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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Tue, 09/28/2021 - 18:12
Source:
जल स्रोत प्रबंधन के सफल प्रयास पर वैज्ञानिक मंथन
कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूसर्क के वैज्ञानिक तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि पर्वतीय भाग जल स्रोतों के पुनर्जीवन, संरक्षण, स्वच्छता तथा संवर्द्धन  के लिए  सामाजिक सहभागिता के साथ कार्य करना होगा तथा जल संरक्षण की स्थानीय परम्परागत विधियों को अपनाना होगा। जल संरक्षण तथा वर्षाजल संचयन का कार्य अपने-अपने घर एवं गांवों से ही शुरवात करनी होगी। तभी समाज में सभी की सहभागिता से बढ़ती हुई जल की मांग को पूरा किया जा सकेगा। वही तकनीकी सत्र में  रिलायंस  फाउंडेशन उत्तराखण्ड के परियोजना निदेशक कमलेश गुरूरानी ने  ‘‘सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पर्वतीय भाग में जल संरक्षण’’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि रिलाइंस फाउंडेशन ने उत्तराखंड  के उत्तकाशी एवं रूद्रप्रयाग जनपदों में सामूहिक भागीदारी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के रिचार्ज सरचनाएँ  बनायी गयी है  
Submitted by Shivendra on Mon, 09/27/2021 - 13:16
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किशोर सागर तालाब जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने सात साल पहले एनजीटी में दायर की थी याचिक
एनजीटी के माननीय न्यायाधीश श्री शेव कुमार सिंह व श्री अरुण कुमार वर्मा ने इस मामले में 20 सितम्बर को ऐतिहासिक फैसला दिया हैं। जिसमे एनजीटी के पूर्व आदेश का निष्पादन कराने के छतरपुर जिला न्यायाधीश को अधिकार सोंपे दिये गये हैं। इस आदेश के तहत छतरपुर जिला जज किसी भी मजिस्ट्रेट को यह मामला सौंप सकते हैं जिससे किशोर सागर तालाब से पूर्व आदेश के तहत कब्ज़ा हटाने की कार्यवाही संभव हों सके।गौरतलब हैं कि एनजीटी ने अपने पूर्व आदेश में किशोर सागर तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने के लिये कठोर आदेश दिये थे। तालाब के मूल रकवे, फुल टेंक लेबल भराव क्षेत्र और उसके बाद 10 मीटर में ग्रीन जोन बनाने के आदेश दिये थे। एनजीटी में मूल याचिका में जिला कलेक्टर, प्रदूषण विभाग सहित अन्य जिम्मेदार विभागों को भी पक्षकार बनाया गया था। जिनकी दलीलो को भी सुना गया था। इसके बाद एनजीटी का आदेश पारित हुआ था।
Submitted by Shivendra on Mon, 09/27/2021 - 11:37
Source:
नरेंद्र मोदी यूट्यूब
पीएम मोदी ने क्यों कहा साल में एक बार 'नदी उत्सव' मनाएं
पहले जमाने में हमारे बड़े इन श्लोकों बच्चों को याद कराते थे। इससे हमारे देश मे नदियों के प्रति आस्था पैदा होती थी और विशाल भारत का मानचित्र मन में अंकित हो जाता था नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था जिस नदी को हम मां के रूप में जानते हैं और देखते हैं जीते हैं उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था। एकसंस्कार प्रक्रिया थी। उन्होंने कहा जब हमारे देश में  नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं तो सौभाविक रूप से हर कोई यह प्रश्न उठाएगा। और प्रश्नन उठाने का हक भी है।इसका जवाब देना हमारी जिम्मेवारी भी है कोई भी सवाल पूछेगा कि आप नदी के गीत गा रहे हो नदी को माँ कह रहे हो तो नदी प्रदूषित क्यों हो जाती है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जल स्रोत प्रबंधन के सफल प्रयास पर वैज्ञानिक मंथन

Submitted by Shivendra on Tue, 09/28/2021 - 18:12
जल स्रोत प्रबंधन के सफल प्रयास पर वैज्ञानिक मंथन
कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूसर्क के वैज्ञानिक तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि पर्वतीय भाग जल स्रोतों के पुनर्जीवन, संरक्षण, स्वच्छता तथा संवर्द्धन  के लिए  सामाजिक सहभागिता के साथ कार्य करना होगा तथा जल संरक्षण की स्थानीय परम्परागत विधियों को अपनाना होगा। जल संरक्षण तथा वर्षाजल संचयन का कार्य अपने-अपने घर एवं गांवों से ही शुरवात करनी होगी। तभी समाज में सभी की सहभागिता से बढ़ती हुई जल की मांग को पूरा किया जा सकेगा। वही तकनीकी सत्र में  रिलायंस  फाउंडेशन उत्तराखण्ड के परियोजना निदेशक कमलेश गुरूरानी ने  ‘‘सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पर्वतीय भाग में जल संरक्षण’’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि रिलाइंस फाउंडेशन ने उत्तराखंड  के उत्तकाशी एवं रूद्रप्रयाग जनपदों में सामूहिक भागीदारी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के रिचार्ज सरचनाएँ  बनायी गयी है  

किशोर सागर तालाब मामले में एनजीटी का ऐतिहासिक फैसला

Submitted by Shivendra on Mon, 09/27/2021 - 13:16
किशोर सागर तालाब जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने सात साल पहले एनजीटी में दायर की थी याचिक
एनजीटी के माननीय न्यायाधीश श्री शेव कुमार सिंह व श्री अरुण कुमार वर्मा ने इस मामले में 20 सितम्बर को ऐतिहासिक फैसला दिया हैं। जिसमे एनजीटी के पूर्व आदेश का निष्पादन कराने के छतरपुर जिला न्यायाधीश को अधिकार सोंपे दिये गये हैं। इस आदेश के तहत छतरपुर जिला जज किसी भी मजिस्ट्रेट को यह मामला सौंप सकते हैं जिससे किशोर सागर तालाब से पूर्व आदेश के तहत कब्ज़ा हटाने की कार्यवाही संभव हों सके।गौरतलब हैं कि एनजीटी ने अपने पूर्व आदेश में किशोर सागर तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने के लिये कठोर आदेश दिये थे। तालाब के मूल रकवे, फुल टेंक लेबल भराव क्षेत्र और उसके बाद 10 मीटर में ग्रीन जोन बनाने के आदेश दिये थे। एनजीटी में मूल याचिका में जिला कलेक्टर, प्रदूषण विभाग सहित अन्य जिम्मेदार विभागों को भी पक्षकार बनाया गया था। जिनकी दलीलो को भी सुना गया था। इसके बाद एनजीटी का आदेश पारित हुआ था।

पीएम मोदी ने क्यों कहा साल में एक बार 'नदी उत्सव' मनाएं

Submitted by Shivendra on Mon, 09/27/2021 - 11:37
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नरेंद्र मोदी यूट्यूब
पीएम मोदी ने क्यों कहा साल में एक बार 'नदी उत्सव' मनाएं
पहले जमाने में हमारे बड़े इन श्लोकों बच्चों को याद कराते थे। इससे हमारे देश मे नदियों के प्रति आस्था पैदा होती थी और विशाल भारत का मानचित्र मन में अंकित हो जाता था नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था जिस नदी को हम मां के रूप में जानते हैं और देखते हैं जीते हैं उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था। एकसंस्कार प्रक्रिया थी। उन्होंने कहा जब हमारे देश में  नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं तो सौभाविक रूप से हर कोई यह प्रश्न उठाएगा। और प्रश्नन उठाने का हक भी है।इसका जवाब देना हमारी जिम्मेवारी भी है कोई भी सवाल पूछेगा कि आप नदी के गीत गा रहे हो नदी को माँ कह रहे हो तो नदी प्रदूषित क्यों हो जाती है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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