तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

यदि खेतों में ढ़ाल का प्रतिशत अधिक है तो ढ़ाल की विपरीत दिशा में हल या अन्य उपलब्ध कृषि यंत्रों द्वारा खेतों की गहरी जुताई करना चाहिये, इससे वर्षा का पानी खेत में अधिक गहराई तक अवशोषित होगा एवं उसके नीचे की ओर बहने की गति कम होगी। अंततोगत्वा भूमि क्षरण की दर में कमी आयेगी। ढ़ाल की विपरीत दिशा में जुताई करने से हल द्वारा निर्मित नालियों में पानी अधिक समय तक खेत में ठहरेगा। जिससे भूमि में जल की प्रतिशत मात्रा में वृद्धि होगी।
यदि खेतों में ढ़ाल का प्रतिशत अधिक है तो ढ़ाल की विपरीत दिशा में हल या अन्य उपलब्ध कृषि यंत्रों द्वारा खेतों की गहरी जुताई करना चाहिये, इससे वर्षा का पानी खेत में अधिक गहराई तक अवशोषित होगा एवं उसके नीचे की ओर बहने की गति कम होगी। अंततोगत्वा भूमि क्षरण की दर में कमी आयेगी। ढ़ाल की विपरीत दिशा में जुताई करने से हल द्वारा निर्मित नालियों में पानी अधिक समय तक खेत में ठहरेगा। जिससे भूमि में जल की प्रतिशत मात्रा में वृद्धि होगी।
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