तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

दम तोड़तीं नदियाँगर्मी ने दस्तक दिया नहीं कि जल संकट की खबरें आम हो जाती हैं। पर मध्य-प्रदेश के सतपुड़ा व अन्य इलाकों की स्थिति कुछ अलग है। यहाँ पानी की किल्लत मौसमी न रहकर स्थायी हो गई है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं। नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले की, सींगरी, बारूरेवा, शक्कर, दुधी, ओल, आंजन, कोरनी, मछवासा जैसी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। इनमें से ज्यादातर बारहमासी नदियां थीं। पीने के पानी से लेकर फसलों के लिए भी पानी का संकट बढ़ गया है।
यह पुस्तक पर्यावरण के प्रति संशय भरी दृष्टि रखने वाले व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति आस्थावान बनने के बारे में है, पर उस कहानी को कहने के लिये मुझे एकदम शुरू से आरम्भ करना होगा।
ग्रीन सिग्नल्सयूपीए सरकार के पुनः निर्वाचित होने के बाद 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मुझे पर्यावरण एवं वन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद देने की पेशकश ने (जो कैबिनेट मंत्री के दर्जे से तनिक कमतर था) मुझे हैरान किया क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि एक आर्थिक प्रशासक की थी। पहले मैं वाणिज्य एवं ऊर्जा विभाग में मंत्री रहा। सरकारी अधिकारी के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, उद्योग मंत्रालय और ऊर्जा सलाहकार परिषद में अपनी सेवाएँ दी थी।
दम तोड़तीं नदियाँगर्मी ने दस्तक दिया नहीं कि जल संकट की खबरें आम हो जाती हैं। पर मध्य-प्रदेश के सतपुड़ा व अन्य इलाकों की स्थिति कुछ अलग है। यहाँ पानी की किल्लत मौसमी न रहकर स्थायी हो गई है। ज्यादातर नदियां सूख गई हैं। नरसिंहपुर और होशंगाबाद जिले की, सींगरी, बारूरेवा, शक्कर, दुधी, ओल, आंजन, कोरनी, मछवासा जैसी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। इनमें से ज्यादातर बारहमासी नदियां थीं। पीने के पानी से लेकर फसलों के लिए भी पानी का संकट बढ़ गया है।
यह पुस्तक पर्यावरण के प्रति संशय भरी दृष्टि रखने वाले व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति आस्थावान बनने के बारे में है, पर उस कहानी को कहने के लिये मुझे एकदम शुरू से आरम्भ करना होगा।ग्रीन सिग्नल्सयूपीए सरकार के पुनः निर्वाचित होने के बाद 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मुझे पर्यावरण एवं वन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद देने की पेशकश ने (जो कैबिनेट मंत्री के दर्जे से तनिक कमतर था) मुझे हैरान किया क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि एक आर्थिक प्रशासक की थी। पहले मैं वाणिज्य एवं ऊर्जा विभाग में मंत्री रहा। सरकारी अधिकारी के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, उद्योग मंत्रालय और ऊर्जा सलाहकार परिषद में अपनी सेवाएँ दी थी।
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