तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

वाबसंद्रा झील: पुनरोद्धार के बाद की तस्वीर
सिल्वर सिटी बेंगलुरु पानी की किल्लत से बेहाल हो चुका है। एक करोड़ से अधिक आबादी वाला शहर बेंगलुरु साफ़ पानी के भारी संकट से जूझ रहा है। शहर को पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत कावेरी नदी और झीलें ही रही है। यहाँ भूजल का स्तर इस कदर नीचे हो गया है कि शहर में पानी का संकट विकराल हो चुका है। आनंद आंनद मल्लिग्वाद सूखती झीलों के लिये जैसे मसीहा बन गए। लगभग खत्म हो चुकी इस झील को आनंद और उनके साथियों ने अपनी मेहनत से 30 फीट गहरे पानी का भंडार बना दिया था । नीलगिरी पहाड़ियों के बीच और ऊँचे पेड़ों के बीच स्थित यह स्थान अब एक प्रकार के छोटे ऊटी में बदल गया है, तो इसका श्रेय आनंद आंनद मल्लिग्वाद को जाता है।
(पश्चिमी घाट में शिवगिरी की पहाड़ियों से निकलने वाली पेरियार नदी केरल की सबसे लम्बी नदी है। 244 किमी लम्बी पेरियार केरल की जीवनदायिनी है। पर आज प्रदूषण का रोग इस नदी को भी बीमार बना रहा है। फिलहाल पेरियार के प्रदूषण के एक मामले में एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। पेरियार नदी में अवैध रूप से गिरने वाले अस्पतालों और उद्योगों के अपशिष्ट व दूषित जल के एक मामले में एनजीटी ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर भास्करन द्वारा लिखे गए एक पत्र को ही रिट-पेटीशन मान लिया है। और एक संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह समिति पर्यावरण को होने वाले नुकसान की तो जांच करेगी ही और उन व्यक्तियों की पहचान करेगी जो पेरियार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं ताकि नदी को अपनी पुरानी स्थिति में लाने के लिये लगने वाले खर्च की वसूली भी उनसे की जा सके। एक बार फिर ‘पॉल्यूटर पैज़’ (यानी प्रदूषक ही पैसा दे) प्रिंसिपल का सम्मान करते हुए न्यायपालिका ने कानूनी ढाँचे को मजबूत किया है। - संपादक)
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कितने ही मामले रोजाना सामने आते हैं। कुछ मामले कोर्ट तक पहुँच जाते हैं तो कुछ अनदेखे कर दिये जाते हैं। कितनों की सुनवाई कोर्ट में विचाराधीन है। ज्यादातर मामले तो प्रशासन की लापरवाही और अकर्मण्यता की पोल खोलते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया पेरियार नदी का।वाबसंद्रा झील: पुनरोद्धार के बाद की तस्वीर
(पश्चिमी घाट में शिवगिरी की पहाड़ियों से निकलने वाली पेरियार नदी केरल की सबसे लम्बी नदी है। 244 किमी लम्बी पेरियार केरल की जीवनदायिनी है। पर आज प्रदूषण का रोग इस नदी को भी बीमार बना रहा है। फिलहाल पेरियार के प्रदूषण के एक मामले में एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। पेरियार नदी में अवैध रूप से गिरने वाले अस्पतालों और उद्योगों के अपशिष्ट व दूषित जल के एक मामले में एनजीटी ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर भास्करन द्वारा लिखे गए एक पत्र को ही रिट-पेटीशन मान लिया है। और एक संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह समिति पर्यावरण को होने वाले नुकसान की तो जांच करेगी ही और उन व्यक्तियों की पहचान करेगी जो पेरियार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं ताकि नदी को अपनी पुरानी स्थिति में लाने के लिये लगने वाले खर्च की वसूली भी उनसे की जा सके। एक बार फिर ‘पॉल्यूटर पैज़’ (यानी प्रदूषक ही पैसा दे) प्रिंसिपल का सम्मान करते हुए न्यायपालिका ने कानूनी ढाँचे को मजबूत किया है। - संपादक)
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कितने ही मामले रोजाना सामने आते हैं। कुछ मामले कोर्ट तक पहुँच जाते हैं तो कुछ अनदेखे कर दिये जाते हैं। कितनों की सुनवाई कोर्ट में विचाराधीन है। ज्यादातर मामले तो प्रशासन की लापरवाही और अकर्मण्यता की पोल खोलते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया पेरियार नदी का।
पसंदीदा आलेख