नया ताजा

पसंदीदा आलेख

आगामी कार्यक्रम

खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Shivendra on Fri, 08/13/2021 - 14:45
Source:
चेन्नई से सबक लेकर पानी का सरंक्षण जरूरी
भूमिगत जल समाप्त होने के कारण बोरिंग अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिए गए हैं 200 फीट तक भरपूर पानी देने वाले चेन्नई की इस दुर्दशा के सड़को ओर निर्माणों से पाट देना प्रमुख हैं शहर के किसी भी भाग में पानी जमीन में जाने का कोई साधन नहीं बचा है अब चेननई  गर्मी के दिनों में भीषण जल संकट का सामना कर रहा है शहरों के विकास और सड़कों के अलावा फूटपाथ और खुले मैदान सीमेंट से बनाये जाने के कारण  चेननई की यह दुर्दशा हो गई है इस मामले में जल संरक्षण को लेकर कोई अभियान नही चलाएं गए तो वही बेतरतीब निर्माणों के चलते चुनिदा तालाब भी पानी के लिए तरसे गए। साथ ही भूमिगत जल को लेकर कही पर कोई  विशेष कार्य नही किए गए। इसी का परिणाम है कि अब चेननई में भूमिगत जल समाप्त हो चुका है ।
Submitted by Shivendra on Fri, 08/13/2021 - 11:04
Source:
हिंदुस्तान, शनिवार, 20 मार्च 2010 
वर्षों में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा अभियान
महिला मंगल दलों का गठन किया। इस अभियान का सुखद परिणाम है कि क्षेत्र के छः दर्जन से अधिक गांवों की महिलाओं ने महिला मंगल दलों के माध्यम से पानी, जंगल और जमीन में सामूहिक प्रबंधन के साथ होकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है।चीड़ बहुल इस क्षेत्र में घास, पानी लकड़ी की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं ने गांव स्तर पर चौड़ी पत्ती प्रजाति के वन लगाएं हैं। चारा तथा ईंधन की मात्रा और पानी की उपलब्धता के अनुरूप इनके उपयोग और संरक्षण के लिए यह महिला मंगल दलों ने आपसी सहमति से अनेक नियम बनाए हैं।
Submitted by Shivendra on Thu, 08/12/2021 - 13:15
Source:
जल मंत्रालय उत्तराखंड
जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करेगी राज्य सरकार
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इन क्षेत्रों में जल की समस्या को दूर करने के लिए बरसाती जल स्त्रोत का उपयोग किया जाएगा जिसे ढाई लाख लीटर क्षमता वाले टैंक में संग्रह कर साफ सफाई के बाद बरसात के बाद  उपयोग में लाया जाएगा। पहाड़ों में पानी की उपलब्धता 95% वर्षा पर निर्भर करती है।जल संरक्षण को लेकर  राज्य सरकार ने बरसाती जल स्त्रोत पर अधिक  जोर दिया है क्योंकि इसका उपयोगपरंपरागत रूप  से किया जाता है साथ ही  इसमें खर्चा भी काफी कम आता है 

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

चेन्नई से सबक लेकर पानी का सरंक्षण जरूरी

Submitted by Shivendra on Fri, 08/13/2021 - 14:45
चेन्नई से सबक लेकर पानी का सरंक्षण जरूरी
भूमिगत जल समाप्त होने के कारण बोरिंग अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिए गए हैं 200 फीट तक भरपूर पानी देने वाले चेन्नई की इस दुर्दशा के सड़को ओर निर्माणों से पाट देना प्रमुख हैं शहर के किसी भी भाग में पानी जमीन में जाने का कोई साधन नहीं बचा है अब चेननई  गर्मी के दिनों में भीषण जल संकट का सामना कर रहा है शहरों के विकास और सड़कों के अलावा फूटपाथ और खुले मैदान सीमेंट से बनाये जाने के कारण  चेननई की यह दुर्दशा हो गई है इस मामले में जल संरक्षण को लेकर कोई अभियान नही चलाएं गए तो वही बेतरतीब निर्माणों के चलते चुनिदा तालाब भी पानी के लिए तरसे गए। साथ ही भूमिगत जल को लेकर कही पर कोई  विशेष कार्य नही किए गए। इसी का परिणाम है कि अब चेननई में भूमिगत जल समाप्त हो चुका है ।

मोहन मास्साब ने जगाई अलख 

Submitted by Shivendra on Fri, 08/13/2021 - 11:04
Source
हिंदुस्तान, शनिवार, 20 मार्च 2010 
वर्षों में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा अभियान
महिला मंगल दलों का गठन किया। इस अभियान का सुखद परिणाम है कि क्षेत्र के छः दर्जन से अधिक गांवों की महिलाओं ने महिला मंगल दलों के माध्यम से पानी, जंगल और जमीन में सामूहिक प्रबंधन के साथ होकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है।चीड़ बहुल इस क्षेत्र में घास, पानी लकड़ी की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं ने गांव स्तर पर चौड़ी पत्ती प्रजाति के वन लगाएं हैं। चारा तथा ईंधन की मात्रा और पानी की उपलब्धता के अनुरूप इनके उपयोग और संरक्षण के लिए यह महिला मंगल दलों ने आपसी सहमति से अनेक नियम बनाए हैं।

तो इस तरह उत्तराखंड सरकार जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करेगी  

Submitted by Shivendra on Thu, 08/12/2021 - 13:15
Source
जल मंत्रालय उत्तराखंड
जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करेगी राज्य सरकार
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इन क्षेत्रों में जल की समस्या को दूर करने के लिए बरसाती जल स्त्रोत का उपयोग किया जाएगा जिसे ढाई लाख लीटर क्षमता वाले टैंक में संग्रह कर साफ सफाई के बाद बरसात के बाद  उपयोग में लाया जाएगा। पहाड़ों में पानी की उपलब्धता 95% वर्षा पर निर्भर करती है।जल संरक्षण को लेकर  राज्य सरकार ने बरसाती जल स्त्रोत पर अधिक  जोर दिया है क्योंकि इसका उपयोगपरंपरागत रूप  से किया जाता है साथ ही  इसमें खर्चा भी काफी कम आता है 

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Upcoming Event

Popular Articles