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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Hindi on Fri, 01/16/2015 - 16:52
Source:
गांधी-मार्ग, जनवरी-फरवरी 2015
Talab
क्या बिना पढ़े, बिना स्कूल गए कोई इंजीनियर बन सकता है? आज तो यही जवाब मिलेगा कि ऐसा नहीं हो सकता।

इंजीनियर बनना हो तो स्कूल जाना होगा। वहां भी सिर्फ अपनी मेहनत, अपनी योग्यता काम नहीं आएगी। ट्यूशन तो पुराना पड़ गया शब्द है, उससे काम नहीं चलेगा। सब तो यही बताएंगे कि इंजीनियर बनाना है तो कोचिंग का इंतजाम भी करना पड़ेगा। इस सबमें जो खर्च आएगा, वह भी हर घर तो जुटा नहीं पाता। तो कुछ बच्चे चाह कर भी, योग्य होते हुए भी इस दौड़ में पीछे रह जाते हैं।

जो इस मोड़ से आगे बढ़ गए, उन्हें अभी पांच साल और बिताने हैं। तब वे इंजीनियर बन पाएंगे। तो जरा जोड़कर तो देखो भला कितने साल हो गए?
Submitted by Shivendra on Fri, 01/09/2015 - 11:36
Source:
यथावत, जनवरी 2015
पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। माना जा रहा है कि इस वजह से अगले साल पेरिस में होने वाले पर्यावरण सम्मेलन में आने वाले सालों में पूरी दुनिया के लिए पर्यावरण संरक्षण के अंतिम लक्ष्य तय करना मुश्किल होगा। हालांकि, इस सम्मेलन के बाद एक बार फिर से विकसित देश भारत पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी की प्रतिबद्धता देने के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं।

लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन में 190 देशों ने हिस्सा लिया। इन देशों में सहमति नहीं बनने की वजह से सम्मेलन अपने तय समय से 36 घण्टे अधिक चला। इसके बावजूद सभी देशों में सहमति को लेकर जो प्रारूप सामने आया, उसके बारे में पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि यह बेहद कमजोर है।
Submitted by Shivendra on Fri, 01/09/2015 - 10:47
Source:
प्रथम प्रवक्ता, जनवरी 2015
भारत के पुरजोर विरोध के बावजूद चीन ने आखिरकार तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे बड़े हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। इससे चीन से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों और बांग्लादेश में भी बहने वाली इस बड़ी नदी में जल का प्रवाह कभी भी प्रभावित हो सकता है। ऐसे में देखा जाए तो चीन की इस परियोजना से करोड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। यही कारण है कि असम आदि राज्यों में इसका तीव्र विरोध हो रहा है।

चीन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार 1.5 अरब डॉलर की लागत से आठ साल में बनकर तैयार हुआ जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन की पहली जनरेटिंग यूनिट समुद्र की सतह से 3300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बताया जा रहा है कि इसकी पाँच अन्य बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण का काम अगले साल पूरा हो जाएगा। इन छह यूनिटों के पूरी तरह शुरू होने पर विशाल परियोजना की कुल स्थापित क्षमता 5.10 लाख किलोवाट होगी।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

कोहनी का पाठ

Submitted by Hindi on Fri, 01/16/2015 - 16:52
Author
अनुपम मिश्र
Source
गांधी-मार्ग, जनवरी-फरवरी 2015
Talab
.क्या बिना पढ़े, बिना स्कूल गए कोई इंजीनियर बन सकता है? आज तो यही जवाब मिलेगा कि ऐसा नहीं हो सकता।

इंजीनियर बनना हो तो स्कूल जाना होगा। वहां भी सिर्फ अपनी मेहनत, अपनी योग्यता काम नहीं आएगी। ट्यूशन तो पुराना पड़ गया शब्द है, उससे काम नहीं चलेगा। सब तो यही बताएंगे कि इंजीनियर बनाना है तो कोचिंग का इंतजाम भी करना पड़ेगा। इस सबमें जो खर्च आएगा, वह भी हर घर तो जुटा नहीं पाता। तो कुछ बच्चे चाह कर भी, योग्य होते हुए भी इस दौड़ में पीछे रह जाते हैं।

जो इस मोड़ से आगे बढ़ गए, उन्हें अभी पांच साल और बिताने हैं। तब वे इंजीनियर बन पाएंगे। तो जरा जोड़कर तो देखो भला कितने साल हो गए?

लीमा में नहीं बनी सहमति

Submitted by Shivendra on Fri, 01/09/2015 - 11:36
Author
हिमांशु शेखर
Source
यथावत, जनवरी 2015
.पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। माना जा रहा है कि इस वजह से अगले साल पेरिस में होने वाले पर्यावरण सम्मेलन में आने वाले सालों में पूरी दुनिया के लिए पर्यावरण संरक्षण के अंतिम लक्ष्य तय करना मुश्किल होगा। हालांकि, इस सम्मेलन के बाद एक बार फिर से विकसित देश भारत पर कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी की प्रतिबद्धता देने के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं।

लीमा में आयोजित पर्यावरण सम्मेलन में 190 देशों ने हिस्सा लिया। इन देशों में सहमति नहीं बनने की वजह से सम्मेलन अपने तय समय से 36 घण्टे अधिक चला। इसके बावजूद सभी देशों में सहमति को लेकर जो प्रारूप सामने आया, उसके बारे में पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि यह बेहद कमजोर है।

सीमा के बाद जल विवाद

Submitted by Shivendra on Fri, 01/09/2015 - 10:47
Author
प्रथम प्रवक्ता
Source
प्रथम प्रवक्ता, जनवरी 2015
.भारत के पुरजोर विरोध के बावजूद चीन ने आखिरकार तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे बड़े हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। इससे चीन से भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों और बांग्लादेश में भी बहने वाली इस बड़ी नदी में जल का प्रवाह कभी भी प्रभावित हो सकता है। ऐसे में देखा जाए तो चीन की इस परियोजना से करोड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। यही कारण है कि असम आदि राज्यों में इसका तीव्र विरोध हो रहा है।

चीन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार 1.5 अरब डॉलर की लागत से आठ साल में बनकर तैयार हुआ जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन की पहली जनरेटिंग यूनिट समुद्र की सतह से 3300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बताया जा रहा है कि इसकी पाँच अन्य बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण का काम अगले साल पूरा हो जाएगा। इन छह यूनिटों के पूरी तरह शुरू होने पर विशाल परियोजना की कुल स्थापित क्षमता 5.10 लाख किलोवाट होगी।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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