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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Mon, 01/02/2017 - 16:59
Source:
यथावत, 1-15 जनवरी, 2017

अनुपम मिश्रगाँधी शान्ति प्रतिष्ठान परिसर की इस पुरानी इमारत का नाम पर्यावरण कक्ष है। पूछकर मालूम हुआ। कहीं लिखा हुआ था नहीं। बस मान लेना था कि यही पर्यावरण कक्ष है। इसमें अन्दर घुसते ही अखबारों से काटी ढेर सारी तस्वीरें दीवारों पर चिपकी हैं। दाईं तरफ एक छोटे कमरे में लकड़ी की मेज और कुर्सी पर दरमियानी कद का एक व्यक्ति कागज पर लिखे को पढ़ने और बीच-बीच में कलम से निशान लगाने, लिखने में लीन है।

इस तल्लीनता ने ऐसा वातावरण रच दिया था कि अन्दर आने के लिये पूछने में हिचक हो रही थी। दरवाजा खुला था, इसलिये खटखटाने का संयोग भी नहीं बन रहा था। कुछ क्षण में ही उस व्यक्ति को शायद आहट हुई। नजर ऊपर उठी। ‘आइए’ कहने पर नीरवता थोड़ी भंग हुई।
Submitted by RuralWater on Fri, 12/30/2016 - 10:43
Source:

अनुपम मिश्र‘भाषा, लोगों को तो आपस में जोड़ती ही है, यह किसी व्यक्ति को उसके परिवेश से भी जोड़ती है। अपनी भाषा से लबालब भरे समाज में पानी की कमी नहीं हो सकती और न ही ऐसा समाज पर्यावरण को लेकर निष्ठुर हो सकता है। इसलिये पर्यावरण की बेहतरी के लिये काम करने वाले लोगों को अपनी भाषाओं के प्रति संंजीदा होना पड़ेगा। अपनी भाषाओं को बचाए रखने, मान-सम्मान बख्शने के लिये आगे आना होगा। यदि भाषाएँ बची रहेंगी, तो हम अपने परिवेश से जुड़े रहेंगे और पर्यावरण के संरक्षण का काम अपने आप आगे बढ़ेगा।’

अनुपम जी की भाव धारा और भाषा धारा, मीडिया चौपाल में शिरकत करने वाले युवा पत्रकारों को सम्मोहित जैसे किये हुए थी। सैकड़ों युवा पत्रकारों के जमावड़े वाले किसी भी कार्यक्रम में इस तरह की शान्ति एक अपवाद ही मानी जाएगी। वह ‘मीडिया चौपाल’ द्वारा आईआईएमसी में आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। नदियों के संरक्षण पर केन्द्रित इस संगोष्ठी में ही उनसे अन्तिम बार मिलना हुआ।
Submitted by RuralWater on Thu, 12/29/2016 - 11:24
Source:
Anupam mishra

अनुपम मिश्रसिरी फोर्ट के उस कमरे में गंगा समग्र की नेता उमा भारती, पर्यावरणविद अनुपम मिश्र और इन पंक्तियों के लेखक के अलावा कुछ लोग और भी मौजूद थे। उमा भारती ने अनुपम जी से कहा कि कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में मुझे जनता के सामने एक संकल्प रखना है जिसके आधार पर गंगा सफाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी, आप सुझाव दें कि मैं क्या संकल्प लूँ।

अनुपम जी ने कहा कि आप अच्छा काम कर रही है और ऐसे ही करते रहिए कोई संकल्प मत लीजिए क्योंकि कल को आपका कोई नेता आएगा और कहेगा कि मैं तो विकास पुरुष हूँ, आस्था और पर्यावरण के नाम पर विकास नहीं रोका जा सकता इसलिये बाँध बनना जरूरी है, उस समय आप उसका विरोध नहीं कर पाएँगी और पार्टी लाइन के नाम पर आपको गंगा की बर्बादी का समर्थन करना होगा।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

सादगी और सुरुचि के अनुपम

Submitted by RuralWater on Mon, 01/02/2017 - 16:59
Author
राजीव रंजन गिरि
Source
यथावत, 1-15 जनवरी, 2017

अनुपम मिश्रअनुपम मिश्रगाँधी शान्ति प्रतिष्ठान परिसर की इस पुरानी इमारत का नाम पर्यावरण कक्ष है। पूछकर मालूम हुआ। कहीं लिखा हुआ था नहीं। बस मान लेना था कि यही पर्यावरण कक्ष है। इसमें अन्दर घुसते ही अखबारों से काटी ढेर सारी तस्वीरें दीवारों पर चिपकी हैं। दाईं तरफ एक छोटे कमरे में लकड़ी की मेज और कुर्सी पर दरमियानी कद का एक व्यक्ति कागज पर लिखे को पढ़ने और बीच-बीच में कलम से निशान लगाने, लिखने में लीन है।

इस तल्लीनता ने ऐसा वातावरण रच दिया था कि अन्दर आने के लिये पूछने में हिचक हो रही थी। दरवाजा खुला था, इसलिये खटखटाने का संयोग भी नहीं बन रहा था। कुछ क्षण में ही उस व्यक्ति को शायद आहट हुई। नजर ऊपर उठी। ‘आइए’ कहने पर नीरवता थोड़ी भंग हुई।

पानी की अनुपम कहानी

Submitted by RuralWater on Fri, 12/30/2016 - 10:43
Author
डॉ. जयप्रकाश सिंह

अनुपम मिश्रअनुपम मिश्र‘भाषा, लोगों को तो आपस में जोड़ती ही है, यह किसी व्यक्ति को उसके परिवेश से भी जोड़ती है। अपनी भाषा से लबालब भरे समाज में पानी की कमी नहीं हो सकती और न ही ऐसा समाज पर्यावरण को लेकर निष्ठुर हो सकता है। इसलिये पर्यावरण की बेहतरी के लिये काम करने वाले लोगों को अपनी भाषाओं के प्रति संंजीदा होना पड़ेगा। अपनी भाषाओं को बचाए रखने, मान-सम्मान बख्शने के लिये आगे आना होगा। यदि भाषाएँ बची रहेंगी, तो हम अपने परिवेश से जुड़े रहेंगे और पर्यावरण के संरक्षण का काम अपने आप आगे बढ़ेगा।’

अनुपम जी की भाव धारा और भाषा धारा, मीडिया चौपाल में शिरकत करने वाले युवा पत्रकारों को सम्मोहित जैसे किये हुए थी। सैकड़ों युवा पत्रकारों के जमावड़े वाले किसी भी कार्यक्रम में इस तरह की शान्ति एक अपवाद ही मानी जाएगी। वह ‘मीडिया चौपाल’ द्वारा आईआईएमसी में आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। नदियों के संरक्षण पर केन्द्रित इस संगोष्ठी में ही उनसे अन्तिम बार मिलना हुआ।

वे नदी थे

Submitted by RuralWater on Thu, 12/29/2016 - 11:24
Author
अभय मिश्र
Anupam mishra

अनुपम मिश्रअनुपम मिश्रसिरी फोर्ट के उस कमरे में गंगा समग्र की नेता उमा भारती, पर्यावरणविद अनुपम मिश्र और इन पंक्तियों के लेखक के अलावा कुछ लोग और भी मौजूद थे। उमा भारती ने अनुपम जी से कहा कि कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में मुझे जनता के सामने एक संकल्प रखना है जिसके आधार पर गंगा सफाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी, आप सुझाव दें कि मैं क्या संकल्प लूँ।

अनुपम जी ने कहा कि आप अच्छा काम कर रही है और ऐसे ही करते रहिए कोई संकल्प मत लीजिए क्योंकि कल को आपका कोई नेता आएगा और कहेगा कि मैं तो विकास पुरुष हूँ, आस्था और पर्यावरण के नाम पर विकास नहीं रोका जा सकता इसलिये बाँध बनना जरूरी है, उस समय आप उसका विरोध नहीं कर पाएँगी और पार्टी लाइन के नाम पर आपको गंगा की बर्बादी का समर्थन करना होगा।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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