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22 अप्रैल, 2018, पृथ्वी दिवस पर विशेष
पृथ्वी का अस्तित्व खतरे में पृथ्वी दिवस विश्व भर में 22 अप्रैल को पर्यावरण चेतना जागृत करने के लिये मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन 1970 में मनाया गया था। आजकल विश्व में हर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के रूप में आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही बढ़ती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
दशरथ कुमारगया जिले के आमस चौक से कुछ पहले स्थित एक स्कूल के करीब से बायीं तरफ एक सड़क जाती है। कुछ दूर चलने पर यह सड़क बायीं तरफ मुड़ जाती है। वहीं से दायीं तरफ एक पगडंडी शुरू हो जाती है। आड़ी-तिरछी, उतार-चढ़ाव और गड्ढोंवाली यह पगडंडी पहाड़ों के बीच से होकर एक गांव तक पहुंचती है। इस गांव का नाम भूपनगर है।
22 अप्रैल, 2018, पृथ्वी दिवस पर विशेष
पोर्टलैंड विश्वविद्यालय में पर्यावरणविद पॉल हॉकेन का व्याख्यान
पॉल हॉकिनइस पीढ़ी के नौजवानों! यहां से डिग्री हासिल करने के बाद अब तुम्हे यह समझना है कि धरती पर मनुष्य होने का क्या मतलब है, वह भी ऐसे समय में जब यहां मौजूद पूरा तंत्र विनाश के गर्त में जा रहा है, आत्मा तक को हिला देने वाली स्थिति है –
पिछले तीस सालों में कोई ऐसा पेपर नहीं छपा जो मेरे इस बयान को झुठलाता हो। दरअसल धरती को जल्द से जल्द एक नए ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरत है और आप सब उसके प्रोग्रामर हैं।
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पर्यावरण की रक्षा, अपने होने की रक्षा है
22 अप्रैल, 2018, पृथ्वी दिवस पर विशेष
पृथ्वी दिवस विश्व भर में 22 अप्रैल को पर्यावरण चेतना जागृत करने के लिये मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन 1970 में मनाया गया था। आजकल विश्व में हर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के रूप में आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही बढ़ती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
विकलांग हो गया विनोबा भावे का बसाया गांव
गया जिले के आमस चौक से कुछ पहले स्थित एक स्कूल के करीब से बायीं तरफ एक सड़क जाती है। कुछ दूर चलने पर यह सड़क बायीं तरफ मुड़ जाती है। वहीं से दायीं तरफ एक पगडंडी शुरू हो जाती है। आड़ी-तिरछी, उतार-चढ़ाव और गड्ढोंवाली यह पगडंडी पहाड़ों के बीच से होकर एक गांव तक पहुंचती है। इस गांव का नाम भूपनगर है।
आओ! धरती काम पर रख रही है (Earth Needs Activists)
22 अप्रैल, 2018, पृथ्वी दिवस पर विशेष
पोर्टलैंड विश्वविद्यालय में पर्यावरणविद पॉल हॉकेन का व्याख्यान
इस पीढ़ी के नौजवानों! यहां से डिग्री हासिल करने के बाद अब तुम्हे यह समझना है कि धरती पर मनुष्य होने का क्या मतलब है, वह भी ऐसे समय में जब यहां मौजूद पूरा तंत्र विनाश के गर्त में जा रहा है, आत्मा तक को हिला देने वाली स्थिति है –
पिछले तीस सालों में कोई ऐसा पेपर नहीं छपा जो मेरे इस बयान को झुठलाता हो। दरअसल धरती को जल्द से जल्द एक नए ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरत है और आप सब उसके प्रोग्रामर हैं।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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