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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Mon, 08/23/2021 - 11:39
Source:
डब्ल्यूआरआई इंडिया
पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है खाने की बर्बादी
प्रदूषित तत्वों से फैले प्रदूषण में  8 प्रतिशत  खाने की बर्बादी की वजह से होता है । भारत में बर्बाद हुए खाने से सामजिक, पर्यावरणीय और  आर्थिक प्रभावों और मौजूदा स्थितियों को समझने के लिए वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट इंडिया ( WRI India)  द्वारा 106 प्रकाशित और अप्रकाशित  दस्तावेजों को नियमित रूप से विश्लेषण  करने  के साथ-साथ विशेषज्ञों की राय भी ली। इस अध्ययन में फूड एंड लैंड कॉल कोलिशन (FOLU)  इंडिया ने  भी सहयोग बखूबी सहयोग दिया। इस अध्ययन में रिसर्च, पॉलिसी और प्रशिक्षण में जो भी खामियां थी उसे व्यवस्थित रूप से बताया गया है ताकि भारत में खाने की बर्बादी को रोका जा सके। फूड लॉस एंड वेस्ट इन इंडिया: द नोन्स एंड द अननोन्स पर डब्ल्यू आर आई का  नया अध्ययन देश में खराब खाने की समस्या से निपटने के लिए एक ऐसा रोडमैप  तैयार कर रहा है  जिससे इसके महत्व, हॉटस्पॉट और महत्वपूर्ण नुकसान की पहचान की जा सके।
Submitted by Shivendra on Fri, 08/20/2021 - 10:36
Source:
पानी की टैंकर से पानी भरते हुए ग्रामीण
बुंदेलखंड हमेशा पानी की किल्लत  को लेकर चर्चा में रहता है. यहां के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी लोग बूंद-बूंद के लिए जद्दोजहद करते नजर आए हैं. इसी बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जिसकी हर जगह चर्चा है. एक युवक ने जब आदिवासियों को घाटी से चढ़कर दो किलोमीटर दूर से पानी लाते देखा तो उसका दिल पसीज गया. उसने इस समस्या को खत्म करने की ठानी और बीते चार साल से वो उन आदिवासियों को हर हाल में पानी उपलब्ध करा रहा है. ये मामला दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के गीदन गांव का है. पिछले चार साल से हर दिन शाहजादपुरा निवासी नरेंद्र कटारे उस गांव में पानी का टैंकर लेकर पहुंचा रहा है, जहां प्रशासन हार मान चुका है. गौर करने वाली बात ये है कि पानी के परिवहन पर युवक अब तक 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका है. गीदन में पानी की विकराल समस्या है. जलस्तर हजार फीट से भी ज्यादा नीचे है और गांव में एक भी कुआं नहीं है, कुछ बोर किए गए थे, लेकिन उनमें पानी नहीं निकला. गांव में एक हैंडपंप चालू है, जो पूरे दिन में बमुश्किल 30 लीटर ही पानी दे पाता है  
Submitted by Shivendra on Thu, 08/19/2021 - 13:19
Source:
जनमंच
कई सरकारी स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय नहीं
शिक्षाविदों का मानना है उत्तराखंड का एक पहाड़ी राज्य के चलते दूसरे सभी राज्यों से  बेहतर प्रदर्शन किया है। राज्य के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी कहते है उत्तराखंड के  स्कूल कई मानकों में दूसरे राज्यों के स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन किया है। और इस स्थिति को जारी रखते हुए  शिक्षा के बुनियादी ढांचे को और बेहतर करने के लिये लगातार काम करे रहे । वही नीति आयोग की रिपोर्ट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में उत्तराखंड टॉप 5 राज्य में शामिल है। उत्तराखंड, केरल, हिमाचल, गोवा के बाद चौथे स्थान पर काबिज है  । केरल 100 में से 80 अंक पाकर पहले स्थान पर  है जबकि 74 अंकों के साथ हिमाचल दूसरे और 71 अंकों के साथ गोवा तीसरे और 70 अंको के साथ उत्तराखंड चौथे स्थान पर है। 

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है खाने की बर्बादी जानिए कैसे निपटें इससे

Submitted by Shivendra on Mon, 08/23/2021 - 11:39
Source
डब्ल्यूआरआई इंडिया
पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है खाने की बर्बादी
प्रदूषित तत्वों से फैले प्रदूषण में  8 प्रतिशत  खाने की बर्बादी की वजह से होता है । भारत में बर्बाद हुए खाने से सामजिक, पर्यावरणीय और  आर्थिक प्रभावों और मौजूदा स्थितियों को समझने के लिए वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट इंडिया ( WRI India)  द्वारा 106 प्रकाशित और अप्रकाशित  दस्तावेजों को नियमित रूप से विश्लेषण  करने  के साथ-साथ विशेषज्ञों की राय भी ली। इस अध्ययन में फूड एंड लैंड कॉल कोलिशन (FOLU)  इंडिया ने  भी सहयोग बखूबी सहयोग दिया। इस अध्ययन में रिसर्च, पॉलिसी और प्रशिक्षण में जो भी खामियां थी उसे व्यवस्थित रूप से बताया गया है ताकि भारत में खाने की बर्बादी को रोका जा सके। फूड लॉस एंड वेस्ट इन इंडिया: द नोन्स एंड द अननोन्स पर डब्ल्यू आर आई का  नया अध्ययन देश में खराब खाने की समस्या से निपटने के लिए एक ऐसा रोडमैप  तैयार कर रहा है  जिससे इसके महत्व, हॉटस्पॉट और महत्वपूर्ण नुकसान की पहचान की जा सके।

एक युवक के प्रयास से घर-घर तक पहुँच रहा है पानी

Submitted by Shivendra on Fri, 08/20/2021 - 10:36
पानी की टैंकर से पानी भरते हुए ग्रामीण
बुंदेलखंड हमेशा पानी की किल्लत  को लेकर चर्चा में रहता है. यहां के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी लोग बूंद-बूंद के लिए जद्दोजहद करते नजर आए हैं. इसी बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है, जिसकी हर जगह चर्चा है. एक युवक ने जब आदिवासियों को घाटी से चढ़कर दो किलोमीटर दूर से पानी लाते देखा तो उसका दिल पसीज गया. उसने इस समस्या को खत्म करने की ठानी और बीते चार साल से वो उन आदिवासियों को हर हाल में पानी उपलब्ध करा रहा है. ये मामला दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक के गीदन गांव का है. पिछले चार साल से हर दिन शाहजादपुरा निवासी नरेंद्र कटारे उस गांव में पानी का टैंकर लेकर पहुंचा रहा है, जहां प्रशासन हार मान चुका है. गौर करने वाली बात ये है कि पानी के परिवहन पर युवक अब तक 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुका है. गीदन में पानी की विकराल समस्या है. जलस्तर हजार फीट से भी ज्यादा नीचे है और गांव में एक भी कुआं नहीं है, कुछ बोर किए गए थे, लेकिन उनमें पानी नहीं निकला. गांव में एक हैंडपंप चालू है, जो पूरे दिन में बमुश्किल 30 लीटर ही पानी दे पाता है  

कई सरकारी स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय नहीं जानिए क्या है कारण 

Submitted by Shivendra on Thu, 08/19/2021 - 13:19
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जनमंच
कई सरकारी स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय नहीं
शिक्षाविदों का मानना है उत्तराखंड का एक पहाड़ी राज्य के चलते दूसरे सभी राज्यों से  बेहतर प्रदर्शन किया है। राज्य के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी कहते है उत्तराखंड के  स्कूल कई मानकों में दूसरे राज्यों के स्कूलों से बेहतर प्रदर्शन किया है। और इस स्थिति को जारी रखते हुए  शिक्षा के बुनियादी ढांचे को और बेहतर करने के लिये लगातार काम करे रहे । वही नीति आयोग की रिपोर्ट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में उत्तराखंड टॉप 5 राज्य में शामिल है। उत्तराखंड, केरल, हिमाचल, गोवा के बाद चौथे स्थान पर काबिज है  । केरल 100 में से 80 अंक पाकर पहले स्थान पर  है जबकि 74 अंकों के साथ हिमाचल दूसरे और 71 अंकों के साथ गोवा तीसरे और 70 अंको के साथ उत्तराखंड चौथे स्थान पर है। 

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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