमण किया जा रहा है, उनको पाटकर बस्तियां बनाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में तालाब, पोखर, झील, कुआं आदि की खोजबीन की गई तो बुंदेलखंड में दो हजार 963 तालाब व कुएं गायब पाए गए। चार हजार 263 तालाबों पर अवैध कब्जे हैं। आयुर्वेद में जल को दवा बताया गया है। बुंदेलखंड के उन क्षेत्रों में जहां नदियों का अभाव रहा, वहां तालाबों का निर्माण किया गया। महोबा के चंदेली तालाब, चरखारी रियासत के तालाब और बुंदेलखंड के अन्य तालाब इलाके की खेतीबारी में सराहनीय योगदान देते रहे हैं। समय रहते इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। वर्तमान में बुंदेलखंड ही क्यों, समूचा विश्व जल संकट का सामना कर रहा है।

एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर अफ्रीका में केन्या, इथियोपिया और सूडान तक हर देश साफ पानी की कमी से जूझ रहा है। अपने देश में राजस्थान के जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती हो जाता है। महिलाओं को पांच-छह किमी दूर से सिर पर रखकर पानी लाना पड़ता है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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निर्मल धारा

Submitted by Hindi on Sun, 06/08/2014 - 12:20
Author
अरुण तिवारी और प्रेम प्रकाश
Source
नेशनल दुनिया, 08 जून 2014

गंगा दशहरा पर विशेष


नदी महज बहते पानी का लंबा प्रवाह भर नहीं बल्कि यह हमारे जीवन से गहरी जुड़ी हैं। केंद्र में आई नई सरकार ने गंगा सहित देश की कई प्रमुख नदियों की स्वच्छता के लिए सार्थक पहल की बात कही है। हालांकि पूर्व में भी इस तरह की कुछ कोशिशें हुई हैं पर उनका हासिल सिफर रहा है। इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण तिवारी और ओम प्रकाश की स्टोरी

कहना न होगा कि नदी की निर्मलता और अविरलता सिर्फ पानी, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और ऊर्जा मंत्रालय का विषय नहीं है; यह उद्योग, नगर विकास, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, रोजगार, पर्यटन, गैर परंपरागत ऊर्जा और संस्कृति मंत्रालय के बीच भी आपसी समन्वय की मांग करता है। नदी की निर्मल कथा टुकड़े-टुकड़े में लिखी तो जा सकती है, सोची नहीं जा सकती। कोई नदी एक अलग टुकड़ा नहीं होती। नदी सिर्फ पानी भी नहीं होती। नदी एक पूरी समग्र और जीवंत प्रणाली होती है। अतः इसकी निर्मलता लौटाने का संकल्प करने वालों की सोच में समग्रता और दिल में जीवंतता का होना जरूरी है। नदी हजारों वर्षों की भौगोलिक उथल-पुथल का परिणाम होती है। अतः नदियों को उनका मूल प्रवाह और गुणवत्ता लौटाना भी बरस-दो बरस का काम नहीं हो सकता। हां, संकल्प निर्मल हो, सोच समग्र हो, कार्ययोजना ईमानदार और सुस्पष्ट हो, शातत्य सुनिश्चित हो, तो कोई भी पीढ़ी अपने जीवनकाल में किसी एक नदी को मृत्युशय्या से उठाकर उसके पैरों पर चला सकती है। इसकी गारंटी है। दर असल ऐसे प्रयासों को धन से पहले धुन की जरूरत होती है। नदी को प्रोजेक्ट बाद में, वह कोशिश पहले चाहिए, जो पेट जाए को मां के बिना बेचैन कर दे।

पृथ्वी के जीवन अस्तित्व पर मंडराता खतरा

Submitted by admin on Thu, 06/05/2014 - 11:59
Author
बुद्ध प्रकाश
Source
डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 05 जून 2014

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष


आज विश्व की आबादी का छठा हिस्सा शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है। प्रदूषित जल पीने से असाध्य बीमारियों का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, मोतीझरा, ब्लड कैंसर, त्वचा कैंसर, हड्डी रोग, हृदय एवं गुर्दे के रोग सैकड़ों नागरिकों को चपेट में लेते हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव अपने परिवेश से विस्थापित हो रहे हैं। विश्व में प्रतिवर्ष 1.1 करोड़ हे. वन काटा जाता है। जिसमें भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख हे. वनों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। जनसंख्या की विस्फोटक बाढ़ और मनुष्य की भौतिक जीवनशैली ने मिलकर प्राकृतिक संसाधनों का इतना अंधाधुंध दोहन किया व आर्थिक विकास का माध्यम बनाया कि विश्व में गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं।

शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, जंगलों का नष्ट होना, कल-कारखानों से धुआं उगलती चिमनियों से प्रवाहित कार्बन डाइऑक्साइड, कचरे से भरी नदियां, रासायनिक गैसों से भरा प्रदूषित वातावरण, सड़कों पर वाहनों की भरमार, लाउड स्पीकरों की कर्कश ध्वनि, रासायनिक हथियारों का परीक्षण एवं संचालन आदि ने पर्यावरणी समस्याओं को उत्पन्न करके मानव को आशंकित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण असंतुलन के कारण पृथ्वी पर जीवन अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।

पारंपरिक तालाबों की उपेक्षा

Submitted by admin on Wed, 06/04/2014 - 16:03
Author
एलसी अनुरागी
Source
डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 01 जून 2014
बुंदेलखंड में तो कृषि व उद्योग तालाबों पर निर्भर है, फिर भी तालाबों के रखरखाव और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तालाबों पर अतिक्रमण किया जा रहा है, उनको पाटकर बस्तियां बनाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में तालाब, पोखर, झील, कुआं आदि की खोजबीन की गई तो बुंदेलखंड में दो हजार 963 तालाब व कुएं गायब पाए गए। चार हजार 263 तालाबों पर अवैध कब्जे हैं। आयुर्वेद में जल को दवा बताया गया है। बुंदेलखंड के उन क्षेत्रों में जहां नदियों का अभाव रहा, वहां तालाबों का निर्माण किया गया। महोबा के चंदेली तालाब, चरखारी रियासत के तालाब और बुंदेलखंड के अन्य तालाब इलाके की खेतीबारी में सराहनीय योगदान देते रहे हैं। समय रहते इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। वर्तमान में बुंदेलखंड ही क्यों, समूचा विश्व जल संकट का सामना कर रहा है।

एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर अफ्रीका में केन्या, इथियोपिया और सूडान तक हर देश साफ पानी की कमी से जूझ रहा है। अपने देश में राजस्थान के जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती हो जाता है। महिलाओं को पांच-छह किमी दूर से सिर पर रखकर पानी लाना पड़ता है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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