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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by admin on Mon, 06/02/2014 - 09:10
Source:
तहलका, मई 2014
उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बादल के कहर ने आपदा प्रबंधन तंत्र के दावों और वादों की धज्जियां उड़ा दी। संकट को भापने, बचाव के उपाय, जानकारियों का आदान-प्रदान तथा राहत के मोर्चे पर तंत्र पूरी तरह असफल रहा। 16 जून को आपदा का एक साल पूरा हो जाएगा। ऐसे में आपदा प्रबंधन तंत्र की ओर निगाहें जाना स्वाभाविक है।केदारघाटी समेत उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बीते साल जो प्राकृतिक आपदा आई थी उसके असर की भयावहता के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को भी काफी हद तक जिम्मेदार माना गया था। इसने संकट को भांपने में शुरुआती चूक तो की ही, बचाव और राहत के मोर्चे पर भी यह बुरी तरह पस्त पड़ गया था।

इस भयानक आपदा को हुए अब साल भर होने को है। केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा शुरू होने वाली है। इसलिए सरकार और खास तौर पर उसके आपदा प्रबंधन तंत्र की तैयारियों की तरफ निगाहें टिकना स्वाभाविक है। उम्मीद की जा रही है कि इतनी बड़ी आपदा से सबक सीखकर प्रदेश सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग अब पहले से बेहतर तरीके से तैयार होगा।
Submitted by admin on Sun, 06/01/2014 - 10:55
Source:
सर्वोदय प्रेस सर्विस, मई 2014
5 जून पर्यावरण दिवस पर विशेष
जब अंतिम वृक्ष काट दिया गया होगा
जब आखिरी नदी विषैली हो चुकी होगी
जब अंतिम मछली पकड़ी जा चुकी होगी
तभी तुम्हें अहसास होगा
कि पैसे खाए नहीं जा सकते
Submitted by admin on Sat, 05/31/2014 - 12:25
Source:
जनसत्ता (रविवारी), 25 मई 2014
Narega
गरीब बेरोजगारों को सौ दिन की न्यूनतम रोजगार योजना छलावा साबित हो रही है। नीति निर्माण और क्रियान्वयन में खामियों से भरी इस योजना को सबसे बड़ा झटका भ्रष्टाचार ने दिया है। क्यों और कैसे यह कार्यक्रम अपने लक्ष्य से भटका, इसकी पड़ताल कर रहे हैं मनोज राय।

रोजगार गारंटी योजना के संदर्भ में इसे गड्ढा खोदने के उदाहरण के जरिए समझा जा सकता है। इस काम में हर लाभार्थी के लिए एक निश्चित आकार का गड्ढा खोदना अनिवार्य कर दिया जाता है। इसमें महिलाओं और पुरुषों को एक समान लक्ष्य दिया जाता है। जाहिर है कि महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक कार्य-क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए एक निश्चित समयावधि में जितना काम एक पुरुष कर पाएगा उतना कार्य एक महिला के लिए करना मुश्किल है। इस वजह से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम मजदूरी मिल रही है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसे संक्षेप में मनरेगा के नाम से जाना जाता है, गरीब जनता के साथ छलावा साबित हो रही है। बारीकी से देखने पर साफ हो जाता है कि सौ दिन के न्यूनतम रोजगार का कार्यक्रम सौ दिन के अधिकतम रोजगार योजना में बदल गया है। अफसरशाही और भ्रष्टाचार जैसे बिमारियां इस योजना में पलीता लगा चुकी हैं। हो सकता है केंद्र में आने वाली राजग सरकार इस योजना में कोई सुधार करे, बदले या खत्म ही कर दे। लेकिन यूपीए-दो की इस योजना की कमियां सामने आ चुकी हैं।

मनमोहन सरकार के कृषि मंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल समूह की अनुशंसा पर मनरेगा में कार्य अवधि की संख्या बढ़ाकर सौ से डेढ़ सौ दिन किया गया था, लेकिन यहां भी गड़बड़ी की गई। प्रचार ऐसे किया गया जैसे यह व्यवस्था पूरे देश के लिए हो, जबकि यह प्रावधान सिर्फ आदिवासी और प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने वाले इलाकों के लिए हुआ।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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उत्तराखंड त्रासदीः क्या हुआ, क्या बाकी

Submitted by admin on Mon, 06/02/2014 - 09:10
Author
प्रदीप सती
Source
तहलका, मई 2014
उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बादल के कहर ने आपदा प्रबंधन तंत्र के दावों और वादों की धज्जियां उड़ा दी। संकट को भापने, बचाव के उपाय, जानकारियों का आदान-प्रदान तथा राहत के मोर्चे पर तंत्र पूरी तरह असफल रहा। 16 जून को आपदा का एक साल पूरा हो जाएगा। ऐसे में आपदा प्रबंधन तंत्र की ओर निगाहें जाना स्वाभाविक है।केदारघाटी समेत उत्तराखंड के तमाम पर्वतीय इलाकों में बीते साल जो प्राकृतिक आपदा आई थी उसके असर की भयावहता के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को भी काफी हद तक जिम्मेदार माना गया था। इसने संकट को भांपने में शुरुआती चूक तो की ही, बचाव और राहत के मोर्चे पर भी यह बुरी तरह पस्त पड़ गया था।

इस भयानक आपदा को हुए अब साल भर होने को है। केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा शुरू होने वाली है। इसलिए सरकार और खास तौर पर उसके आपदा प्रबंधन तंत्र की तैयारियों की तरफ निगाहें टिकना स्वाभाविक है। उम्मीद की जा रही है कि इतनी बड़ी आपदा से सबक सीखकर प्रदेश सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग अब पहले से बेहतर तरीके से तैयार होगा।

वर्तमान में छिपा है भविष्य

Submitted by admin on Sun, 06/01/2014 - 10:55
Author
चिन्मय मिश्र
Source
सर्वोदय प्रेस सर्विस, मई 2014

5 जून पर्यावरण दिवस पर विशेष


कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा फिर भी मानव ने न चेताजब अंतिम वृक्ष काट दिया गया होगा
जब आखिरी नदी विषैली हो चुकी होगी
जब अंतिम मछली पकड़ी जा चुकी होगी
तभी तुम्हें अहसास होगा
कि पैसे खाए नहीं जा सकते

मनरेगा में रोग

Submitted by admin on Sat, 05/31/2014 - 12:25
Author
मनोज राय
Source
जनसत्ता (रविवारी), 25 मई 2014
Narega
गरीब बेरोजगारों को सौ दिन की न्यूनतम रोजगार योजना छलावा साबित हो रही है। नीति निर्माण और क्रियान्वयन में खामियों से भरी इस योजना को सबसे बड़ा झटका भ्रष्टाचार ने दिया है। क्यों और कैसे यह कार्यक्रम अपने लक्ष्य से भटका, इसकी पड़ताल कर रहे हैं मनोज राय।

रोजगार गारंटी योजना के संदर्भ में इसे गड्ढा खोदने के उदाहरण के जरिए समझा जा सकता है। इस काम में हर लाभार्थी के लिए एक निश्चित आकार का गड्ढा खोदना अनिवार्य कर दिया जाता है। इसमें महिलाओं और पुरुषों को एक समान लक्ष्य दिया जाता है। जाहिर है कि महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक कार्य-क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए एक निश्चित समयावधि में जितना काम एक पुरुष कर पाएगा उतना कार्य एक महिला के लिए करना मुश्किल है। इस वजह से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम मजदूरी मिल रही है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसे संक्षेप में मनरेगा के नाम से जाना जाता है, गरीब जनता के साथ छलावा साबित हो रही है। बारीकी से देखने पर साफ हो जाता है कि सौ दिन के न्यूनतम रोजगार का कार्यक्रम सौ दिन के अधिकतम रोजगार योजना में बदल गया है। अफसरशाही और भ्रष्टाचार जैसे बिमारियां इस योजना में पलीता लगा चुकी हैं। हो सकता है केंद्र में आने वाली राजग सरकार इस योजना में कोई सुधार करे, बदले या खत्म ही कर दे। लेकिन यूपीए-दो की इस योजना की कमियां सामने आ चुकी हैं।

मनमोहन सरकार के कृषि मंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल समूह की अनुशंसा पर मनरेगा में कार्य अवधि की संख्या बढ़ाकर सौ से डेढ़ सौ दिन किया गया था, लेकिन यहां भी गड़बड़ी की गई। प्रचार ऐसे किया गया जैसे यह व्यवस्था पूरे देश के लिए हो, जबकि यह प्रावधान सिर्फ आदिवासी और प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने वाले इलाकों के लिए हुआ।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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