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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Tue, 03/08/2016 - 12:50
Source:
Air pollution


हवा लोगों को जीवन देती है लेकिन अगर यही जीवन लेने लगे तो? सवाल अजीब जरूर है लेकिन इसे झुठलाया नहीं जा सकता है।

हाल ही में एक संस्थान द्वारा किये गये एक शोध में पता चला है कि दिल्ली की आबोहवा जहरीली हो गयी है और लोगों की जिंदगी के दिन कम कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ ट्रौपिकल मेटीरियोलॉजी Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM) द्वारा किये गये शोध में पता चला है कि वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली के लोगों के जीवनकाल से 6.4 वर्ष कम हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की जिंदगी 80 वर्षों की है वे 76 वर्ष ही जी पायेंगे।

Submitted by Editorial Team on Sun, 03/06/2016 - 19:37
Source:
sri sri ravi shankar


जैसे-जैसे आर्ट ऑफ लिविंग के ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ के आयोजन का समय पास आ रहा है वैसे-वैसे नदियों की चिन्ता करने वाले लोगों की चिन्ता और बढ़ती जा रही है। हमने इण्डिया वाटर पोर्टल की ओर से जब यमुना किनारे के कुछ स्थानीय साथियों से बातचीत की तो पाया कि लोग नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से बड़ी आस लगाए बैठे हैं। आखिर यह लड़ाई नदियों के हक की लड़ाई है।

पूरी दुनिया में नदियों की पुनर्बहाली के लिये प्रयत्नशील रॉबर्ट कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में चलने वाले नेटवर्क ‘वाटरकीपर एलायंस’ की भारतीय प्रतिनिधि और यमुनावाटरकीपर का कहना है, “एनजीटी का जो भी फैसला होगा वो केवल यमुना के लिये नहीं बल्कि सभी नदियों के लिये होगा। अगर किसी एक को नदी के साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत मिलती है तो देश की किसी भी नदी के साथ कोई भी कुछ भी करने के लिये आजाद हो जाएगा। नदी माँ है माँ के साथ छेड़छाड़ करने वाले को अपराधी की तरह कड़ी-से-कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि वो सबके लिये एक नजीर बने”

Submitted by RuralWater on Sun, 03/06/2016 - 11:04
Source:
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - आठवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :

स्वरूपानंद जी की प्रेरणा से इस बीच हमने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा कि कुम्भ से पहले कुछ कार्य हो जाना चाहिए।

 

प्रवाह की माँग, खेती का ख्याल


जनवरी-फरवरी में प्रयाग में गंगा प्रवाह 530 घन मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि माघ मेले में प्राकृतिक प्रवाह का आधा हो; यह 265 घन मीटर प्रति सेकेण्ड हुआ। हमने नवम्बर तक 250 घन मीटर प्रति सेकेण्ड के प्रवाह की माँग की। हमने कहा कि यह निरन्तर हो। निगरानी के लिये मॉनिटरिंग कमेटी हो; ताकि नापा जा सके। कमेटी में हमारा प्रतिनिधि भी हो।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जिंदगी लेती जहरीली हवा

Submitted by RuralWater on Tue, 03/08/2016 - 12:50
Author
मीनाक्षी अरोड़ा
Air pollution


.हवा लोगों को जीवन देती है लेकिन अगर यही जीवन लेने लगे तो? सवाल अजीब जरूर है लेकिन इसे झुठलाया नहीं जा सकता है।

हाल ही में एक संस्थान द्वारा किये गये एक शोध में पता चला है कि दिल्ली की आबोहवा जहरीली हो गयी है और लोगों की जिंदगी के दिन कम कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट अॉफ ट्रौपिकल मेटीरियोलॉजी Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM) द्वारा किये गये शोध में पता चला है कि वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली के लोगों के जीवनकाल से 6.4 वर्ष कम हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की जिंदगी 80 वर्षों की है वे 76 वर्ष ही जी पायेंगे।

हम हैं इनाम के हकदारः श्री श्री रविशंकर

Submitted by Editorial Team on Sun, 03/06/2016 - 19:37
Author
मीनाक्षी अरोड़ा
sri sri ravi shankar


.जैसे-जैसे आर्ट ऑफ लिविंग के ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ के आयोजन का समय पास आ रहा है वैसे-वैसे नदियों की चिन्ता करने वाले लोगों की चिन्ता और बढ़ती जा रही है। हमने इण्डिया वाटर पोर्टल की ओर से जब यमुना किनारे के कुछ स्थानीय साथियों से बातचीत की तो पाया कि लोग नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से बड़ी आस लगाए बैठे हैं। आखिर यह लड़ाई नदियों के हक की लड़ाई है।

पूरी दुनिया में नदियों की पुनर्बहाली के लिये प्रयत्नशील रॉबर्ट कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में चलने वाले नेटवर्क ‘वाटरकीपर एलायंस’ की भारतीय प्रतिनिधि और यमुनावाटरकीपर का कहना है, “एनजीटी का जो भी फैसला होगा वो केवल यमुना के लिये नहीं बल्कि सभी नदियों के लिये होगा। अगर किसी एक को नदी के साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत मिलती है तो देश की किसी भी नदी के साथ कोई भी कुछ भी करने के लिये आजाद हो जाएगा। नदी माँ है माँ के साथ छेड़छाड़ करने वाले को अपराधी की तरह कड़ी-से-कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि वो सबके लिये एक नजीर बने”

गंगा तप की राह चला सन्यासी सानंद

Submitted by RuralWater on Sun, 03/06/2016 - 11:04
Author
अरुण तिवारी
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - आठवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :

.स्वरूपानंद जी की प्रेरणा से इस बीच हमने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा कि कुम्भ से पहले कुछ कार्य हो जाना चाहिए।

 

प्रवाह की माँग, खेती का ख्याल


जनवरी-फरवरी में प्रयाग में गंगा प्रवाह 530 घन मीटर प्रति सेकेण्ड होता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि माघ मेले में प्राकृतिक प्रवाह का आधा हो; यह 265 घन मीटर प्रति सेकेण्ड हुआ। हमने नवम्बर तक 250 घन मीटर प्रति सेकेण्ड के प्रवाह की माँग की। हमने कहा कि यह निरन्तर हो। निगरानी के लिये मॉनिटरिंग कमेटी हो; ताकि नापा जा सके। कमेटी में हमारा प्रतिनिधि भी हो।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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