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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Thu, 08/12/2021 - 10:31
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जल संरक्षण के प्रयासों के आईने में चेन्नई का वर्तमान और कुछ सुझाव
जल संकट पर नागरिकों की प्रतिक्रिया लगभग औपचारिक है। नागरिक मानते हैं कि तालाबों की अनदेखी, उनकी धरती पर कालोनियों का विकास और सब जगह कंक्रीट का जंगल खडा करना ही समस्या की जड़ में है। बरसात की कमी को किसी भी नागरिक ने रेखांकित नही किया। वे वह सब करने को तैयार हैं जो सरकार कहेगी। यही उनकी भागीदारी की सीमा है। वे टिकाऊ तकनीक या तकनीक का ब्लूप्रिंट प्रदान नहीं कर सकते। वे थोड़ा-बहुत धन व्यय कर सकते हैं पर उन संरचनाओं का निर्माण नही कर सकते जो, उनका निर्माण करने वाले से, बडी राशि की व्यवस्था और तकनीकी समझ की अपेक्षा करती हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गेंद सरकार के पाले में है
Submitted by Editorial Team on Wed, 08/11/2021 - 11:28
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इंडिया साइंस वायर
जलवायु परिवर्तन, फोटो: साभार इंडिया साइंस वायर
नई दिल्ली, 10 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): संयुक्त राष्ट्र द्वारा 9 अगस्त को जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट का संदेश और सार पृथ्वी के लिए तमाम खतरों की ओर संकेत करता है। जलवायु-परिवर्तन के दुष्परिणामों से न केवल मानव जाति, बल्कि पृथ्वी पर जीवन को संभालने वाले पारिस्थितिक तंत्र का ताना-बाना ही बदल जाने की आशंका जताई जा रही है। इस रिपोर्ट को मानवता के लिए कोड रेड अलर्ट का नाम दिया जा रहा है। इसके माध्यम से वैज्ञानिकों ने एक तरह की स्पष्ट चेतावनी दे दी है कि यदि मानव ने अपनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया तो आने वाले समय में उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।
Submitted by Editorial Team on Wed, 08/11/2021 - 11:28
Source:
इंडिया साइंस वायर
करीब 3000 पन्नों की आईपीसीसी की इस रिपोर्ट को दुनिया भर के 234 वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है। इससे पहले ऐसी रिपोर्ट वर्ष 2013 में आई थी। ताजा रिपोर्ट में पांच संभावित परिदृश्य पर विचार किया गया है। राहत की बात सिर्फ इतनी है कि इसमें व्यक्त सबसे खराब परिदृश्य के आकार लेने की आशंका बेहद न्यून बताई गई है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जल संरक्षण के प्रयासों के आईने में चेन्नई का वर्तमान और कुछ सुझाव

Submitted by Shivendra on Thu, 08/12/2021 - 10:31
जल संरक्षण के प्रयासों के आईने में चेन्नई का वर्तमान और कुछ सुझाव
जल संकट पर नागरिकों की प्रतिक्रिया लगभग औपचारिक है। नागरिक मानते हैं कि तालाबों की अनदेखी, उनकी धरती पर कालोनियों का विकास और सब जगह कंक्रीट का जंगल खडा करना ही समस्या की जड़ में है। बरसात की कमी को किसी भी नागरिक ने रेखांकित नही किया। वे वह सब करने को तैयार हैं जो सरकार कहेगी। यही उनकी भागीदारी की सीमा है। वे टिकाऊ तकनीक या तकनीक का ब्लूप्रिंट प्रदान नहीं कर सकते। वे थोड़ा-बहुत धन व्यय कर सकते हैं पर उन संरचनाओं का निर्माण नही कर सकते जो, उनका निर्माण करने वाले से, बडी राशि की व्यवस्था और तकनीकी समझ की अपेक्षा करती हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गेंद सरकार के पाले में है

जलवायु परिवर्तन पर ‘रेड कोड अलर्ट’ 

Submitted by Editorial Team on Wed, 08/11/2021 - 11:28
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इंडिया साइंस वायर
जलवायु परिवर्तन, फोटो: साभार  इंडिया साइंस वायर
नई दिल्ली, 10 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): संयुक्त राष्ट्र द्वारा 9 अगस्त को जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट का संदेश और सार पृथ्वी के लिए तमाम खतरों की ओर संकेत करता है। जलवायु-परिवर्तन के दुष्परिणामों से न केवल मानव जाति, बल्कि पृथ्वी पर जीवन को संभालने वाले पारिस्थितिक तंत्र का ताना-बाना ही बदल जाने की आशंका जताई जा रही है। इस रिपोर्ट को मानवता के लिए कोड रेड अलर्ट का नाम दिया जा रहा है। इसके माध्यम से वैज्ञानिकों ने एक तरह की स्पष्ट चेतावनी दे दी है कि यदि मानव ने अपनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया तो आने वाले समय में उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

जलवायु परिवर्तन पर ‘रेड कोड अलर्ट’ 

Submitted by Editorial Team on Wed, 08/11/2021 - 11:28
jalvayu-parivartan-par-'red-code-alert'
Source
इंडिया साइंस वायर
करीब 3000 पन्नों की आईपीसीसी की इस रिपोर्ट को दुनिया भर के 234 वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है। इससे पहले ऐसी रिपोर्ट वर्ष 2013 में आई थी। ताजा रिपोर्ट में पांच संभावित परिदृश्य पर विचार किया गया है। राहत की बात सिर्फ इतनी है कि इसमें व्यक्त सबसे खराब परिदृश्य के आकार लेने की आशंका बेहद न्यून बताई गई है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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