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लोकटक झीलहर्ष की बात है कि विश्व नमभूमि दिवस - 2017 से ठीक दो दिन पहले आस्ट्रेलिया सरकार ने 15 लाख डॉलर की धनराशि वाले ‘वाटर एबंडेंस प्राइज’ हेतु समझौता किया है। यह समझौता, भारत के टाटा उद्योग घराने और अमेरिका के एक्सप्राइज घराने के साथ मिलकर किया गया है।
विषाद का विषय है कि जल संरक्षण के नाम पर गठित इस पुरस्कार का मकसद हवा से पानी निकालने की कम ऊर्जा खर्च वाली सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।
मकबरा तालाब भारत के राष्ट्रीय नायकों में शुमार शेरशाह सूरी द्वारा 16वीं शताब्दी में बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक बड़े तालाब के मध्य मकबरा बनाया गया था।
उस वक्त से ही इस तालाब को मकबरा तालाब कहा जाने लगा। उन दिनों तालाब का पानी कंचन हुआ करता था। बताया जाता है कि उस वक्त इस तालाब के पानी से स्थानीय लोग खाना भी बनाते थे, लेकिन आज यह तालाब अपनी दयनीय हालत पर जार-जार रो रहा है, लेकिन उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं है।
305 मीटर क्षेत्रफल वाले तालाब के बीच एक चबूतरे पर बना यह मकबरा भारतीय-अफगानी स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों में एक है।
उपेक्षित रामगढ़ झील पिछले साल एक मगरमच्छ खाने की तलाश में रामगढ़ बाँध से चल कर सात किलोमीटर दूर जामवा रामगढ़ गाँव तक पहुँच गया। बाँध में एक समय पर 100 से ज्यादा मगरमच्छ थे पर 2006 के बाद से यह सूखा पड़ा है जिसके कारण मछली और मगरमच्छों का अन्य खाद्य ना के बराबर हो गया।
जयपुर के महाराज माधो सिंह द्वितीय के द्वारा बनवाया गया यह बाँध 1903 में निर्मित हुआ पर शहर को पानी की सप्लाई 1931 में शुरू हुई। जल्द ही यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया जिसमें 1982 के एशियाई खेलों में नौकायान प्रतियोगता भी काफी धूमधाम से आयोजित की गई।
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बर्बादी रोकनी है, तो नमभूमि बचाएँ
विश्व नम भूमि दिवस - 02 फरवरी, 2017 पर विशेष
हर्ष की बात है कि विश्व नमभूमि दिवस - 2017 से ठीक दो दिन पहले आस्ट्रेलिया सरकार ने 15 लाख डॉलर की धनराशि वाले ‘वाटर एबंडेंस प्राइज’ हेतु समझौता किया है। यह समझौता, भारत के टाटा उद्योग घराने और अमेरिका के एक्सप्राइज घराने के साथ मिलकर किया गया है।
विषाद का विषय है कि जल संरक्षण के नाम पर गठित इस पुरस्कार का मकसद हवा से पानी निकालने की कम ऊर्जा खर्च वाली सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास करने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है।
जार-जार रो रहा 16वीं शताब्दी का मकबरा तालाब
भारत के राष्ट्रीय नायकों में शुमार शेरशाह सूरी द्वारा 16वीं शताब्दी में बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में एक बड़े तालाब के मध्य मकबरा बनाया गया था।
उस वक्त से ही इस तालाब को मकबरा तालाब कहा जाने लगा। उन दिनों तालाब का पानी कंचन हुआ करता था। बताया जाता है कि उस वक्त इस तालाब के पानी से स्थानीय लोग खाना भी बनाते थे, लेकिन आज यह तालाब अपनी दयनीय हालत पर जार-जार रो रहा है, लेकिन उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं है।
305 मीटर क्षेत्रफल वाले तालाब के बीच एक चबूतरे पर बना यह मकबरा भारतीय-अफगानी स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों में एक है।
ऐसे नहीं बचेगी रामगढ़ झील
पिछले साल एक मगरमच्छ खाने की तलाश में रामगढ़ बाँध से चल कर सात किलोमीटर दूर जामवा रामगढ़ गाँव तक पहुँच गया। बाँध में एक समय पर 100 से ज्यादा मगरमच्छ थे पर 2006 के बाद से यह सूखा पड़ा है जिसके कारण मछली और मगरमच्छों का अन्य खाद्य ना के बराबर हो गया।
जयपुर के महाराज माधो सिंह द्वितीय के द्वारा बनवाया गया यह बाँध 1903 में निर्मित हुआ पर शहर को पानी की सप्लाई 1931 में शुरू हुई। जल्द ही यह जलाशय या झील एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया जिसमें 1982 के एशियाई खेलों में नौकायान प्रतियोगता भी काफी धूमधाम से आयोजित की गई।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
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